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आजादी के 73 साल बाद भी डिठूरा को शौचालय, सड़क और स्कूल तक मयस्सर नहीं

यूपी के कौशांबी जिले से 40 किलोमीटर दूर नेवादा ब्लाक का एक गांव विकास से कोसों दूर है. यहां के लोग खुले में शौच, टपकती झोपड़ियों, कीचड़ से सने रास्तों पर चलने को मजबूर हैं.

डिठूरा को शौचालय, सड़क और स्कूल तक मयस्सर नहीं.
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Published : Oct 11, 2019, 1:41 AM IST

कौशांबीः मोदी सरकार भले ही गांव को हर बुनियादी चीज देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा है, लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद कौशांबी जिले का एक गांव, आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद भी विकास के लिए आंसू बहा रहा है. यही नहीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस गांव पर आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुंह पड़ी हुई है.

डिठूरा गांव में नहीं हुआ है विकास.

डिठूरा गांव है मूलभूत सुविधाओं से वंचित
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर का मंजर डिठूरा गांव है. इस गांव में कुल 350 परिवार रहते हैं. गांव में विकास के नाम पर एक ढेला तक नहीं है. न खड़ंजा, न नाली, न शौचालय. एक दशक पूर्व जो सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, वह भी खराब पड़े हैं. लोग प्यास बुझाने के लिए निजी हैंडपंप का सहारा ले रहे हैं. गांव के लोगों को कीचड़ और बदबू से भरी जगह में जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

ग्रामीण खुले में जाते हैं शौच
एक ओर जहां पूरा देश खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. वहीं डिठूरा गांव में किसी को शौचालय का लाभ नहीं भी नहीं मिल सका है. शौचालय नहीं मिलने से मजबूर ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में कुल 180 शौचालयों का पैसा आया था, पर 10-12 शौचालयों का ही निर्माण करवाया गया है. वो आज भी अधूरे पड़े है.

पढ़ें- हरदोई: 28 वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ये सरकारी बाजार, जिम्मेदार बेसुध

नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
देश के प्रधानमंत्री भले ही हर गरीब को पक्का मकान देने की बात कर रहे हैं, पर डिठूरा गांव में गरीब परिवार जर्जर कच्चे मकान में रहने को मजबूर है. गांव में कुछ लोगों का मकान ऐसा भी हैं, जो बारिश के समय टपकता है और उन्हें दूसरे के घरों में शरण लेनी पड़ती है. गांव की ही रहने वाली रामा देवी और पार्वती ने बताया कि प्रधान, सेग्रेटरी से लेकर उन्होंने उच्चाधिकारियों तक से इसकी शिकायत किया है, पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर के डिठूरा गांव में विकास कार्य न होने की जानकारी प्राप्त हुई है. वहां कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका मकान एकदम जर्जर अवस्था में है. इनको चिन्हित कराया जा रहा है. गांव में जांच के लिए अधिकारियों को भेजा जाएगा और इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
इन्द्रसेन सिंह, मुख्य विकास अधिकारी

कौशांबीः मोदी सरकार भले ही गांव को हर बुनियादी चीज देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा है, लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद कौशांबी जिले का एक गांव, आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद भी विकास के लिए आंसू बहा रहा है. यही नहीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस गांव पर आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुंह पड़ी हुई है.

डिठूरा गांव में नहीं हुआ है विकास.

डिठूरा गांव है मूलभूत सुविधाओं से वंचित
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर का मंजर डिठूरा गांव है. इस गांव में कुल 350 परिवार रहते हैं. गांव में विकास के नाम पर एक ढेला तक नहीं है. न खड़ंजा, न नाली, न शौचालय. एक दशक पूर्व जो सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, वह भी खराब पड़े हैं. लोग प्यास बुझाने के लिए निजी हैंडपंप का सहारा ले रहे हैं. गांव के लोगों को कीचड़ और बदबू से भरी जगह में जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

ग्रामीण खुले में जाते हैं शौच
एक ओर जहां पूरा देश खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. वहीं डिठूरा गांव में किसी को शौचालय का लाभ नहीं भी नहीं मिल सका है. शौचालय नहीं मिलने से मजबूर ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में कुल 180 शौचालयों का पैसा आया था, पर 10-12 शौचालयों का ही निर्माण करवाया गया है. वो आज भी अधूरे पड़े है.

