लखीमपुर खीरी: स्कूल बसों में अगर कोई दुर्घटना होती है और किसी बच्चे को कुछ हो जाता है, तो इसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी. योगी सरकार स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर संजीदा हो गई है. वहीं हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने स्कूल बसों की फिटनेस पर सरकार ने पूरा फोकस किया है. जिसके लिए स्कूलों में एक कमेटी बनाई गई है, जो वाहनों की फिटनेस और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखेगी.
उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग ने स्कूलों में चलने वाले वाहनों की फिटनेस का विशेष अभियान चलाया है. जिसके लिए कैम्प लगाकर तहसील वार हर स्कूल के वाहन की फिटनेस जांची जा रही है. योगी सरकार के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया भी स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर और हादसों को रोकने के लिए इस विशेष अभियान पर विशेष निगाह रख रहे हैं. वहीं परिवहन विभाग यह सुनिश्चित कर रहा कि अब कोई भी स्कूली वाहन बिना परमिट के ना चल पाए.
साथ ही स्कूली वाहन चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टर के पास चरित्र प्रमाण पत्र जरूर हो और उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी नियमित हो. वहीं स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाली किसी संस्था की बस या कोई वाहन अब 15 साल से पुराना नहीं चल सकेगा. साथ ही निजी डीजल और सीएनजी से चलने वाला कोई भी स्कूली वाहन अब 10 साल से ज्यादा नहीं चल सकेगा.
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स्कूल वाहनों के परिवहन की जिला स्तरीय कमेटी बनेगी, जो स्कूली वाहनों की सुरक्षा का ध्यान रखेगी. इसमें जिला मजिस्ट्रेट कमेटी के अध्यक्ष रहेंगे. एसपी और एसएसपी उपाध्यक्ष होंगे. वहीं एआरटीओ प्रवर्तन इस कमेटी के सदस्य रहेंगे. कमेटी में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी या नगर आयुक्त जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित सदस्य रहेंगे. साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी भी जिला स्कूल वाहन परिवहन सुरक्षा समिति के सदस्य रहेंगे.
एआरटीओ प्रवर्तन रमेश कुमार चौबे ने बताया कि 3 दिन जिले में विशेष अभियान चलाकर स्कूल वाहनों की फिटनेस जांच की जा रही है. सरकार के सख्त निर्देश हैं कि स्कूल वैन और बच्चों की सुरक्षा में कोई कोताही न बरती जाए. इसलिए सभी स्कूल प्रबंधकों से अपील भी है कि वह अपने स्कूल वाहनों को निर्धारित जगहों पर लाकर वाहनों की फिटनेस चेक कराएं.