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ललितपुरः जिला अस्पताल में नहीं है आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में स्थित मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में आग लगने पर बचाव के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज दूर-दराज के क्षेत्रों से अपना इलाज कराने के लिए आते हैं.

मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय
मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय
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Published : Feb 11, 2020, 8:08 AM IST

ललितपुरः जिला संयुक्त चिकित्सालय में आग लगने पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. मुख्य चिकित्साधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि जिला अस्पताल में आग की स्थिति में उससे निपटने के लिए संसाधनों की कमी है. बता दें, यहां 14 लाख की आबादी पर एक ही बड़ा चिकित्सालय है.

जिला अस्पताल में नहीं है आग से बचाव के इंतजाम.
जिला मुख्यालय पर स्थित मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में अगर कभी आग लगने की घटना होती है, तो यहां भर्ती मरीजों की जान सिर्फ भगवान के भरोसे ही है. वजह है इतने बड़े अस्पताल में आग से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम ना होना. बता दें, 24 साल पहले इस नई इमारत में जिला अस्पताल को शिफ्ट किया गया था, लेकिन तब से लेकर आजतक यहां पर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है. रोजाना जिला अस्पताल में करीब 1 हजार से 2 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं. यह अस्पताल करीब 200 बेड का है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हजारों लोग इस अस्पताल में इलाज कराने आते हैं. जिले में कोई भी बड़ा हॉस्पिटल नहीं है, लेकिन यहां फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था नहीं है. हम लोग चाहेंगे कि वो व्यवस्था हो, जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि न हो. लगभग 6 महीने पहले यहां घटना हो चुकी है. हालांकि इसमें कोई जनहानि नहीं हुई थी.

ऐसा नहीं है कि कोई व्यवस्था नहीं है. हमारे पास रेत की बाल्टियां और कुछ फायर एक्सटिंग्विशर हैं, जो संख्या में कम हैं. अग्निशमन दल ने फायर ऑडिट किया था. उसमें उन्होंने कहा था कि 65 फायर एक्सटिंग्विशर और 8 co2 फायर एक्सटिंग्विशर की जरूरत है. उसके अलावा होसरिल पूरे अस्पताल में होना चाहिए. उनका कहना था कि 1 लाख लीटर का पानी का टैंक ग्राउंड लेवल पर और 10 हजार लीटर का टैंक छत पर होना चाहिए. मैंने इसके लिए कई बार महानिदेशालय को पत्राचार किया है, लेकिन अभी तक कोई जबाब नहीं आया है. हमारी पूरी कोशिश होगी कि अतिशीघ्र फायर एक्सटिंग्विशर की व्यवस्था हो सके.
डॉ. एसके वासवानी, मुख्य चिकित्साधिकारी

ललितपुरः जिला संयुक्त चिकित्सालय में आग लगने पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. मुख्य चिकित्साधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि जिला अस्पताल में आग की स्थिति में उससे निपटने के लिए संसाधनों की कमी है. बता दें, यहां 14 लाख की आबादी पर एक ही बड़ा चिकित्सालय है.

जिला अस्पताल में नहीं है आग से बचाव के इंतजाम.
जिला मुख्यालय पर स्थित मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में अगर कभी आग लगने की घटना होती है, तो यहां भर्ती मरीजों की जान सिर्फ भगवान के भरोसे ही है. वजह है इतने बड़े अस्पताल में आग से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम ना होना. बता दें, 24 साल पहले इस नई इमारत में जिला अस्पताल को शिफ्ट किया गया था, लेकिन तब से लेकर आजतक यहां पर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है. रोजाना जिला अस्पताल में करीब 1 हजार से 2 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं. यह अस्पताल करीब 200 बेड का है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हजारों लोग इस अस्पताल में इलाज कराने आते हैं. जिले में कोई भी बड़ा हॉस्पिटल नहीं है, लेकिन यहां फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था नहीं है. हम लोग चाहेंगे कि वो व्यवस्था हो, जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि न हो. लगभग 6 महीने पहले यहां घटना हो चुकी है. हालांकि इसमें कोई जनहानि नहीं हुई थी.

