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'वर्टिकल बड' तकनीक से लगाएं गन्ना, कम लागत में पाएं ज्यादा पैदावार - लखीमपुर खीरी समाचार

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती करने की शुरुआत एक किसान ने की है. किसान का दावा है कि इस तकनीक से कम बीज के साथ कम लागत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है.

'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोते किसान.
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Published : Oct 6, 2019, 11:41 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 9:35 AM IST

लखीमपुर: यूपी के खीरी जिले में एक किसान ने 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती कर किसानों को नई दिशा दी है. दरअसल 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने को खड़ा बोया जाता है. इस तकनीकि से एक गन्ने की आंख से लगभग 20 गन्ने निकलते हैं, जो किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होती जा रही है. इस तकनीक से फसल में 70 फीसदी तक कम पानी लगता है.

नैचुरल खेती की विधि है वर्टिकल बड
किसान दिल्जिन्दर ने बताया आम तौर पर गन्ना यूं तो जमीन में होरिजेंटल यानि कि बेड़ा बोया जाता है. पर 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना कूंड में ऊपर बोया जाता है, वो भी खड़ी गुल्ली के रूप में. इसके पीछे लॉजिक है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की आवश्यकता होती है. इसको बढ़ने के लिए हवा, पानी, जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी है.

'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती करने से मिलेगा बेहतर लाभ.

चार पांच कुंतल बीज में बोया जाता है एक एकड़ में गन्ना
गुल्ली विधि यानी 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ना बोने के लिए सिर्फ चार पांच कुंतल बीज ही लगता है, जबकि साधारण रेजर या ट्रेंच से गन्ना बोने में एक एकड़ खेत के लिए 35 से 40 कुंतल गन्ने के बीज की आवश्यकता पड़ती है.

एक एकड़ में लगती है 40 हजार गुल्ली
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट बड़ा ही कैल्कुलेटेड कॉन्सेप्ट है. इस विधि से गन्ना बोने से एक एकड़ में चार हजार 'बड' यानी गन्ने की आंखे खेत में बोई जाती हैं. किसान दिल्जिन्दर कहते हैं कि सूर्य की रोशनी और पानी का मैनेजमेंट गन्ने को और अधिक अच्छी तरह से बढ़ने का मौका देती है. इस विधि से मिलिनयेबल केन अधिक स्वस्थ होते हैं. वजन भी ज्यादा होता है.

पानी की खपत भी है 70 फीसदी से कम
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट से गन्ने की फसल में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है. रो-टू-रो की दूरी अधिक होने से पानी कम से कम लगता है, जबकि सामान्य या ट्रेंच विधि से गन्ना बोने में पानी की खपत ज्यादा होती है.

इंटर क्रॉपिंग के लिए भी बहु उपयोगी है खड़ी गुल्ली तकनीक
'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोने में किसान दो लाइनों के बीच में इंटर क्रॉपिंग भी खूब कर सकते हैं. किसान चाहें उसके बीच में सब्जी की बुआई कर लें, चाहे कोई छोटी दलहनी फसल. इससे किसान दोहरा फायदा ले सकते हैं और किसान की आय दोगुनी करने में यह विधि सबसे कारगर साबित हो रही है. 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना लाइन से लाइन साढ़े चार से पांच फुट की दूरी पर बोया जाता है.

लखीमपुर: यूपी के खीरी जिले में एक किसान ने 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती कर किसानों को नई दिशा दी है. दरअसल 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने को खड़ा बोया जाता है. इस तकनीकि से एक गन्ने की आंख से लगभग 20 गन्ने निकलते हैं, जो किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होती जा रही है. इस तकनीक से फसल में 70 फीसदी तक कम पानी लगता है.

नैचुरल खेती की विधि है वर्टिकल बड
किसान दिल्जिन्दर ने बताया आम तौर पर गन्ना यूं तो जमीन में होरिजेंटल यानि कि बेड़ा बोया जाता है. पर 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना कूंड में ऊपर बोया जाता है, वो भी खड़ी गुल्ली के रूप में. इसके पीछे लॉजिक है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की आवश्यकता होती है. इसको बढ़ने के लिए हवा, पानी, जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी है.

