कुशीनगर: सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजामों के बीच लोगों ने शब-ए-बारात शांतिपूर्ण तरीके से मनाया. शब-ए-बारात की रात मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कब्रिस्तान में अपने बुजुर्गों की कब्रों के पास खड़ा होकर फातिहा पढ़ा. मस्जिदों में लोगों ने इबादत अदाकर अपने गुनाहों की माफी भी मांगी. वहीं मुस्लिम महिलाओं ने घरों में नमाज अदा की. कुरान की तिलावत करके अल्लाह से सुकून व अमन के लिए दुआ की.
कोरोना संकट की वजह से लगी पाबंदियों के इस बार हटने से बड़ी संख्या में अकीदत मंदों ने मस्जिदों और मजारों को झालरों से सजाया. कब्रिस्तान में आने वाले लोगों ने अपने पूर्वजों की कब्रों पर मोमबत्तियां जलाकर फातिहा पढ़ा और कुरान की तिलावत की. इस दौरान जिले भर के कब्रिस्तानों और जरूरी स्थानों पर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम कर रखा था.
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दरअसल इस बार होली और शब-ए-बारात का पर्व एक साथ पड़ा. लेकिन बरसों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए दोनों समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे का भरपूर सहयोग किया. जिले में हिंदू-मुस्लिम ने होली और शब-ए-बारात के त्यौहार पर एकता की मिसाल पेश की. कुशीनगर कुबेर स्थान थाना क्षेत्र में अराजक तत्वों में साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश पहले कर चुके थे, जिसपर सूझबूझ दिखाते हुए लोगों ने अराजक तत्वों के मंसूबों पर पानी फेर दिया.
मोहम्मद आरिफ शाह ने बताया कि इस दिन अल्लाह की रहमतें बरसती हैं. पूरी रात अल्लाह को याद करते हैं और उनसे अपनी गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस रात दुआ और माफी दोनों ही अल्लाह मंजूर करता है और गुनाह से पाक कर देता है.
उन्होंने आगे बताया कि जो लोग पाप करके जहन्नुम में जी रहे होते हैं, उनको भी इस दिन उनके गुनाहों की माफी देकर जन्नत में भेज दिया जाता है. दूसरों के खिलाफ साजिश और दूसरे की जिंदगी का हक छीनने वालों को अल्लाह कभी माफ नहीं करता है. अगले दिन रोजा रखकर पिछली शब-ए-बारात से इस शब-ए-बारात तक के सभी गुनाहों से माफी मिल जाती है.
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