कौशांबी. कौशांबी जिले की तीन विधानसभा सीटों में से एक है मंझनपुर विधानसभा सीट. पिछली बार की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भी सभी की निगाहें जिले की विधानसभा सीटों पर टिकी हुई हैं.
यह डिप्टी सीएम का गृह जनपद है. ऐसे में यहां सियासी पारा चढ़ना लाजमी है. 2022 विधानसभा चुनाव में यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि 2017 में पहली बार आई भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहेगी. वहीं, अन्य पार्टियां भी यहां सेंध लगाना चाहेंगी.
यह क्षेत्र बसपा का गढ़ माना जाता है. पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो मंझनपुर विधानसभा सीट (Manjhanpur Assembly Seat) में बसपा का कब्जा रहा है. 2017 में तीनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहराकर इतिहास रच दिया.
मंझनपुर विधानसभा सीट पर बसपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज का कब्जा रहा है. यहां से वह चार बार विधायक चुने गए लेकिन बीजेपी ने बसपा के अभेद्य किले को हिलाकर रख दिया और बीजेपी से लालबहादुर चौधरी ने यहां से जीत दर्ज की.
मंझनपुर विधानसभा सीट पर वोटरों की बात करें तो यहां मौजूदा समय में कुल 388327 मतदाता हैं. इसमें 210728 पुरुष और 177599 महिला मतदाता हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां वोटरों की संख्या 322721 थी.
यह विधानसभा अनुसूचित जाति और जनजातीय बाहुल्य वाली मानी जाती है. इसके बाद पिछड़ी व मुस्लिम समाज के मतदाता ज्यादा हैं. जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. पिछले बीस सालों से बसपा ने यहां कब्जा जमाए रखा था. मायावती के करीबी माने जाने वाले इंद्रजीत सरोज यहां से चार बार विधायक रह रहे.
दरअसल, नब्बे के दशक में बसपा ने कौशांबी जिला के स्थापना से पहले ही अपना दबदबा कायम कर लिया था. वर्ष 1991 में हुए आम विधानसभा चुनाव में मंझनपुर से इंद्रजीत ने पहली बार चुनाव लड़े और रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर विधानसभा की दहलीज तक पहुंचे.
उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यह बात और है कि हर चुनाव में इंद्राजीत के जीत का अंतर करीबी प्रत्याशी से कम होता गया. 2012 के चुनाव में कांग्रेस व सपा ने मजबूर घेराबंदी किया, लेकिन इंद्रजीत ने नजदीकी मुकाबले में चौथी बार जीत दर्ज की.
इसके बाद आता है 2017 का विधानसभा चुनाव जहां मोदी लहर में बीजेपी के प्रत्याशी लालबहादुर चौधरी ने यहां बसपा के तिलिस्म को तोड़ दिया और जीत दर्ज की . हालांकि पासी समाज में बेहतर दबदबा बनाये रखने वाले इंद्रजीत सरोज पर मंझनपुर विधानसभा की तस्वीर बदलने का श्रेय दिया जाता है.
विपक्षी भी इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि एक विधायक के नाते सरोज ने इलाके का विकास किया है लेकिन एक मंत्री होने के नाते उन्होंने कोई भी विकास कार्य नहीं किया.
विधायक का जीवन परिचय
2017 में बीजेपी से विधायक बने लाल बहादुर चौधरी राजनीति के पहले सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं. सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने राजनीति पर अपनी किस्मत आजमाई और 1994 में वह सरसंवा ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख बने. इसके बाद वह लगातार राजनीति में सक्रिय रहे और 2017 में उन्होंने पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ा. यहां उन्होंने चार बार से विधायक रहे इंद्रजीत सरोज को हारकर जीत हासिल किया.
विकास कार्यों के लिए ही उन्होंने 2017 में ही कौशांबी में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम लगाया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कौशांबी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की बात कही थी लेकिन बीजेपी सरकार के साढ़े 4 साल पूरे होने के बावजूद भी आज तक यह वादा केवल वादों तक ही सीमित रह गया.
मंझनपुर विधानसभा में विकास कार्यों की बात करें तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यहां कई सड़कें और पुलों का निर्माण कराया है.