लखीमपुर खीरी : जिले में सोमवार को एक और तेंदुए की मौत हो गई. पिछले 20 दिनों में तीन बाघ और 2 तेंदुओं की मौत हो चुकी है. लगातार हो रही मौतों से वन विभाग और दुधवा टाइगर रिजर्व के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े होने लगे हैं. वन विभाग के अधिकारी तेंदुओं की मौत को इंफाइटिंग (आपसी लड़ाई) बता रहे हैं.
सोमवार की सुबह दक्षिण खीरी वन प्रभाग के गोला रेंज के गदियाना गांव में गन्ने के खेत में एक तेंदुए का शव पड़ा मिला. आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ जुट गई. जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम पहुंच गई. टीम ने तेंदुए के शव को कब्जे में ले लिया.
डीएफओ दक्षिण खीरी वन प्रभाग संजय बिस्वाल ने बताया कि तेंदुए का शव मिला है. जांच की जा रही है. शरीर पर किसी तरह की बाहरी चोट नहीं दिख रही है. पोस्टमार्टम कराया जाएगा. प्रथम दृष्टया इंफाइटिंग का केस लग रहा है.
वाइल्ड लाइफ के जानकार मोहम्मद शकील कहते हैं कि इंफाइटिंग (आपसी लड़ाई) होती है लेकिन हर तेंदुए की मौत की वजह इसे नहीं ठहराया जा सकता है. दुधवा टाइगर रिजर्व दक्षिण श्रीवन प्रभाव और बफर जोन को मिलाया जाए तो तीनों में ही पिछले 20 दिनों में तीन बाघ और 2 तेंदुए की मौत हो चुकी है. दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन में 21 अप्रैल को एक बाघ की मौत हुई थी. इसके बाद 31 मई को ही बफर जोन के निघासन रेंज में एक बाघ की मौत की खबर आई. इसके तीन दिन बाद ही मैलानी रेंज के रामपुर धखैया गांव में एक बाघिन की मौत हो गई. इसके बाद तीन दिन ही बीते थे कि दक्षिण खीरी वन प्रभाग में एक तेंदुए का शव मिल गया।
डीएफओ संजय बिस्वाल का कहना है तेंदुआ मेल है. उम्र करीब तीन साल है. पोस्टमार्टम से मौत की वजह पता चलेगी. वहीं रामपुर धखैया में शुक्रवार रात को जंगल से निकलकर गांव में घुसी बाघिन की मौत की आधिकारिक रिपोर्ट आईवीआरआई बरेली से नहीं मिली है. पोस्टमार्टम करने वालों का दावा है कि बाघिन का पेट खाली था. वह भोजन की तलाश में थी. बाघिन ने वन विभाग की जीप पर हमला भी किया था. बाघिन भी दो साल की थी. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर बी प्रभाकर ने बताया कि जंगल में गश्त और बाघों और वन्यजीवों की गतिविधि पर नजर रखने के लिए स्टाफ को सचेत किया गया है.
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