कुशीनगर: सोमवार को कश्मीर में हुए भयंकर हिमस्खलन के दौरान कई और साथियों के साथ शहीद हुए कुशीनगर के चंद्रभान चौरसिया का पार्थिव शरीर बुधवार देर शाम तक उनके पैतृक गांव दुमही नहीं पहुंच सका. सुबह से ही लोगों और जनप्रतिनिधियों का तांता शहीद के दरवाजे पर लगा रहा. शहीद के पिता ने अपने दुख और परेशानियों को रखते हुए कहा कि सेना के अधिकारियों द्वारा शव गुरुवार तक गांव लाए जाने की सूचना दी गई है.
सोमवार को कश्मीर में अपनी ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए कुशीनगर के वीर सपूत चंद्रभान चौरसिया के अंतिम दर्शन के लिए बुधवार सुबह से ही उनके पैतृक गांव दुमही में लोगों का जमावड़ा रहा. सेना के एक अधिकारी ने बुधवार को शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचने की सम्भावना जतायी थी, लेकिन बुधवार को भी घटनास्थल पर हो रहे भयंकर बर्फबारी के कारण उनकी डेड बॉडी को वहां से निकाला नहीं जा सका.
शहीद के पिता राजबलम चौरसिया ने कहा कि मेरे ऊपर तो दुखों का पहाड़ टूट गया है. आगे कैसे क्या होगा, मुझे समझ में नहीं आ रहा है. बर्फबारी की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि सेना के अधिकारियों ने सम्भावना प्रकट की है कि गुरुवार को मेरे शहीद बेटे का शव गांव तक पहुंच जाए.
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परिवार पर आए इस आफत की घड़ी में दुमही गांव के प्रधान राम बिहारी राय ने प्रशासनिक अधिकारियों से सलाह करने के बाद ग्राम समाज की जमीन के एक हिस्से पर शहीद के अंतिम संस्कार और फिर वहीं बाद में उनकी मूर्ति लगवाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. इस बावत ग्राम प्रधान ने विस्तार से पूरी जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने कहा कि जमीन का पट्टा भी शहीद की विधवा के नाम किया जाएगा.