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लखीमपुर: किसानों के धान भुगतान पर सरकारी सत्यापन का ग्रहण

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Published : Dec 5, 2019, 7:39 PM IST

लखीमपुर खीरी जिले में किसानों का भुगतान नहीं हो रहा है. सरकारी अफसरों का सत्यापन न हो पाने से उनके भुगतान में विलम्ब हो रहा है. किसानों का कहना है कि सत्यापन के लिए बार-बार दौड़ाया जा रहा है.

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किसानों के धान पेमेंट पर सरकारी 'सत्यापन' का ग्रहण

लखीमपुर: यूपी में किसानों से सरकार ने धान तो खरीद लिया पर दो महीने बाद भी किसान भुगतान के लिए भटक रहे हैं. किसानों के धान भुगतान पर सरकारी अफसरों का न तो सत्यापन हो पा रहा और न किसानों को भुगतान मिल पा रहा है. इसके कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सत्यापन के लिए बार-बार दौड़ाया जा रहा है. अफसर कह रहे हैं कि बिना सत्यापन भुगतान नहीं होगा.

किसानों के धान भुगतान पर सरकारी सत्यापन का ग्रहण.
किसानों का नहीं हो रहा भुगतान
  • यूपी में सरकारी धान खरीद के लिए इस बार ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी.
  • किसानों को पहले पोर्टल पर जाकर बिक्री के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना था.
  • सत्यापन और खरीद के आनन-फानन में खरीद एजेंसी और मिलों की मिलीभगत से धान खरीद कर ली गई.
  • सरकारी क्रय केंद्रों पर तो इक्का-दुक्का किसानों की ही खरीद हुई, पर कागजों पर आधा धान का लक्ष्य पा लिया गया.
  • किसान अब कभी एडीएम तो कभी डीएम के दफ्तर जा रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
  • फूलबेहड़ इलाके के किसान वीरेंद्र कुमार रामनगर खुर्द गांव के रहने वाले हैं.
  • 50 क्विंटल धान अलीगंज सेंटर पर बेचा था. दो महीने हो गए, धान का भुगतान नहीं हुआ.
  • अब सत्यापन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, लेकिन सत्यापन हो नहीं पा रहा.
  • धान खरीद की व्यवस्था सरकार ने यह की थी कि सरकारी क्रय केंद्र पर धान खरीदा जाना था.
  • उसके बाद यह धान राइस मिलर्स के यहां जाता है.
  • धान की कुटाई होती है, फिर यह चावल एफसीआई गोदाम भेजा जाता है.

  • क्रय केंद्रों पर तो धान खरीदा नहीं गया, सीधे मिल मालिकों के यहां किसानों को भेजकर थान खरीद करा दी गई.

लखीमपुर: यूपी में किसानों से सरकार ने धान तो खरीद लिया पर दो महीने बाद भी किसान भुगतान के लिए भटक रहे हैं. किसानों के धान भुगतान पर सरकारी अफसरों का न तो सत्यापन हो पा रहा और न किसानों को भुगतान मिल पा रहा है. इसके कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सत्यापन के लिए बार-बार दौड़ाया जा रहा है. अफसर कह रहे हैं कि बिना सत्यापन भुगतान नहीं होगा.

किसानों के धान भुगतान पर सरकारी सत्यापन का ग्रहण.
किसानों का नहीं हो रहा भुगतान
  • यूपी में सरकारी धान खरीद के लिए इस बार ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी.
  • किसानों को पहले पोर्टल पर जाकर बिक्री के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना था.
  • सत्यापन और खरीद के आनन-फानन में खरीद एजेंसी और मिलों की मिलीभगत से धान खरीद कर ली गई.
  • सरकारी क्रय केंद्रों पर तो इक्का-दुक्का किसानों की ही खरीद हुई, पर कागजों पर आधा धान का लक्ष्य पा लिया गया.
  • किसान अब कभी एडीएम तो कभी डीएम के दफ्तर जा रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
  • फूलबेहड़ इलाके के किसान वीरेंद्र कुमार रामनगर खुर्द गांव के रहने वाले हैं.
  • 50 क्विंटल धान अलीगंज सेंटर पर बेचा था. दो महीने हो गए, धान का भुगतान नहीं हुआ.
  • अब सत्यापन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, लेकिन सत्यापन हो नहीं पा रहा.
  • धान खरीद की व्यवस्था सरकार ने यह की थी कि सरकारी क्रय केंद्र पर धान खरीदा जाना था.
  • उसके बाद यह धान राइस मिलर्स के यहां जाता है.
  • धान की कुटाई होती है, फिर यह चावल एफसीआई गोदाम भेजा जाता है.

