ETV Bharat / state

शारदा-घाघरा नदी उजाड़ रहीं गांव, अपने हाथों से तोड़ रहे सपनों का आशियाना

लखीमपुर खीरी की निघासन तहसील स्थित मझरी और रेवती पुरवा गांव में शारदा और घाघरा नदी ने कहर बरपाया है. शारदा नदी के तांडव के कारण गांव के गांव और खेती पूरी तरह तबाह हो चुकी है. यहां के वाशिंदे सिर छिपाने के लिए अब सरकार की मदद का इंतजार कर रहे हैं. लोग अपने घरों को उजाड़ रहे हैं.

शारदा और घाघरा नदियों का कहर.
शारदा और घाघरा नदियों का कहर.
author img

By

Published : Aug 10, 2021, 8:51 PM IST

लखीमपुर खीरी: यूपी के 21 जिले मौजूदा वक्त में बाढ़ (Flood) की विभीषिका झेल रहे हैं. गंगा, यमुना (Ganga Yamuna), बेतवा से लेकर घाघरा और शारदा नदी भी तबाही का पानी लेकर बह रही हैं. यूपी के सबसे बड़े खीरी जिले (क्षेत्रफल के लिहाज से) में शारदा और घाघरा नदी ( sharda and ghaghra river) चार गांवों के निवासियों को ऐसा दर्द दे रहीं हैं कि इन गांवों के वाशिन्दों की उम्मीद की डोर अब टूट रही है. इन ग्रामीणों के घर नदियां लील रही हैं. गांव के गांव नदियों के आगोश में समाते जा रहे हैं. मजबूरी में यहां ग्रामीण अब अपना घर अपने ही हाथों से उजाड़ रहे हैं.

जिला मुख्यालय से तीस किलोमीटर दूर निघासन तहसील स्थित मझरी गांव निवासी रमेश अपनी और पिता के खून पसीने की कमाई से बमुश्किल एक घर बना पाए थे. पर, शारदा नदी अब उनके घर की चौखट तक पहुंच चुकी है. अगर, वो अपने परिवार के साथ घर छोड़कर नहीं गए तो जल्द ही सब तबाह हो जाएगा. लिहाजा, रमेश अपने ही हाथों से अपने सपने के आशियाने की एक-एक ईंट निकाल रहे हैं. ईंटों के निकलने के साथ ही रमेश के गांव को बचने की आस टूटती चली जा रही है. रमेश भरी आंखें लिए कहते हैं अगर, घर तोड़कर ईंट नहीं निकाले तो नदी वह भी बहा ले जाएगी.

शारदा और घाघरा नदियों का कहर.
मझरी गांव से तीस किलोमीटर दूर बिजुआ ब्लॉक स्थित रेवती पुरवा गांव में भी शारदा नदी की धार खेतों की तरफ मुड़ चुकी है. रेवतीपुरवा और आसपास के किसानों की डेढ़ सौ एकड़ हरी भरी फसलों से लहलहाती जमीन को शारदा नदी लील चुकी है. ग्रामीण सिंचाई विभाग के मजदूरों के साथ मिलकर कटान रोकने में लगे हैं, लेकिन मझरी गांव में तबाही का जो मंजर है वो बयां नहीं किया जा सकता. मझरी गांव का अस्तित्व अब संकट में है.

इसे भी पढ़ें-उजड़ गए 42 आशियाने, आंसू बयां कर रहे कटान पीड़ितों का दर्द

जिले मुख्यालय से पूरब उत्तर धौरहरा तहसील के रमियाबेहड़ ब्लॉक स्थित बाछेपारा और ईसानगर ब्लॉक के कैरातीपुरवा गांव में घाघरा नदी तबाही मचाए हुए है. घाघरा में इन दोनों गांव के 50 से ज्यादा मकान समा चुके हैं. गांव के राम औतार अपना टूटता घर दिखाते हुए भरे मन से कहते हैं उनका 11 कमरों का पक्का मकान था, लेकिन नदी के रौद्र रूप को देखकर वे भी अपना घर तोड़कर ईंट बचाने के जद्दोजहद करने में लगे हैं.