पढ़ें- हरदोई: 28 वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ये सरकारी बाजार, जिम्मेदार बेसुध

नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
देश के प्रधानमंत्री भले ही हर गरीब को पक्का मकान देने की बात कर रहे हैं, पर डिठूरा गांव में गरीब परिवार जर्जर कच्चे मकान में रहने को मजबूर है. गांव में कुछ लोगों का मकान ऐसा भी हैं, जो बारिश के समय टपकता है और उन्हें दूसरे के घरों में शरण लेनी पड़ती है. गांव की ही रहने वाली रामा देवी और पार्वती ने बताया कि प्रधान, सेग्रेटरी से लेकर उन्होंने उच्चाधिकारियों तक से इसकी शिकायत किया है, पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर के डिठूरा गांव में विकास कार्य न होने की जानकारी प्राप्त हुई है. वहां कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका मकान एकदम जर्जर अवस्था में है. इनको चिन्हित कराया जा रहा है. गांव में जांच के लिए अधिकारियों को भेजा जाएगा और इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
इन्द्रसेन सिंह, मुख्य विकास अधिकारी

Intro:केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही गांव को हर बुनियादी चीजों के देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा है। लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद कौशांबी जिले का एक गांव आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी विकास के लिए आंसू बहा रहा है। यही नहीं अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस गांव पर आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुंह पड़ी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए आवंटित बजट धरातल पर खर्च न करके कागजों तक ही सीमित कर देना है। जिसके कारण ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर है।


Body:कौशांबी जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नेवादा ब्लाक का यह दुर्गापुर का मंजर डिठूरा गांव है। इस गांव में कुल 350 परिवार रहता है। गांव में विकास के नाम पर कुछ भी नही है। न खड़ंजा न नाली, न शौचालय। एक दशक पूर्व जो सरकारी हैंडपंप लगाए गए थे, वह भी खराब पड़े हैं। लोग प्यास बुझाने के लिए निजी हैंडपंप का सहारा ले रहे हैं। गांव में विकास के नाम पर कुछ भी नही हुआ है इससे गांव के लोगो को कीचड़ और बदबू से भरे जगह में जीवन यापन करने को मजबूर है।

बाइट-- अमित कुमार

बाइट-- शिवचंद्र

शौचालय न होने से ग्रामीण खुले में जाते है शौच

एक ओर जहा पूरा देश खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। वहीं डिठूरा गांव में किसी को शौचालय का लाभ नहीं भी नही मिल सका है। शौचालय नहीं मिलने से मजबूर ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों कर मुताबिक गांव में कुल 180 शौचालयो का पैसा आया था पर 10-12 शौचालय का ही निर्माण करवाया गया है। बाकी शौचालय उपयोग करने लायक नही है क्योंकि वो आज भी अधूरे पड़े है।

बाइट-- अमित कुमार ग्रामीण

बाइट-- जावित्री देवी ग्रामीण महिला

गरीबो को नही मिला प्रधानमंत्री आवास

देश के प्रधानमंत्री भले ही हर गरीब को पक्का मकान देने की बात कर रहे है पर डिठूरा गांव में गरीब परिवार जर्जर कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। गांव के कुछ लोगों का मकान ऐसे हैं जो बारिश के समय दूसरे घरों का सहारा लेते हैं। ग्रामीण महिला के मुताबिक प्रधान सेग्रेटरी से लेकर उन्होंने अधिकारियों तक से इसकी शिकायत किया है पर उनकी सुनने वाला कोई नही है। जिससे वह जर्जर मकानों में रहने को मजबुर है।

बाइट-- रामा देवी ग्रामीण महिला

बाइट-- पार्वती देवी ग्रामीण महिला


Conclusion:मुख्य विकास अधिकारी इंद्रसेन सिंह के मुताबिक नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर के डिठूरा गांव में विकास कार्य न होने की जानकारी प्राप्त हुई है। वहां कुछ ऐसे लोग हैं जिन का मकान एकदम जर्जर अवस्था में है। जिन को चिन्हित कराया जा रहा है। गांव में जांच के लिए अधिकारियों को भेजा जाएगा जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

बाइट-- इन्द्रसेन सिंह मुख्य विकास अधिकारी कौशाम्बी
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