लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी के द्वार सैलानियों के लिए एक बार फिर से खुल गए हैं. 40 दिनों से सेंचुरी खुलने का इंतजार किया जा रहा था. सैलानियों के लिए यह खुशखबरी है. गले में फंदा लगे एक मेल टाइगर के देखे जाने के बाद से पार्क प्रशासन ने किशनपुर सेंचुरी में पर्यटन पूरी तरीके से 40 दिन पहले रोक दिया था. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है की कुछ रोड्स को छोड़कर बाकी किशनपुर सेंचुरी में पर्यटन सेवा बहाल कर दी गई है. अब सैलानी दुधवा में सफारी का आनंद ले सकते हैं.
दुधवा टाइगर रिजर्व का किशनपुर सेंचुरी सैलानियों के लिए टाइगर फाइटिंग का एक बड़ा केंद्र बन कर पिछले कुछ सालों से उभरा है. दुधवा टाइगर रिजर्व घूमने आए सैलानियों की पहली पसंद होती है कि वह किशन सेंचुरी में सफारी करें और टाइगर को देख पाएं. पर करीब 40 दिन पहले किशनपुर सेंचुरी में एक मेल टाइगर के गले में रस्सी का फंदा देखे जाने के बाद से हड़कंप मच गया था. मेल टाइगर के गले में रस्सी का यह फंदा कैसे आया? यह पार्क प्रशासन के अफसरों के लिए चुनौती बन गया और दुधवा में बाघों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा था? पार्क प्रशासन ने आनन-फानन में डब्लूटीआई, डब्लू आई आई, डब्लू डब्लूएफ और एनटीसीए को सूचित करने के बाद पार्क में पर्यटन की गतिविधियां पूरी तरीके से रोक दी थी. फंदा लगे बाघ को तलाशने और बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए कैमरा ट्रैप लगाकर बाघ की तलाश की जा रही थी. इधर पर्यटन बंद होने से सैलानी निराश थे. क्योंकि पिछले कुछ सालों से किशनपुर सेंचुरी बाघों के दीदार का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. अब 40 दिन बाद किशनपुर के गेट सैलानियों की जिप्सियों के लिए फिर से खोल दिए गए हैं.
बाघ की तलाश, निगरानी में लगी है टीम
क्या किशनपुर के मेल बाघ के रस्सी का फंदा छूट गया. क्या पार्क प्रशासन फंदा छुटाने में कामयाब रहे. अभी इन सवालों के जवाब पार्क प्रशासन नहीं दे रहा. फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि वे प्रयास में लगे हुए हैं. लखनऊ और कानपुर जू के एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम भी लगी हुई है. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि बाघ की तलाश ट्रेंकुलाइजर टीम कर रही है पर हमने पर्यटन सेवा भी बहाल कर दी है. अब किशनपुर के रिंग रोड और दो और रोडस को छोड़कर सैलानी सफारी कर सकेंगे. ये पर्यटकों की मांग पर निर्णय लिया गया है.
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