'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती करने से मिलेगा बेहतर लाभ.

चार पांच कुंतल बीज में बोया जाता है एक एकड़ में गन्ना
गुल्ली विधि यानी 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ना बोने के लिए सिर्फ चार पांच कुंतल बीज ही लगता है, जबकि साधारण रेजर या ट्रेंच से गन्ना बोने में एक एकड़ खेत के लिए 35 से 40 कुंतल गन्ने के बीज की आवश्यकता पड़ती है.

एक एकड़ में लगती है 40 हजार गुल्ली
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट बड़ा ही कैल्कुलेटेड कॉन्सेप्ट है. इस विधि से गन्ना बोने से एक एकड़ में चार हजार 'बड' यानी गन्ने की आंखे खेत में बोई जाती हैं. किसान दिल्जिन्दर कहते हैं कि सूर्य की रोशनी और पानी का मैनेजमेंट गन्ने को और अधिक अच्छी तरह से बढ़ने का मौका देती है. इस विधि से मिलिनयेबल केन अधिक स्वस्थ होते हैं. वजन भी ज्यादा होता है.

पानी की खपत भी है 70 फीसदी से कम
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट से गन्ने की फसल में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है. रो-टू-रो की दूरी अधिक होने से पानी कम से कम लगता है, जबकि सामान्य या ट्रेंच विधि से गन्ना बोने में पानी की खपत ज्यादा होती है.

इंटर क्रॉपिंग के लिए भी बहु उपयोगी है खड़ी गुल्ली तकनीक
'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोने में किसान दो लाइनों के बीच में इंटर क्रॉपिंग भी खूब कर सकते हैं. किसान चाहें उसके बीच में सब्जी की बुआई कर लें, चाहे कोई छोटी दलहनी फसल. इससे किसान दोहरा फायदा ले सकते हैं और किसान की आय दोगुनी करने में यह विधि सबसे कारगर साबित हो रही है. 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना लाइन से लाइन साढ़े चार से पांच फुट की दूरी पर बोया जाता है.

Intro:लखीमपुर-यूपी के खीरी जिले में एक किसान खड़ा गन्ना बोता है। उसका गन्ना भी लट्ठ बराबर होता है। जी हाँ इस किसान की 'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोआई में मील का पत्थर साबित होती जा रही। खास बात ये है कि इस तकनीक से फसल में 70 फीसदी तक कम पानी लगता है।
वीओ1-अपने खेत मे खड़े गन्ने गिन रहे ये हैं दिल्जिन्दर सहोता। दिल्जिन्दर के ये गन्ने एक आँख यानी एक बड से निकले हैं। सभी गन्ने इतने स्वस्थ हैं कि लट्ठ बराबर। जी हाँ दिल्जिन्दर ने गन्ना बोआई की नई तकनीक शुरू की है। इस तकनीक को 'वर्टिकल बड'तकनीक यानी कि खड़ी गुल्ली विधि कहते हैं। सूखे खेत में नालियों में पानी लगाकर ये गन्ना लगाया जाता है।


