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गांव की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान, ग्रामीणों ने किया मतदान के बहिष्कार का एलान

कौशाम्बी के सरसवा विकास खंड में स्थित अमीना गांव के लोगों ने इस बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है. ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में जल निकासी की व्यवस्था न होने के कारण उन्होंने चुनाव के बहिष्कार का मन बनाया है.

ग्रामीणो ने किया मतदान का बहिष्कार.
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Published : Apr 10, 2019, 10:45 PM IST

कौशाम्बी : सरसवा विकास खंड के अमीना गांव के लोगों ने सभी राजनैतिक नेताओं पर आरोप लगाते हुए वोट न देने का एलान किया है. ग्रामीणों की मांग है कि पिछले 10 सालों से वह गांव के अंदर नाली और जल निकासी के लिए नाले की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी राजनैतिक दल के लोगों ने उनकी फरियाद नहीं सुनी. इस वजह से गांव के लोग इस बार लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे.

ग्रामीणो ने किया मतदान का बहिष्कार.

ग्रामीणों का कहना है कि वह मतदान तभी करेंगे जब गांव में जल निकासी की समुचित व्यवस्था कर दी जाएगी. ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को गति देने के लिए पोस्टर, बैनर लेकर जन समर्थन भी जुटाना शुरू कर दिया है. ग्रामीण शैलेन्द्र और धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक गांव के लोगों ने वोट के बहिष्कार का फैसला किया है. उनका आरोप है कि जलभराव के चलते उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. उनका कहना है कि जब तक गांव में नाली और जल निकासी की समास्या का निदान नहीं हो जाता वह वोट डालने नहीं जाएंगे.

निर्वाचन दफ्तर से मिले दस्तावेजों के अनुसार सरसवा विकास खण्ड में स्थित अमीना गांव की आबादी 2000 के करीब है. इसमें कुल 886 मतदाता हैं. गांव में जल भराव की समस्या के चलते समान्य दिनों में स्थानीय लोगों का चलना तक मुश्किल होता है. मजबूरन गांव के सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चों को पगडण्डी के सहारे स्कूल जाना पड़ता है.

कौशाम्बी : सरसवा विकास खंड के अमीना गांव के लोगों ने सभी राजनैतिक नेताओं पर आरोप लगाते हुए वोट न देने का एलान किया है. ग्रामीणों की मांग है कि पिछले 10 सालों से वह गांव के अंदर नाली और जल निकासी के लिए नाले की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी राजनैतिक दल के लोगों ने उनकी फरियाद नहीं सुनी. इस वजह से गांव के लोग इस बार लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे.

ग्रामीणो ने किया मतदान का बहिष्कार.

ग्रामीणों का कहना है कि वह मतदान तभी करेंगे जब गांव में जल निकासी की समुचित व्यवस्था कर दी जाएगी. ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को गति देने के लिए पोस्टर, बैनर लेकर जन समर्थन भी जुटाना शुरू कर दिया है. ग्रामीण शैलेन्द्र और धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक गांव के लोगों ने वोट के बहिष्कार का फैसला किया है. उनका आरोप है कि जलभराव के चलते उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. उनका कहना है कि जब तक गांव में नाली और जल निकासी की समास्या का निदान नहीं हो जाता वह वोट डालने नहीं जाएंगे.

निर्वाचन दफ्तर से मिले दस्तावेजों के अनुसार सरसवा विकास खण्ड में स्थित अमीना गांव की आबादी 2000 के करीब है. इसमें कुल 886 मतदाता हैं. गांव में जल भराव की समस्या के चलते समान्य दिनों में स्थानीय लोगों का चलना तक मुश्किल होता है. मजबूरन गांव के सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चों को पगडण्डी के सहारे स्कूल जाना पड़ता है.

Intro:ANCHOR -- कौशाम्बी के सरसवा विकास खंड का अमीना गांव पिछले 24 घण्टे से चर्चा में है | यहाँ के लोगो ने सभी राजनैतिक के नेताओ पर आरोप लगाते हुए वोट न देने का ऐलान किया है | ग्रामीणों की मांग है कि पिछले 10 सालो से वह गांव के अंदर नाली और जल निकासी के लिए नाले को बनवाया जाय लेकिन किसी भी राजनैतिक दल के लोगो ने उनकी फैरियाद नहीं सुनी | जिससे कारन वह साल 2019 में लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग तभी करेंगे जब गांव में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं कर दी जारी है | गांव के लोगो ने अपने आंदोलन को गति देने के लिए गांव में पोस्टर बैनर लेकर जन समर्थन भी जुटाना शुरू कर दिया है | 





Body:ग्रामीण शैलेन्द्र और धर्मेंद्र सिंह  के मुताबिक गांव के लोगो ने वोट का बहिस्कार करने का फैसला जल भराव की समस्या से परेशान होकर किया है | जिसके कारन बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है | इसी कारण गांव समाज के लोगो ने 2019 के चुनाव में चुनाव बहिस्कार का निर्णय लिया है | जब तक गांव में नाली नाले और जल निकासी की समास्या का निदान नहीं हो जाता वह वोट डालने के लिए सहमत नहीं हो रहे है |  


BYTE-- धर्मेंद्र सिंह , स्थानीय ग्रामीण 

BYTE-- शैलेन्द्र , स्थानीय युवक 


 


Conclusion:निर्वाचन दफ्तर से मिले दस्तावेजों के अनुसार सरसवा विकास खण्ड में बसा अमीना गांव की आबादी 2000 के करीब है | जिसमे कुल 886 मतदाता है | गांव में जल भराव की समस्या से समान्य दिनों में स्थानीय लोगो का चलना मुश्किल भरा होता है | मजबूरन गांव के सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चो को पगडण्डी के सहारे स्कूल जाना पड़ता है | इतना ही नहीं गांव के अंदर की खुली नालिया ग्रामीणों के लिए किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है |





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