लखीमपुर खीरी: जिले में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की टीचर्स ने अपना स्कूल खुद पेंट कर डाला. कोरोना काल में योगी सरकार में बेसिक शिक्षा विभाग में मिली पोस्टिंग में स्कूल में आई नई टीचर्स ने प्रिंसिपल के साथ मिलकर स्कूल का कायाकल्प कर दिया. स्कूल की दीवारों पर पहाड़, रेगिस्तान, समुन्दर जंगल के चित्र बना दिए गए हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल का नया रंग देखकर खुश हैं. उनका पढ़ाई में भी खूब मन लग रहा है. स्कूल की प्रिंसिपल ऋतु अवस्थी कहती है "कोरोना काल मे हमने अपना खाली समय को स्कूल को संवारने में लगाया. नया एनर्जेटिक और टैलेंटड स्टाफ मिला तो मिलकर हमनें स्कूल को नया लुक दे दिया. क्लास रूम थीम बेस्ड हैं, जिससे बच्चों का मन खूब लग रहा."
कल्पनाओं को दीवारों पर उकेरा
राजापुर इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल में नवंबर महीने में पांच नई शिक्षिकाओं की योगी सरकार में भर्ती हुई. पोस्टिंग शहर से सटे स्कूल में मिली. स्कूल में आई नई पांचो शिक्षिकाओं की टीम जब स्कूल में तैनात अकेली प्रिंसिपल ऋतु अवस्थी से मिलीं तो स्कूल में कुछ नया करने की ठानी. स्कूल की प्रिंसिपल ऋतु अवस्थी कहती हैं "कोविड पीरियड में हम गांव में बच्चों को घर-घर जाकर होमवर्क देते थे. इसी बीच हमे पांच नए टीचर्स का स्टाफ मिल गया. नया स्टाफ टैलेंटेड था, एनर्जेटिक भी. इनके हिडेन टैलेंट को हमें देखना भी था सो हमने एक दिन तय किया कि जब तक बच्चे नहीं आ रहे तब तक हम स्कूल को कोई नया लुक देते हैं. हमने पहले से थीम बेस्ड क्लासरूम्स की कल्पना कर रखी थी. सो उन्हें नए स्टाफ की मदद से उन कल्पनाओं को दीवारों पर ब्रश और रंगों से उतारना शुरू कर दिया. जब बच्चे स्कूल आए तो बच्चे बेहद खुश थे. उनके लिए ये नया अनुभव कभी पहाड़ों में कभी ओशियन में कभी रेगिस्तान में बैठना. बच्चों से बड़ा पॉजिटिव रेस्पॉन्स मिल रहा इस प्रयोग से."
दिवारों पर समंदर में रहने वाले जीवों के चित्र
स्कूल में आई नई टीचर जूली गौतम क्लास दिखाते हुए कहती हैं कि "ये पांचवी क्लास है. हमने इसे एक्वेटिक लाइफ थीम दिया है. इसमें समंदर में रहने वाले जीव, बादल, बर्फ और मछलियां, जेली फिश केकड़ा सब बनाया. बच्चे इसको देख जानते है कि समुंद्री जीवन कैसा होता है. बच्चे इन्हें देखते हैं, सोंचते हैं, फील करते हैं और सीखते हैं. इससे उनमें बेहतर समझ विकसित होती है.
शिक्षिकाओं ने खुद की पेंटिंग
स्कूल की टीचर दिव्या गौतम कहती हैं "हमनें पेंटर से पेंटिग नहीं कराई क्योंकि पेंटर वो नहीं जान सकता जो हम जानते हैं. बच्चे क्या चाहते हैं वो हम टीचर ही जान सकते हैं. इसीलिए हमने खुद पेंटिंग की. टीचर शिवानी श्रीवास्तव कहती हैं "हम जब स्कूल में आए तो बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर्स की निगेटिव बनी इमेज हमारे दिमाग में भी थी. पर हमें इसे तोड़ना था. स्कूल में आकर विभाग के बारे में हमने जाना. हमनें सोचा कि जब सब इतना बढ़िया है तो क्यों न हम और बढ़िया करें. अब विभाग में जो नई पीढ़ी आ रही वो काम करना चाहती है. बदलाव भी. हमनें मिलकर ये पेंटिग्स बनाई. बच्चों के लिए सवाल भी उकेरे."