कुशीनगर: जनपद में रविवार को महात्मा बुद्ध की धरती पर उनकी करुणा की व्याख्या के बीच दो कविता संग्रहों का विमोचन हुआ. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर सदानन्द शाही भी उपस्थित रहे. सदानन्द शाही द्वारा लिखित कविता संग्रह 'माटी-पानी' और डा. भानू प्रताप सिंह द्वारा लिखित 'कविता के दुनिया के अ- नागरिक' के विमोचन के अवसर पर देश की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं. इस मौके पर प्रो. सदानन्द शाही से ईटीवी भारत ने उनके कविता संग्रह से जुड़े कई विषयों पर बातचीत की.
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कविता 'माटी-पानी' का किया बखान
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. सदानन्द शाही ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में अपने कविता संग्रह 'माटी-पानी' की व्याख्या की. उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध के करुणा की पूरे विश्व को आवश्यकता है. मैं अपने जीवन और रचनाओं में महात्मा बुद्ध से बहुत प्रेरित होता हूं. बुद्ध की धरती से ही ये संदेश दिया जा सकता है, इसी कारण इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
भोजपुरी कविता में राम और रावण का दिया उदाहरण
कविता संग्रह में एक भोजपुरी कविता राम और रावण से जुड़े एक प्रश्न पर प्रो. शाही ने कहा कि समाज के बीच एक मुहावरा प्रचलित है कि युद्ध और प्रेम में सब जायज है. यह पूरी तरह गलत है, ऐसा कहकर हम सफलता के लिए कुछ भी करने के प्रति आतुर हैं. यह चलन हमारे जीवन को, राजनीतिक चलन को और सामाजिक वातावरण में साफ दिखाई दे रहा है. सफलता से ज्यादा मूल्यवान सार्थकता है. राम और रावण की लड़ाई कविता के माध्यम से यही कहने का प्रयास किया गया है.
महात्मा बुद्ध के उपदेश को विश्व पटल पर लाने की कोशिश
कविता संग्रह की एक कविता 'भटनी जंक्शन' से जुड़े प्रश्न पर प्रो. सदानन्द शाही ने कहा कि 'बेनाम से' और 'अज्ञात शहर से' यादों का एक भावनात्मक रिश्ता अक्सर ही बन जाता है. उसे आजकल के भागम-भाग युग मे संजोकर रखने की आवश्यकता है. इस कविता के माध्यम से ऐसा ही कुछ कहने का प्रयास किया गया है. प्रो. सदानन्द शाही ने महात्मा बुद्ध के करुणा से जुड़े उपदेश को एक बार फिर से विश्व पटल पर लाने की कोशिश की है.