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उत्तराखंड जलप्रलय : आंसू से भरी आंखों को अब भी अपनों का इंतजार...

उत्तराखंड में आई आपदा में लखीमपुर खीरी के 34 मजदूर अब भी लापता हैं. पीड़ित परिवारों के घर चूल्हे नहीं जले हैं. आंखों से आंसू जरुर बह रहे हैं लेकिन उन्हें अपनों के लौट आने का अब भी इंतजार है. देखिए यह खास रिपोर्ट...

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Published : Feb 9, 2021, 11:03 PM IST

आस अब भी बाकी है
आस अब भी बाकी है

लखीमपुर खीरी : गोद में बेटे की तस्वीर और आंखों में केवल आंसू. जिस बेटे को अपने गोद में खेलाया था आज उसी को एक बार देखने के लिए मां तरस रही है. फिलहाल केवल तस्वीर का ही सहारा है. लखीमपुर खीरी के इच्छानगर गांव के रहने वाले श्रीकिशन के परिवार पर दुखों का ग्लेशियर टूट पड़ा. इकलौते बेटे राजू की दो महीने बाद शादी होने वाली थी. परिवार में खुशियां थीं और शादी की तैयारियां चल रही थीं.

स्पेशल रिपोर्ट...

बाप-बेटे ने मिलकर सोचा कि दोनों मिलकर कुछ कमा लेंगे तो शादी के लिए किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा. धूमधाम से शादी होगी. लेकिन, उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने से श्रीकिशन का सपना भी उसी में बह गया. श्रीकिशन अपने घर के 6 सदस्यों के साथ चमोली टनल में काम कर रहे थे. राजू के चाचा मुन्ना कहते हैं कि टीवी पर जब खबर देखी तो होश उड़ गए. कांपते हाथों से उन्होंने घर के सभी सदस्यों को फोन करना शुरू किया. लेकिन अभी तक किसी से कोई संपर्क नहीं हो सका है.

मां को है इंतजार...
मां को है इंतजार...

खुशियों वाले घर में अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है. दीवारों पर हाथ के चिन्ह बनाकर लक्ष्मी का जहां इंतजार हो रहा था, आज वहां चूल्हे से धुआं तक नहीं उठ रहा. खामोश चूल्हा इंतजार के दर्द की इंतहा को बयां कर रहा है और परिवार के लौटने का इंतजार कमबख्त खत्म नहीं हो रहा.

अब तेरा ही सहारा...
अब तेरा ही सहारा...

जिले के बाबूपुरवा गांव के जीवनलाल के घर का भी यही हाल है. जीवनलाल के दो बेटे अर्जुनलाल और विक्रम कुमार की कमाई से ही घर का खर्च चलता है. बड़ा बेटा विक्रम उत्तराखंड के टिहरी डैम पर काम करता है और छोटा बेटा अर्जुनलाल अभी दो महीने पहले ही तपोवन काम करने गया था. जीवनलाल ने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की खबर जब टीवी पर देखी तो उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई. बड़ा बेटा तो सुरक्षित था लेकिन छोटे बेटे का फोन स्विच ऑफ बता रहा था. पूरे घर में कोहराम मच गया. पूरे घर में गम का माहौल हो गया. पिता घर के मंदिर के सामने खड़े होकर हाथ जोड़कर अपने बेटे की सलामती की दुआ कर रहे हैं. जब इंसान के हाथ में चीजें नहीं रहती हैं तो उसे भगवान पर ही सबसे ज्यादा भरोसा रहता है. भरोसा है कि ईश्वर उनकी पुकार सुनेंगे. भरोसा है कि बेटा जहां भी होगा ठीक होगा.

कहीं आंखों में आंसू है तो कहीं लबों पर दुआ भी है. हर किसी को आस है कि उसका अपना लौटकर घर आ जाए. कहीं मां की गोद बेटे के इंतजार में सूनी है तो कहीं बाप की बाहें अपने बेटे को एक बार फिर भर लेने को आतुर है. बस इंतजार है उनके लौट आने का.

लखीमपुर खीरी : गोद में बेटे की तस्वीर और आंखों में केवल आंसू. जिस बेटे को अपने गोद में खेलाया था आज उसी को एक बार देखने के लिए मां तरस रही है. फिलहाल केवल तस्वीर का ही सहारा है. लखीमपुर खीरी के इच्छानगर गांव के रहने वाले श्रीकिशन के परिवार पर दुखों का ग्लेशियर टूट पड़ा. इकलौते बेटे राजू की दो महीने बाद शादी होने वाली थी. परिवार में खुशियां थीं और शादी की तैयारियां चल रही थीं.

स्पेशल रिपोर्ट...

बाप-बेटे ने मिलकर सोचा कि दोनों मिलकर कुछ कमा लेंगे तो शादी के लिए किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा. धूमधाम से शादी होगी. लेकिन, उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने से श्रीकिशन का सपना भी उसी में बह गया. श्रीकिशन अपने घर के 6 सदस्यों के साथ चमोली टनल में काम कर रहे थे. राजू के चाचा मुन्ना कहते हैं कि टीवी पर जब खबर देखी तो होश उड़ गए. कांपते हाथों से उन्होंने घर के सभी सदस्यों को फोन करना शुरू किया. लेकिन अभी तक किसी से कोई संपर्क नहीं हो सका है.

मां को है इंतजार...
मां को है इंतजार...

खुशियों वाले घर में अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है. दीवारों पर हाथ के चिन्ह बनाकर लक्ष्मी का जहां इंतजार हो रहा था, आज वहां चूल्हे से धुआं तक नहीं उठ रहा. खामोश चूल्हा इंतजार के दर्द की इंतहा को बयां कर रहा है और परिवार के लौटने का इंतजार कमबख्त खत्म नहीं हो रहा.

अब तेरा ही सहारा...
अब तेरा ही सहारा...

जिले के बाबूपुरवा गांव के जीवनलाल के घर का भी यही हाल है. जीवनलाल के दो बेटे अर्जुनलाल और विक्रम कुमार की कमाई से ही घर का खर्च चलता है. बड़ा बेटा विक्रम उत्तराखंड के टिहरी डैम पर काम करता है और छोटा बेटा अर्जुनलाल अभी दो महीने पहले ही तपोवन काम करने गया था. जीवनलाल ने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की खबर जब टीवी पर देखी तो उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई. बड़ा बेटा तो सुरक्षित था लेकिन छोटे बेटे का फोन स्विच ऑफ बता रहा था. पूरे घर में कोहराम मच गया. पूरे घर में गम का माहौल हो गया. पिता घर के मंदिर के सामने खड़े होकर हाथ जोड़कर अपने बेटे की सलामती की दुआ कर रहे हैं. जब इंसान के हाथ में चीजें नहीं रहती हैं तो उसे भगवान पर ही सबसे ज्यादा भरोसा रहता है. भरोसा है कि ईश्वर उनकी पुकार सुनेंगे. भरोसा है कि बेटा जहां भी होगा ठीक होगा.

कहीं आंखों में आंसू है तो कहीं लबों पर दुआ भी है. हर किसी को आस है कि उसका अपना लौटकर घर आ जाए. कहीं मां की गोद बेटे के इंतजार में सूनी है तो कहीं बाप की बाहें अपने बेटे को एक बार फिर भर लेने को आतुर है. बस इंतजार है उनके लौट आने का.

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