लखीमपुर खीरी : लखीमपुर खीरी-तिकुनिया हिंसाकांड की जांच को आए जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव बुधवार को घटनास्थल पर पहुंचे. क्राइम सीन रीक्रिएट कराया और तिकुनिया कांड की न्यायिक जांच शुरू कर दी.
3 अक्टूबर को किसानों के विरोध प्रदर्शन की जगह भी जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने देखी. तिकुनिया के अग्रसेन इंटर कॉलेज के उस मैदान को भी देखा जिस पर बने हेलीपैड को किसानों ने घेर लिया था. इसके बाद जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बनवीरपुर गांव और तिकुनिया के बीच की दूरी जानी जो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री का पैतृक गांव है. यहीं तीन अक्टूबर को दंगल का आयोजन होना था. वहीं पर डिप्टी सीएम को भी आना था.
आरोप है कि तीन अक्टूबर को तिकुनिया में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री की थार जीप ने प्रदर्शन से वापस जा रहे चार किसानों को रौंद दिया. आरोप है कि थार जीप मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू चला रहे थे. हादसे में 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या का आरोप मंत्री के बेटे और उसके साथियों पर है.
जीप की टक्कर के बाद भड़की हिंसा में दो गाड़ियां जला दी गईं थीं और गृह राज्यमंत्री के ड्राइवर और थार सवार दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. थार हादसे और पीटने के वीडियो तक सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो गए थे.
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घटना के बाद किसानों ने तिकुनिया में ही चारों किसानों के शवों को रखकर जाम लगा दिया था. इसके बाद राज्य सरकार और किसान नेता राकेश टिकैत और तमाम किसान नेताओं के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें न्यायिक जांच की मांग भी की गई थी. छह अक्टूबर को ही योगी सरकार ने जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को तिकुनिया कांड की जांच के लिए नियुक्त कर दिया था.
घटना के डेढ़ महीने बाद एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव मंगलवार देर शाम लखीमपुर पहुंच गए थे. बुधवार को जस्टिस श्रीवास्तव जांच को तिकुनिया पहुंचे. बनवीरपुर में घटना की शुरुआत से लेकर किसानों के प्रोटेस्ट की जगह और इसके बाद थार से किसानों को रौंदने और हिंसा का पूरा सीन समझा.
जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने घटनास्थल पर दूरी भी नपवाई और स्थानीय पुलिस से बारीकी से एक-एक प्वाइंट को समझा. न्यायिक आयोग के तौर पर आए जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने घटना वाले दिन वहां मौजूद पुलिस और प्रशासन के अफसरों के बयानात दर्ज करने के लिए उन्हें तलब किया है.
कलेक्ट्रेट के बाहर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में न्यायिक आयोग का स्थाई कार्यालय बनाया गया है जिसमें जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव फिलहाल रुके हुए हैं. सूत्रों की मानें तो आयोग की तरफ से आए जस्टिस श्रीवास्तव ने गोला में तैनात सीओ को बयान के लिए तलब किया है.
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इसके अलावा अन्य अफसरों को भी उन्होंने एक-एक कर जांच के लिए और बयान के लिए तलब करना शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि तीन अक्टूबर को तिकुनिया में की टक्कर से मारे गए चार किसानों, एक पत्रकार और तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को सरकार की तरफ से 45-45 लाख का मुआवजा दिया जा चुका है. इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हैं.
पहली एफआईआर किसानों की तरफ से दर्ज है जिसमें मुख्य आरोपी केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र मोनू हैं. इसके अलावा 15-20 अन्य भी आरोपी है. इस मामले में पुलिस ने 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
वहीं, दूसरी एफआईआर बीजेपी नेता सुमित जायसवाल की तरफ से दर्ज है जिसमें किसानों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप है. इस एफआईआर में भी चार आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है. इसके अलावा यूपी सरकार की तरफ गठित न्यायिक जांच आयोग भी गठित कर जांच के लिए भेजा गया है. तिकुनिया हिंसाकांड पर सुप्रीम कोर्ट भी बराबर निगरानी बनाए हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने भी आज तीन आईपीएस अफसरों को जांच के लिए नियुक्त किया है. इसके अलावा एक रिटायर्ड हाई कोर्ट के जज को भी तिकुनियाकांड की जांच के लिए नियुक्त किया है.