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शव इतने कि जलाने के लिए कम पड़ गईं लकड़ियां - कोरोना से मौत

लखीमपुर खीरी में कोरोना के चलते मौतों का सिलसिला जारी है. शनिवार को मुक्तिधाम पर 26 शव लाए गए तो जलाने के लिए लकड़ी की कमी हो गई. जिसके बाद जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने श्मशान घाट पर लकड़ी का इंतजाम कराया.

डीएम ने भिजवाई लकड़ी
डीएम ने भिजवाई लकड़ी
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Published : Apr 25, 2021, 8:47 AM IST

लखीमपुर खीरी: कोरोना के चलते मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. हालत यह है कि श्मशान घाट पर शवों का ढेर लगा हुआ है और उन्हें जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ रही है. एक ही दिन में मुक्तिधाम पर 26 शव जलाने के लिए आए और इन्हें जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ गई. जिसके बाद पंडित अशोक कुमार द्विवेदी ने डीएम शैलेंद्र सिंह से लकड़ी का इंतजाम कराने की मांग की.

शवों को देखकर पुजारी की भर आईं आंखें

जनपद के मुक्तिधाम पर रोज ही 20-22 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. शनिवार को 26 शवों को एक साथ देखकर पंडित अशोक द्विवेदी की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा कि 'प्रभू अब तो रहम कर, बहुत हो गया. मैंने अपनी जिंदगी में इतने शव एक साथ कभी नहीं देखे.' कहा कि शव बढ़ते ही जा रहे हैं, अब थकान होने लगी है. पहले महीने में 50 से 60 शवों का अंतिम संस्कार होता था, लेकिन कोरोना ने स्थिति बदल दी है.

इसे भी पढ़ें : अंत्येष्टि स्थल के पास खुले में फेंका जा रहा पीपीई किट, जिम्मेदार लापरवाह

लकड़ी पड़ गई कम तो डीएम ने किया इंतजाम

पिछले एक सप्ताह से मुक्तिधाम पर इतने शव आ रहे हैं कि अंत्येष्टि करना मुश्किल हो रहा है. इनमें ज्यादातर कोरोना से मरने वालों की संख्या है तो कुछ लोगों की मौत सांस लेने में दिक्कत के कारण हो रही है. शनिवार को जब 26 शवों को जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ी तो पंडित अशोक कुमार ने जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह को सूचित किया. डीएम ने तत्काल ट्रॉली से लकड़ी का इंतजाम किया. तब जाकर सभी शवों का अंतिम संस्कार किया गया.

लखीमपुर खीरी: कोरोना के चलते मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. हालत यह है कि श्मशान घाट पर शवों का ढेर लगा हुआ है और उन्हें जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ रही है. एक ही दिन में मुक्तिधाम पर 26 शव जलाने के लिए आए और इन्हें जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ गई. जिसके बाद पंडित अशोक कुमार द्विवेदी ने डीएम शैलेंद्र सिंह से लकड़ी का इंतजाम कराने की मांग की.

शवों को देखकर पुजारी की भर आईं आंखें

जनपद के मुक्तिधाम पर रोज ही 20-22 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. शनिवार को 26 शवों को एक साथ देखकर पंडित अशोक द्विवेदी की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा कि 'प्रभू अब तो रहम कर, बहुत हो गया. मैंने अपनी जिंदगी में इतने शव एक साथ कभी नहीं देखे.' कहा कि शव बढ़ते ही जा रहे हैं, अब थकान होने लगी है. पहले महीने में 50 से 60 शवों का अंतिम संस्कार होता था, लेकिन कोरोना ने स्थिति बदल दी है.

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लकड़ी पड़ गई कम तो डीएम ने किया इंतजाम

पिछले एक सप्ताह से मुक्तिधाम पर इतने शव आ रहे हैं कि अंत्येष्टि करना मुश्किल हो रहा है. इनमें ज्यादातर कोरोना से मरने वालों की संख्या है तो कुछ लोगों की मौत सांस लेने में दिक्कत के कारण हो रही है. शनिवार को जब 26 शवों को जलाने के लिए लकड़ी कम पड़ी तो पंडित अशोक कुमार ने जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह को सूचित किया. डीएम ने तत्काल ट्रॉली से लकड़ी का इंतजाम किया. तब जाकर सभी शवों का अंतिम संस्कार किया गया.

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