  • क्रय केंद्रों पर तो धान खरीदा नहीं गया, सीधे मिल मालिकों के यहां किसानों को भेजकर थान खरीद करा दी गई.
Intro:लखीमपुर- यूपी में किसानों से सरकार ने धान तो खरीद लिया पर पर दो महीने बाद भी किसान पेमेंट के लिए भटक रहे हैं। किसानों के धान पेमेंट पर सरकारी अफसरों के सत्यापन का ग्रहण लग गया है। जो हटने का नाम नहीं ले रहा। न सत्यापन हो पा रहा न किसानों को पेमेंट। हाल ये है कि किसान मारे मारे घूम रहे।
किसानों का कहना है कि सत्यापन के लिए बार बार दौड़ाया जा रहा। जबकि अफसर कह रहे बिना सत्यापन पेमेंट नहीं होगा।



Body:यूपी में सरकारी धान खरीद के लिए इस बार ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी किसानों को पहले पोर्टल पर जाकर बिक्री के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना था उसके बाद सत्यापन और फिर खरीद पर आनन-फानन में धान खरीद के लक्ष्य को पाने के लिए खरीद एजेंसी और मिलों की मिलीभगत से धान खरीद कर ली गई सरकारी क्रय केंद्रों पर तो इक्का-दुक्का किसानों की ही खरीद हुई पर कागजों पर जरूर आधा धान का लक्ष्य पा लिया गया। इधर किसान अब मारे मारे फिर रहे हैं कभी वह एसडीएम दफ्तर जाते हैं कभी एडीएम और कभी डीएम के दफ्तर पर कहीं कोई सुनवाई नहीं है। तहसीलों के चक्कर लगाते लगाते हैं उनके जूते कैसे जा रहे हैं पर अफसरों के कान पर जूं नहीं रेंग रही।
फूलबेहड़ इलाके के किसान वीरेंद्र कुमार रामनगर खुर्द गांव के रहने वाले हैं 50 कुंतल धान अलीगंज सेंटर पर बेचा था पर दो महीने हो गए,धान का पेमेंट नहीं मिला है। अब सत्यापन के लिए मारे मारे फिर रहे हैं लेकिन सत्यापन हो नहीं पा रहा। बसंती पुर गांव के रहने वाले किसान देवेंद्र सिंह का भी हाल ऐसा ही है ढाई सौ कुंतल धान मिल में बेचा था एफसीआई एजेंसी ने मिल प्रधान बिकवा दिया था पर अब पेमेंट के लिए कह रहे हैं तो मिल वाले कह रहे हैं कि सत्यापन करा कर लाओ आप किसान हाथ में कागज दिए भटकते फिर रहे हैं। छप्पर तला गांव के किसान लखविंदर सिंह ने भी गोला राइस मिल में 200 कुंटल धान बेचा था। पर अब मिल मालिक कह रहा है कि सत्यापन करा कर लाओ तभी पेमेंट होगा तभी से जूते घिस रहे हैं। कभी इस अफसर के यहां तो कभी उस अफसर के यहां पर सत्यापन नहीं हो रहा।



Conclusion:खरीद एजेंसियों और मिल मालिकों की सांठगांठ से हो गई खरीद
दरअसल धान खरीद की व्यवस्था सरकार ने यह की थी की सरकारी क्रय केंद्र पर धान खरीदा जाना था उसके बाद यह ध्यान उठकर राइस मिलर्स के यहां जाता है जहां इसकी कुटाई होती है फिर यह चावल एफसीआई गोदाम भेजा जाता है। पर इसी क्रय केंद्र एजेंसियों पर खरीद और मिल मालिकों के यहां धान ले जाने में भी बड़ा खेल हो गया है। क्रय केंद्रों पर तो धान खरीदा नहीं गया सीधे मिल मालिकों के यहां यह किसानों को भेजकर थान खरीद करा दी गई। बाद में कागजों का पेट भर कर क्रय केंद्र एजेंसी और मिल मालिकों ने भाड़ा भी हड़प कर लिया। वही किसान अब सत्यापन के नाम पर भटके भटके घूम रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनको गेहूं बोना है। बच्चों की फीस जमा करनी है। बीमारी का काफी खर्च उठाना है। घर के खर्चे अलग हैं। वहीं बैंकों से आरसी आ रही है अब वह करें तो करें क्या? धान की पेमेंट भी फंस गई है और गन्ने का पेमेंट मिल नहीं रहा ऐसे में किसान पशोपेश में है।
एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि बिना सत्यापन के धान खरीद नहीं हो सकती। क्योंकि बीच में कई दलाल भी सक्रिय हैं।जो किसानों के नाम पर किसानों से मिलकर मिलो में धान में चुके। इसीलिए थोड़ी सतर्कता बरती जा रही है। जो ओरिजिनल किसान होंगे। उनका पेमेंट जल्द सत्यापन कराकर करवा दिया जाएगा।
किसानों से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता प्रशान्त पाण्डेय
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