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नौ सालों तक स्कूल में पढ़ाता रहा फर्जी शिक्षक, अचानक हुआ गायब

यूपी के लखीमपुर खीरी में एक शिक्षक नौ सालों तक पढ़ाता रहा पर अब विभाग को उसका पता नहीं चल रहा. 2018 से शिक्षक अचानक गायब हो गया. विभाग शिक्षक को ढूंढता फिर रहा है. फिलहाल जांच के बाद बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने शिक्षक को बर्खास्त कर दिया है.

शिक्षा विभाग
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Published : Dec 10, 2020, 5:21 PM IST

लखीमपुर खीरी: जिले में 21 दिसम्बर 2009 को राजेश कुमार पुत्र छैलबिहारी निवासी संतकबीरनगर का चयन सहायक अध्यापक के रूप में हुआ था. राजेश कुमार को ईसानगर ब्लॉक के महेवा स्कूल में नियुक्ति भी मिल गई. बीएसए बुद्धप्रिय सिंह के मुताबिक 27 फरवरी 2018 को महेवा स्कूल के सहायक अध्यापक ने पत्र भेजकर उन्हें बताया कि राजेश कुमार 27 फरवरी 2018 से बिना सूचना के गायब हैं. इस मामले की बीएसए ने जांच शुरू की. छह मार्च 2018 को बच्चों की ड्रेस सिलने वाले टेलर से पता चला कि राजेश कुमार की सड़क दुर्घटना में बहराइच में मौत हो गई है. बीएसए ने चार अप्रैल 2018 को राजेश के गृह जनपद सन्तकबीरनगर के पते पर रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा तो वो भी वापस आ गया. डाकिया ने लिखा कि जमीरा गांव में राजेश कुमार पुत्र छैल बिहारी नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है.

एसटीएफ को भी है राजेश की तलाश

यूपी में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाए मुन्नाभाई शिक्षकों की जांच कर रही एसटीएफ को भी राजेश की तलाश है. नौ सालों तक राजेश कुमार के नाम से महेवा स्कूल में नौकरी करता रहा शख्स आखिर कौन था, इसकी पड़ताल एसटीएफ भी कर रही है. एसटीएफ की जांच लिस्ट में 65वें नम्बर पर राजेश कुमार का भी फर्जी शिक्षकों में नाम है. अंदेशा है कि इसी डर से राजेश के दस्तावेजों पर नौकरी कर रहा मुन्नाभाई फरार हो गया है.


आखिर कौन करता रहा राजेश के नाम पर नौकरी

ईसानगर ब्लॉक के महेवा स्कूल में राजेश कुमार के नाम पर आखिर कौन वह शख्स था जो नौ सालों तक नौकरी करता रहा और पगार भी लेता रहा? विभाग भी इसका पता लगाने में जुटा है. वहीं एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच कर रहा है. राजेश ने अपनी सेवा पंजिका में जो पता दिया था, उस पते पर कोई व्यक्ति नहीं मिल रहा. राजेश और उसके पिता के नाम का कोई भी शख्स उस गांव में रहता ही नहीं है. अब विभाग के सामने बड़ा सवाल यह है कि आखिर नौ सालों तक फर्जी दस्तावेजों पर कौन राजेश कुमार बनकर नौकरी करता रहा और पगार भी लेता रहा.

होगी वसूली की कार्रवाई

बीएसए बुद्धप्रिय सिंह का कहना है कि राजेश कुमार का पता लगाने उनके गांव भेजा गया था. जांच में इस नाम का कोई भी शख्स उस गांव में नहीं मिला. इसलिए राजेश कुमार की नियुक्ति फर्जी निवास प्रमाण पत्र और शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर पाई गई. राजेश कुमार की नियुक्ति शून्य घोषित करते हुए उनकी सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. वित्त एवं लेखा अधिकारी को भी पत्र भेजकर राजेश कुमार को दी गई धनराशि का आकलन करने के लिए कहा गया है, जिससे वसूली की कार्रवाई की जा सके.

लखीमपुर खीरी: जिले में 21 दिसम्बर 2009 को राजेश कुमार पुत्र छैलबिहारी निवासी संतकबीरनगर का चयन सहायक अध्यापक के रूप में हुआ था. राजेश कुमार को ईसानगर ब्लॉक के महेवा स्कूल में नियुक्ति भी मिल गई. बीएसए बुद्धप्रिय सिंह के मुताबिक 27 फरवरी 2018 को महेवा स्कूल के सहायक अध्यापक ने पत्र भेजकर उन्हें बताया कि राजेश कुमार 27 फरवरी 2018 से बिना सूचना के गायब हैं. इस मामले की बीएसए ने जांच शुरू की. छह मार्च 2018 को बच्चों की ड्रेस सिलने वाले टेलर से पता चला कि राजेश कुमार की सड़क दुर्घटना में बहराइच में मौत हो गई है. बीएसए ने चार अप्रैल 2018 को राजेश के गृह जनपद सन्तकबीरनगर के पते पर रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा तो वो भी वापस आ गया. डाकिया ने लिखा कि जमीरा गांव में राजेश कुमार पुत्र छैल बिहारी नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है.

एसटीएफ को भी है राजेश की तलाश

यूपी में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाए मुन्नाभाई शिक्षकों की जांच कर रही एसटीएफ को भी राजेश की तलाश है. नौ सालों तक राजेश कुमार के नाम से महेवा स्कूल में नौकरी करता रहा शख्स आखिर कौन था, इसकी पड़ताल एसटीएफ भी कर रही है. एसटीएफ की जांच लिस्ट में 65वें नम्बर पर राजेश कुमार का भी फर्जी शिक्षकों में नाम है. अंदेशा है कि इसी डर से राजेश के दस्तावेजों पर नौकरी कर रहा मुन्नाभाई फरार हो गया है.


आखिर कौन करता रहा राजेश के नाम पर नौकरी

ईसानगर ब्लॉक के महेवा स्कूल में राजेश कुमार के नाम पर आखिर कौन वह शख्स था जो नौ सालों तक नौकरी करता रहा और पगार भी लेता रहा? विभाग भी इसका पता लगाने में जुटा है. वहीं एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच कर रहा है. राजेश ने अपनी सेवा पंजिका में जो पता दिया था, उस पते पर कोई व्यक्ति नहीं मिल रहा. राजेश और उसके पिता के नाम का कोई भी शख्स उस गांव में रहता ही नहीं है. अब विभाग के सामने बड़ा सवाल यह है कि आखिर नौ सालों तक फर्जी दस्तावेजों पर कौन राजेश कुमार बनकर नौकरी करता रहा और पगार भी लेता रहा.

होगी वसूली की कार्रवाई

बीएसए बुद्धप्रिय सिंह का कहना है कि राजेश कुमार का पता लगाने उनके गांव भेजा गया था. जांच में इस नाम का कोई भी शख्स उस गांव में नहीं मिला. इसलिए राजेश कुमार की नियुक्ति फर्जी निवास प्रमाण पत्र और शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर पाई गई. राजेश कुमार की नियुक्ति शून्य घोषित करते हुए उनकी सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. वित्त एवं लेखा अधिकारी को भी पत्र भेजकर राजेश कुमार को दी गई धनराशि का आकलन करने के लिए कहा गया है, जिससे वसूली की कार्रवाई की जा सके.

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