ऐसा नहीं है कि कोई व्यवस्था नहीं है. हमारे पास रेत की बाल्टियां और कुछ फायर एक्सटिंग्विशर हैं, जो संख्या में कम हैं. अग्निशमन दल ने फायर ऑडिट किया था. उसमें उन्होंने कहा था कि 65 फायर एक्सटिंग्विशर और 8 co2 फायर एक्सटिंग्विशर की जरूरत है. उसके अलावा होसरिल पूरे अस्पताल में होना चाहिए. उनका कहना था कि 1 लाख लीटर का पानी का टैंक ग्राउंड लेवल पर और 10 हजार लीटर का टैंक छत पर होना चाहिए. मैंने इसके लिए कई बार महानिदेशालय को पत्राचार किया है, लेकिन अभी तक कोई जबाब नहीं आया है. हमारी पूरी कोशिश होगी कि अतिशीघ्र फायर एक्सटिंग्विशर की व्यवस्था हो सके.
डॉ. एसके वासवानी, मुख्य चिकित्साधिकारी

Intro:एंकर-उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में स्थित मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में आग लगने पर सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नही है.यह एक गंभीर मुद्दा है और जिले की लगभग 14 लाख की आबादी के बीच मे एक ही बड़ी अस्पताल है जहाँ पर रोजाना सैंकड़ो की संख्या में मरीज दूर-दराज़ के क्षेत्रों से अपना इलाज कराने के लिए आते हैं और सभी की जान भगवान भरोसे है.क्योंकि जिला संयुक्त चिकित्सालय में सुरक्षा के कोई इंतजाम नही हैं.वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी इस बात को कह रहे है कि जिला अस्पताल में आग लगने पर उससे निपटने के लिए संसाधनों की कमी है और आज भी जिला अस्पताल में आग से निपटने के लिए पुराने ढर्रे मतलब रेत की बाल्टियां को अपनाने की व्यवस्था है।


Body:वीओ-जिला मुख्यालय पर स्थित मान्यवर कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में अगर कभी आग लगने की घटना होती है तो यहां भर्ती मरीजों की जान सिर्फ भगवान के भरोसे ही है. क्योंकि इसकी वजह इतने बड़े अस्पताल में आग से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम ना होना है.बता दे कि 24 साल पहले इस नई इमारत में जिला अस्पताल को शिफ्ट किया गया था.लेकिन जब से लेकर आज तक यहाँ पर कोई सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नही है.जबकि रोजाना जिला अस्पताल में करीब 1000 से 2000 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं.लेकिन इतने बड़े इस अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं किए गए जो बहुत ही गंभीर मुद्दा है.क्योंकि यहां हजारों लोगों की जान कभी भी जा सकती है जिला अस्पताल में लगभग 200 बेड है और लगभग 6 महीने पहले जिला अस्पताल परिसर में बने लेकिन इसके बाद भी अग्निशमन यंत्रों का इंतजाम ना करना एक बड़ी लापरवाही है

बाइट-वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि हज़ारों लोग आते है जिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए क्योंकि जिले में और कोई बड़ी हॉस्पिटल भी नही है जिले में,लेकिन यहाँ फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था नही है और कोई भी दुर्घटना होती है,तो उसके लिए फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था होना बहुत जरूरी है और हम लोग चाहेंगे कि वो व्यवस्था हो,जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि न हो.लगभग 6 महीने पहले यहाँ घटना हो चुकी है.जिसमे कोई जनहानि नही हुई है.लेकिन आगे देखते हुए कि कोई जनहानि न हो इसके लिए फायर प्रिवेंशन की व्यवस्था की जाए.वहीं अन्य व्यक्ति का कहना है कि यहाँ सारी सुविधाएं है लेकिन फायर प्रिवेंशन की कोई सुविधा नही है यदि कोई घटना होती है या आग लगती है.तो उससे निपटने के लिए सुविधा नही है

बाइट-राजकुमार जैन (स्थानीय निवासी)
बाइट-सुनील कुमार (स्थानीय निवासी)


Conclusion:बाइट-वही जब इस मुद्दे को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से वार्ता की गई है तो उनका कहना है कि ऐसा नही कह सकते है कि कोई व्यवस्था नही है.हमारे पास रेत की बाल्टियां जो पुराना सिस्टम होता है.कुछ रेत की बाल्टियां, कुछ co2 सिलेंडर और कुछ फायर एक्सटिंग्विशर है जो संख्या में कम है मतलब जो अग्निशमन दल द्वारा फायर ऑडिट किया गया था.उसमे कहा गया कि 65 फायर एक्सटिंग्विशर चाइए और 8 co2 फायर एक्सटिंग्विशर चाइए और उसके अलावा होसरिल पूरे अस्पताल में चाइए.होसरिल नही है और फायर एक्सटिंग्विशर कम है हमारे पास और 1लाख लीटर का पानी का टैंक ग्राउंड लेवल पर होना चाइए और 10 हज़ार लीटर का छत पर होना चाइए. लेकिन नही है.इसके लिए कई बार पत्राचार्य कर चुके है महानिदेशालय को लेकिन अभी तक कोई जबाब नही आया है.वही बताया कि आयुष भवन में एक बार लग चुकी है तो उस टाइम भी दिक्कत आई थी. तो हमारा और ज्यादा ध्यान गया है हम चाहते है कि शीघ्र अतिशीघ्र फायर एक्सटिंग्विशर की व्यवस्था सही ढंग से हो सके।

बाइट-डॉ एस के वासवानी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला अस्पताल)
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