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लखीमपुर: बंदरों के आतंक से निपटने के लिए दुकानदारों ने की 'गुलेल स्ट्राइक'

यूपी के लखीमपुर में बंदरों के आंतक से लोग खासा परेशान हैं. इसके चलते दुकानदारों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बंदरों के आतंक से परेशान शहर के दुकानदारों ने गुलेल चलाना शुरु कर दिया है.

बंदरों से निपटने के दुकानदारों ने उठाई गुलेल.
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Published : Jul 31, 2019, 12:29 PM IST

लखीमपुर: शहर में इन दिनों बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. रिहाईशी इलाकों के साथ-साथ बाजारों में भी बंदरों के झुंड उत्पात मचा रहे हैं. बंदर झुंड में आकर लोगों के कपडे़, खाने-पीने की चीजें और दुकानों से सामान ले जाते हैं. इसके साथ ही लोगों पर आए दिन हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं. समस्या से परेशान शहर के दुकानदारों ने गुलेल से बंदरों पर अटैक करना शुरु कर दिया है.

बंदरों से निपटने के दुकानदारों ने उठाई गुलेल.

बंदरों से निपटने को ढाल बनी गुलेल
बंदरों के आतंक से जहां आम जनमानस तो परेशान है ही लेकिन फल विक्रेता और खाने-पीने की चीजों की दुकान लगाने वाले वेंडर सबसे ज्यादा परेशान हैं. जरा सी चूक होने पर बंदर या तो सामान उठाकर भाग जाते हैं या फिर उसे फैला देते हैं. इस संबंध में कई बार प्रशासन से गुहार लगाई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब इस आतंक से निजात पाने के लिए दुकानदारों ने खुद ही एक्शन लेने का फैसला किया है. अब दुकानदार फल बेचने के लिए तराजू बांट के साथ-साथ गुलेल भी रख रहे हैं. वे सामान को बचाने के लिए गुलेल चलाकर बंदरों को भगाते हैं.

लखीमपुर: शहर में इन दिनों बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. रिहाईशी इलाकों के साथ-साथ बाजारों में भी बंदरों के झुंड उत्पात मचा रहे हैं. बंदर झुंड में आकर लोगों के कपडे़, खाने-पीने की चीजें और दुकानों से सामान ले जाते हैं. इसके साथ ही लोगों पर आए दिन हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं. समस्या से परेशान शहर के दुकानदारों ने गुलेल से बंदरों पर अटैक करना शुरु कर दिया है.

बंदरों से निपटने के दुकानदारों ने उठाई गुलेल.

बंदरों से निपटने को ढाल बनी गुलेल
बंदरों के आतंक से जहां आम जनमानस तो परेशान है ही लेकिन फल विक्रेता और खाने-पीने की चीजों की दुकान लगाने वाले वेंडर सबसे ज्यादा परेशान हैं. जरा सी चूक होने पर बंदर या तो सामान उठाकर भाग जाते हैं या फिर उसे फैला देते हैं. इस संबंध में कई बार प्रशासन से गुहार लगाई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब इस आतंक से निजात पाने के लिए दुकानदारों ने खुद ही एक्शन लेने का फैसला किया है. अब दुकानदार फल बेचने के लिए तराजू बांट के साथ-साथ गुलेल भी रख रहे हैं. वे सामान को बचाने के लिए गुलेल चलाकर बंदरों को भगाते हैं.

Intro: लखीमपुर खीरी शहर में इन दिनों बंदरों का आतंक भारी मात्रा में है मकानों से लेकर बाजार तक बंदरों के झुंड से झुंड गुलजार हैं जहां इनकी वजह से एक और लोग घरों के बाहर कपड़े सुख आने तक से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर खाने-पीने की खून से उठे ले की दुकान लगाने वाले लोग भी इन की गिरफ्त में आ जाते हैं शहर में इन दिनों बंदरों का आतंक कुछ इस कदर फैला है कि जिधर देखो उधर बंदरों के झुंड के झुंड ही दिखाई देते हैं इन बंदरों से आए दिन लोगों को जहां काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है वहीं गाहे बगाए हादसे घट जाते है और ऐसे में लोगों ने इनको भगाने के लिए एक अनोखा सस्त्र हाथ में उठा लिया हैBody: लखीमपुर खीरी शहर में बंदरों के आतंक से जहां आम जनमानस तो परेशान ही है वही सबसे ज्यादा फलों के विक्रेता और खाने पीने की चीजों की दुकान लगाने वाले वेंडर परेशान हैं और और जरा सी चूक होने पर इन का सामान या तो बंदरों का शिकार हो जाता है या फिर इनकी वजह से बिखर जाता है और अब इससे निजात पाने के लिए दुकानदारों ने एक अनोखा तरीका अपनाया है कि आप दुकानदार फल बेचने के लिए तराजू बाट के साथ साथ गुलेल भी साथ रख रहे हैं क्योंकि बिना गुलेल के बंदरों से बच पाना मुश्किल है गुलेल चला कर वह बंदरों को भगाते हैं और गुलेल को देखकर बंदर भी दूर भागते हैं हालांकि दुकानदारों ने अपनी बचत के लिए रास्ता निकाल लिया है लेकिन जिन पर रास्ता निकालने की जिम्मेदारी है नगरपालिका आखिर इन बंदरों की निजात के लिए रास्ता कब निकालेगी इंतजार हैConclusion:बाईट- फल विक्रेता
बाईट- चाटदु कानदार
बाईट- पीड़ित दुकानदार
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