Body:नेचुरल खेती की विधि है वर्टिकल बड
दिल्जिन्दर कहते हैं आम तौर पर गन्ना यूँ तो जमीन में होरिजेंटल यानी कि बेड़ा बोया जाता है। गन्ने के बीज को मिट्टी से ढक दिया जाता है। पर 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना कूंड में ऊपर बोया जाता है। वो भी खड़ी गुल्ली के रूप में। इसके पीछे लॉजिक है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की आवश्यकता होती है। इसको बढ़ने के लिए हवा पानी जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी।
चार पाँच कुंतल बीज में बो जाता है एक एकड़ में गन्ना
गुल्ली विधि यानी 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ना बोने के लिए सिर्फ चार पाँच कुंतल बीज ही लगता है। जबकि साधारण रेजर या ट्रेंच से गन्ना बोने में एक एकड़ खेत के लिए 35 से 40 कुंतल गन्ने के बीज की आवश्यकता पड़ती है। इस लिहाज से भी 30 से 35 कुंतल बीज की बचत बड़ी बचत होती है।
एक एकड़ में लगती है 40 हजार गुल्ली
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट बड़ा ही कैल्कुलेटेड कॉन्सेप्ट है। इस विधि से गन्ना बोने से एक एकड़ में चार हजार 'बड' तानी गन्ने की आँखे खेत में बोई जाती हैं। इन चार हजार आंखों से अगर हर आँख से 10 गन्ने भी निकल आए और हर गन्ने का वजन एक किलो भी हो गया तो चार सौ कुंतल वजन हो जाता है। वैसे इस तकनीक से गन्ना बोने में अगर 10 से ऊपर जितने भी गन्ने निकलते हैं उस अनुपात में किसान की उपज बढ़ती है। और अगर हर गन्ने का वजन दो किलो हो गया तो औसत उपज प्रति एकड़ 800 कुंतल तक जा सकती। दिल्जिन्दर कहते है। सूर्य की रोशनी और पानी का मैनेजमेंट गन्ने को और अधिक अच्छी तरह से बढ़वार का मौका देती है। इस विधि से मिलिनयेबल केन अधिक स्वस्थ होते हैं। वजन भी ज्यादा होता।




Conclusion:पानी की खपत भी है 70 फीसदी से कम
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट से गन्ने की फसल में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है। रो टू रो की दूरी अधिक होने से पानी कम से कम लगता है। जबकि सामान्य या ट्रेंच विधि से गन्ना बोने में पानी की खपत ज्यादा होती है। दिल्जिन्दर कहते हैं,पानी आने वाले समय मे बड़ी चुनौती बनती जा रही खेती के लिए। पर गन्ना बोने की ये तकनीक न केवल फार्मर्स फ्रेंडली है बल्कि इको फ्रेंडली भी। भूगर्भ जल बचाने में ये तकनीक बहुत मुफीद साबित हो रही। इस तकनीक से गन्ना बोने में केवल गन्ने के पौधे को नमी दी जाती पानी से पौधे को दूर रखा जाता।
-इंटर क्रॉपिंग के लिए भी बहु उपयोगी है खड़ी गुल्ली तकनीक
'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोने में किसान दो लाइनों के बीच में इंटर क्रॉपिंग भी खूब कर सकते हैं। किसान चाहें सब्जी बोलें चाहें कोई छोटी दलहनी फसल। इससे किसान दोहरा फायदा ले सकते हैं और किसान की आय दोगुनी करने में यह विधि सबसे कारगर साबित हो रही है। 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना लाइन से लाइन 4:30 से 5 फुट की दूरी पर बोया जाता है और बड टू बड यानी आँख से आँख की दूरी भी दो से चार फीट दूरी पर रखी जाती जिससे बीज कम लगता वहीं गन्ने को खभने यानी टिलरिंग के लिए खूब स्पेस मिलता है। इससे जो गन्ने निकलते वो स्वस्थ होते हैं और वजनदार भी।

'वर्टिकल बड कांसेप्ट से गन्ना आम किसान नहीं करते। थोड़ा ध्यान ज्यादा देना पड़ता है। इसमें बीज सामान्य तकनीक की अपेक्षा एक चौथाई से भी कम पड़ता है। दूरी ज्यादा रखने से गन्ने को हवा पानी और धूप भरपूर मिलती है। इससे टिलरिंग ज्यादा होती है। एक एक आँख से 10 से ज्यादा गन्ने किसान ले सकते हैं।
इससे उसका उत्पादन ज्यादा होता और खर्च कम।'
डॉ मोहम्मद सोहेल(कृषि वैज्ञानिक,चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय,कानपुर)


बाइट दिल्जिन्दर सहोता(प्रगतिशील किसान)
बाइट-दिल्जिन्दर सहोता(प्रगतिशील किसान)
बाइट-डॉ मोहम्मद सोहेल(कृषि वैज्ञानिक,सीएसए)
पीटीसी-प्रशान्त पाण्डेय



प्रशान्त पाण्डेय
लखीमपुर
9984152598
Last Updated : Oct 9, 2019, 9:35 AM IST
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