लखीमपुर खीरी: दीपावली के त्योहार पर अंधविश्वास के चलते उल्लू की बली दी जाती है, जिससे धन की प्राप्ति होती है. इसी के चलते दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में उल्लू के जान पर तश्करों का खतरा मंडरा रहा है. यहां उल्लू को पकड़कर लोग उनकी बली देते हैं. इसे लेकर पार्क प्रशासन ने पूरे दुधवा नेशनल पार्क में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है.
दुधवा नेशनल पार्क पर प्रशासन का अलर्ट जारी
लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में वन्य जीवों पर शिकारियों का खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन दीपावली के नजदीक आते ही दुधवा में उल्लुओं के जान पर आफत बढ़ जाती हैं. दीपावली आते ही आती जनपद के इंडो-नेपाल बॉडर पर 886 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा नेशनल पार्क के जंगलो में प्रशासन द्वारा गश्त बढ़ा दी जाती है.
गश्त को बढ़ाए जाने का एक कारण यह है कि यहां पर उल्लुओं की 12 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसी के जंगल में उल्लू तश्कर अधिक सक्रिय हो जाते हैं. अंधविश्वास के चलते उल्लुओं की जान का खतरा बढ़ जाता है. लोगों में मान्यता है कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू के बली देने से मां लक्ष्मी की कृपा होती हैं और घरों में धन की वर्षा होती है. इसके अलावा तंत्र-मंत्र में भी उल्लू का वध किया जाता है. इसी वजह से बड़े शहरों के बाजार में उल्लू की कीमत पांच हजार से 50 हजार तक हो जाती है और अंधविश्वास के धंधे में तस्कर इन्हें बाजारों में पहुंचाने का काम करते हैं. फिलहाल उल्लुओं की जान के खतरे को देखते हुए नेशनल पार्क प्रशासन ने दुधवा पार्क में अलर्ट घोषित कर गया है.
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कुछ लोगों का यह भ्रम है कि उल्लू पकड़ने से धन की प्राप्ति होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता है. सभी को हम यह बताना चाहते हैं कि किसी भी वन्य जीव को पकड़ने से ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. कर्म और मेहनत करने से ही इंसान धनवान हो सकता है. दुधवा के आस-पास क्षेत्रों में उल्लुओं की कुल 12 प्रजातियां हैं, जिन्हें बचाने के लिए पार्क के स्टाफ कार्यबद्ध हैं. दीपावली के समय हमारे दो एसडीओ और दो वार्डन चार जगहों पर अपने टीम के साथ मुस्तैद रहेंगे, ताकि किसी भी तरह की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जा सके.
-अनिल पटेल, डीएफओ