खीरी जिले में नदियों की तबाही की एक लंबी दास्तान है, लेकिन मझरी गांव के लोगों पर जो बीत रही उसका दर्द बयां नहीं किया जा सकता. गांव के बबलू अपनी अधपकी गन्ने की फसल को काटते हुए दु:खी होकर कहते हैं कि बच्चों की तरह फसल को पाला पोसा था. अब फसल पर हंसिया चलाते हैं तो हाथ कांपते हैं. अब गांव वाले सरकार की तरफ टकटकी लगाए हैं कि कब इनको कहीं रहने के लिए जगह मिलेगी. कब इनका आशियाना फिर से बनेगा. फिलहाल, तो सब सड़कों के किनारे ही सर छिपाने की जगह बनाए हैं.

लखीमपुर खीरी: यूपी के 21 जिले मौजूदा वक्त में बाढ़ (Flood) की विभीषिका झेल रहे हैं. गंगा, यमुना (Ganga Yamuna), बेतवा से लेकर घाघरा और शारदा नदी भी तबाही का पानी लेकर बह रही हैं. यूपी के सबसे बड़े खीरी जिले (क्षेत्रफल के लिहाज से) में शारदा और घाघरा नदी ( sharda and ghaghra river) चार गांवों के निवासियों को ऐसा दर्द दे रहीं हैं कि इन गांवों के वाशिन्दों की उम्मीद की डोर अब टूट रही है. इन ग्रामीणों के घर नदियां लील रही हैं. गांव के गांव नदियों के आगोश में समाते जा रहे हैं. मजबूरी में यहां ग्रामीण अब अपना घर अपने ही हाथों से उजाड़ रहे हैं.

जिला मुख्यालय से तीस किलोमीटर दूर निघासन तहसील स्थित मझरी गांव निवासी रमेश अपनी और पिता के खून पसीने की कमाई से बमुश्किल एक घर बना पाए थे. पर, शारदा नदी अब उनके घर की चौखट तक पहुंच चुकी है. अगर, वो अपने परिवार के साथ घर छोड़कर नहीं गए तो जल्द ही सब तबाह हो जाएगा. लिहाजा, रमेश अपने ही हाथों से अपने सपने के आशियाने की एक-एक ईंट निकाल रहे हैं. ईंटों के निकलने के साथ ही रमेश के गांव को बचने की आस टूटती चली जा रही है. रमेश भरी आंखें लिए कहते हैं अगर, घर तोड़कर ईंट नहीं निकाले तो नदी वह भी बहा ले जाएगी.

शारदा और घाघरा नदियों का कहर.
मझरी गांव से तीस किलोमीटर दूर बिजुआ ब्लॉक स्थित रेवती पुरवा गांव में भी शारदा नदी की धार खेतों की तरफ मुड़ चुकी है. रेवतीपुरवा और आसपास के किसानों की डेढ़ सौ एकड़ हरी भरी फसलों से लहलहाती जमीन को शारदा नदी लील चुकी है. ग्रामीण सिंचाई विभाग के मजदूरों के साथ मिलकर कटान रोकने में लगे हैं, लेकिन मझरी गांव में तबाही का जो मंजर है वो बयां नहीं किया जा सकता. मझरी गांव का अस्तित्व अब संकट में है.

इसे भी पढ़ें-उजड़ गए 42 आशियाने, आंसू बयां कर रहे कटान पीड़ितों का दर्द

जिले मुख्यालय से पूरब उत्तर धौरहरा तहसील के रमियाबेहड़ ब्लॉक स्थित बाछेपारा और ईसानगर ब्लॉक के कैरातीपुरवा गांव में घाघरा नदी तबाही मचाए हुए है. घाघरा में इन दोनों गांव के 50 से ज्यादा मकान समा चुके हैं. गांव के राम औतार अपना टूटता घर दिखाते हुए भरे मन से कहते हैं उनका 11 कमरों का पक्का मकान था, लेकिन नदी के रौद्र रूप को देखकर वे भी अपना घर तोड़कर ईंट बचाने के जद्दोजहद करने में लगे हैं.

खीरी जिले में नदियों की तबाही की एक लंबी दास्तान है, लेकिन मझरी गांव के लोगों पर जो बीत रही उसका दर्द बयां नहीं किया जा सकता. गांव के बबलू अपनी अधपकी गन्ने की फसल को काटते हुए दु:खी होकर कहते हैं कि बच्चों की तरह फसल को पाला पोसा था. अब फसल पर हंसिया चलाते हैं तो हाथ कांपते हैं. अब गांव वाले सरकार की तरफ टकटकी लगाए हैं कि कब इनको कहीं रहने के लिए जगह मिलेगी. कब इनका आशियाना फिर से बनेगा. फिलहाल, तो सब सड़कों के किनारे ही सर छिपाने की जगह बनाए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.