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Watch Video: कुशीनगर में पांच घंटे के ऑपरेशन के बाद काबू में आया मगरमच्छ

गंडक नदी से निकलकर एक मगरमच्छ कुशीनगर पहुंच गया, जिसे वन विभाग और मछुआरों ने 5 घंट तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर पकड़ा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 27, 2023, 1:20 PM IST

Forest Department rescues crocodile
Forest Department rescues crocodile
मगरमच्छ को काबू करने का वीडियो आया सामने.

कुशीनगरः नेपाल की पहाड़ियों से उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बहने वाली गंडक नदी मगरमच्छों और घड़ियालो कि पसंदीदा जगहों में मानी जाती है. लेकिन, कभी-कभी ये मगरमच्छ रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं, जिससे लोगों के जान का खतरा बना रहता है. ताजा मामला खड्डा थाना क्षेत्र की सिसवा गोपाल गांव का है. यहां शनिवार को एक रिहायशी इलाके के बीच स्थित पोखरे में मगरमच्छ पहुंच गया. जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम और स्थानीय मछुआरों ने 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू कर वापस नदी में छोड़ा.

दरअसल, सिसवा गोपाल के रहने वाले हरिओम जायसवाल ने गांव में एक पोखरा खोदवाया है. बरसात के समय नदी-नाले में पानी भरने से एक मगरमच्छ भटककर इस पोखरे में पहुंच गया. शनिवार को जब ग्रामीणों ने पोखरे में मगरमच्छ देखा तो उनके होश उड़ गए. सूचना पर पहुंचे वन विभाग के डिप्टी रेंजर और अन्य वन कर्मचारियों ने मछुआरों की बड़ी जाल से उसे पकड़ने का प्रयास किया. लेकिन वह जाल फाड़ कर बार-बार निकल जा रहा था. डिप्टी रेंजर अमित तिवारी ने बताया कि लगभग 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़कर गंडक नदी में सुरक्षित छोड़ गया.

गौरतलब है कि गंडक नदी में घड़ियाल व मगरमच्छ दोनों पाए जाते हैं. घड़ियाल की संख्या बढ़ाने के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बड़े पैमाने पर पुनर्वास योजना चला रहा है. बता दें कि घड़ियाल से मनुष्यों को कोई खतरा नहीं होता है. वे मीठे व साफ पानी में रहते हैं. साथ ही छोटी मछलियों व सड़े-गले मांस खाकर नदी को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं. जबकि, मगरमच्छ घड़ियाल से ज्यादा खतरनाक होते हैं. ये मनुष्य, जानवर सब कुछ खाने की शक्ति रखते हैं. इनकी पाचन शक्ति इतनी मजबूत होती है कि लोहे, कील, पत्थर, जानवरों के मांस, हड्डी सब कुछ पचा लेते हैं.

बरसात के दिनों में ये नदी से निकलकर रिहायशी इलाके में आ जाते हैं. इस मौसम में यह मादा मगरमच्छ से मिलन करते हैं. मादा एक बार में 10 से 30 अंडे देती है. इसके बाद उसे पानी के बाहर जमीन में ढक देती है. बाद में जब उसमें से बच्चे निकलते हैं, तो उन्हें सावधानी से पानी में छोड़ देती है. मगरमच्छ की औसत आयु 40 से 60 वर्ष बताई जाती है. इनके अंदर गजब की शक्ति होती है. ये पानी के अंदर 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से तैरते हैं.

ये भी पढ़ेंः Madurai Train Fire: 22 सालों से बोगी में 'बारूद' लेकर चल रहा था सीतापुर का टूर ऑपरेटर

मगरमच्छ को काबू करने का वीडियो आया सामने.

कुशीनगरः नेपाल की पहाड़ियों से उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बहने वाली गंडक नदी मगरमच्छों और घड़ियालो कि पसंदीदा जगहों में मानी जाती है. लेकिन, कभी-कभी ये मगरमच्छ रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं, जिससे लोगों के जान का खतरा बना रहता है. ताजा मामला खड्डा थाना क्षेत्र की सिसवा गोपाल गांव का है. यहां शनिवार को एक रिहायशी इलाके के बीच स्थित पोखरे में मगरमच्छ पहुंच गया. जिससे ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम और स्थानीय मछुआरों ने 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू कर वापस नदी में छोड़ा.

दरअसल, सिसवा गोपाल के रहने वाले हरिओम जायसवाल ने गांव में एक पोखरा खोदवाया है. बरसात के समय नदी-नाले में पानी भरने से एक मगरमच्छ भटककर इस पोखरे में पहुंच गया. शनिवार को जब ग्रामीणों ने पोखरे में मगरमच्छ देखा तो उनके होश उड़ गए. सूचना पर पहुंचे वन विभाग के डिप्टी रेंजर और अन्य वन कर्मचारियों ने मछुआरों की बड़ी जाल से उसे पकड़ने का प्रयास किया. लेकिन वह जाल फाड़ कर बार-बार निकल जा रहा था. डिप्टी रेंजर अमित तिवारी ने बताया कि लगभग 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़कर गंडक नदी में सुरक्षित छोड़ गया.

गौरतलब है कि गंडक नदी में घड़ियाल व मगरमच्छ दोनों पाए जाते हैं. घड़ियाल की संख्या बढ़ाने के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बड़े पैमाने पर पुनर्वास योजना चला रहा है. बता दें कि घड़ियाल से मनुष्यों को कोई खतरा नहीं होता है. वे मीठे व साफ पानी में रहते हैं. साथ ही छोटी मछलियों व सड़े-गले मांस खाकर नदी को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं. जबकि, मगरमच्छ घड़ियाल से ज्यादा खतरनाक होते हैं. ये मनुष्य, जानवर सब कुछ खाने की शक्ति रखते हैं. इनकी पाचन शक्ति इतनी मजबूत होती है कि लोहे, कील, पत्थर, जानवरों के मांस, हड्डी सब कुछ पचा लेते हैं.

बरसात के दिनों में ये नदी से निकलकर रिहायशी इलाके में आ जाते हैं. इस मौसम में यह मादा मगरमच्छ से मिलन करते हैं. मादा एक बार में 10 से 30 अंडे देती है. इसके बाद उसे पानी के बाहर जमीन में ढक देती है. बाद में जब उसमें से बच्चे निकलते हैं, तो उन्हें सावधानी से पानी में छोड़ देती है. मगरमच्छ की औसत आयु 40 से 60 वर्ष बताई जाती है. इनके अंदर गजब की शक्ति होती है. ये पानी के अंदर 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से तैरते हैं.

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