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नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र

वह अत्यंत जुझारू प्रवृत्ति के नेता थे. किसानों की आवाज सदन में प्रमुखता से उठाना उनकी पहचान बन गई थी. लोकसभा सीट से वर्ष 1991 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए पं. रामनगीना मिश्र वह शख्स थे जिन्होंने वर्ष 1989 में सलेमपुर से कांग्रेस का सांसद रहते हुए भी लोकसभा में राम मंदिर के लिए प्रस्ताव रखा था.

नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र
नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र
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Published : Dec 16, 2021, 7:21 PM IST

कुशीनगर : छह बार सांसद एवं चार बार विधायक रह चुके पंडित रामनगीना मिश्र का 93 वर्ष की उम्र में उनके लखनऊ स्थित आवास पर गुरुवार सुबह निधन हो गया.

पंडित रामनगीना मिश्र वर्ष 1972 से 75 तक जिले की सेवरही विधानसभा से उपचुनाव में जीतकर विधानसभा सदस्य रहे. सातवीं व आठवीं लोकसभा कार्यकाल में देवरिया जनपद की सलेमपुर सीट से सांसद रहे. 10वीं, 11वीं, 12वीं तथा 13वीं लोकसभा में लगातार कुशीनगर की पडरौना सीट से निर्वाचित होते रहे.

नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र
नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र

वह अत्यंत जुझारू प्रवृत्ति के नेता थे. किसानों की आवाज सदन में प्रमुखता से उठाना उनकी पहचान बन गई थी. लोकसभा सीट से वर्ष 1991 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए पं. रामनगीना मिश्र वह शख्स थे जिन्होंने वर्ष 1989 में सलेमपुर से कांग्रेस का सांसद रहते हुए भी लोकसभा में राम मंदिर के लिए प्रस्ताव रखा था.

यह भी पढ़ें : भाजपा नेता शकुंतला भारती बोलीं- ज्यादा बच्चे पैदा करना है तो गुफरान नूर पाकिस्तान चले जाएं

सांसद सहाबुद्दीन ने इस पर आपत्ति जताई तो रामनगीना मिश्र अयोध्या गए और वहां से साक्ष्य जुटाकर दोबारा सदन में रखा. बाद में इसी मुद्दे पर राजीव गांधी से टकराव के चलते लोकसभा की सदस्यता व कांग्रेस दोनों छोड़कर सियासी भूचाल ला दिया.

कांग्रेस नेता लोकपति त्रिपाठी के सगे रिश्तेदार होने के साथ-साथ नारायण दत्त तिवारी व जितेंद्र प्रसाद से घनिष्ठता के बावजूद कांग्रेस का टिकट तक ठुकरा दिया. अशोक सिंघल के साथ संघ दफ्तर पहुंचकर भाजपा में आ गए.

वर्ष 1991 से लेकर 2004 तक पडरौना से भाजपा के सांसद रहे. उनका कहना था कि अंतिम वक्त में मन की सबसे बड़ी इच्छा (राम मंदिर निर्माण) पूरा होना बेहद सुखद है.

कुशीनगर : छह बार सांसद एवं चार बार विधायक रह चुके पंडित रामनगीना मिश्र का 93 वर्ष की उम्र में उनके लखनऊ स्थित आवास पर गुरुवार सुबह निधन हो गया.

पंडित रामनगीना मिश्र वर्ष 1972 से 75 तक जिले की सेवरही विधानसभा से उपचुनाव में जीतकर विधानसभा सदस्य रहे. सातवीं व आठवीं लोकसभा कार्यकाल में देवरिया जनपद की सलेमपुर सीट से सांसद रहे. 10वीं, 11वीं, 12वीं तथा 13वीं लोकसभा में लगातार कुशीनगर की पडरौना सीट से निर्वाचित होते रहे.

नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र
नहीं रहे राम मंदिर निर्माण की पैरोकारी में 1989 में कांग्रेस सांसद पद से इस्तीफा देने वोले पंं. रामनगीना मिश्र

वह अत्यंत जुझारू प्रवृत्ति के नेता थे. किसानों की आवाज सदन में प्रमुखता से उठाना उनकी पहचान बन गई थी. लोकसभा सीट से वर्ष 1991 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए पं. रामनगीना मिश्र वह शख्स थे जिन्होंने वर्ष 1989 में सलेमपुर से कांग्रेस का सांसद रहते हुए भी लोकसभा में राम मंदिर के लिए प्रस्ताव रखा था.

यह भी पढ़ें : भाजपा नेता शकुंतला भारती बोलीं- ज्यादा बच्चे पैदा करना है तो गुफरान नूर पाकिस्तान चले जाएं

सांसद सहाबुद्दीन ने इस पर आपत्ति जताई तो रामनगीना मिश्र अयोध्या गए और वहां से साक्ष्य जुटाकर दोबारा सदन में रखा. बाद में इसी मुद्दे पर राजीव गांधी से टकराव के चलते लोकसभा की सदस्यता व कांग्रेस दोनों छोड़कर सियासी भूचाल ला दिया.

कांग्रेस नेता लोकपति त्रिपाठी के सगे रिश्तेदार होने के साथ-साथ नारायण दत्त तिवारी व जितेंद्र प्रसाद से घनिष्ठता के बावजूद कांग्रेस का टिकट तक ठुकरा दिया. अशोक सिंघल के साथ संघ दफ्तर पहुंचकर भाजपा में आ गए.

वर्ष 1991 से लेकर 2004 तक पडरौना से भाजपा के सांसद रहे. उनका कहना था कि अंतिम वक्त में मन की सबसे बड़ी इच्छा (राम मंदिर निर्माण) पूरा होना बेहद सुखद है.

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