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कौशांबी: गंगा के किनारे की जाएगी औषधीय खेती, मालामाल होंगे किसान

उत्तर प्रदेश के कौशांबी में वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा को औषधीय गुणों से भरपूर बनाने के लिए एक प्लान तैयार किया है. दरअसल जिले के अधिकारियों द्वारा किसानों को औषधीय खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है.

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Published : Jan 28, 2020, 11:55 PM IST

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औषधी खेती करने के लिए किसानों को किया गया जागरूक.

कौशांबी: जिले के वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा को औषधीय गुणों से भरपूर बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधीय खेती कर अच्छा मुनाफा कमाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे औषधीय खेती कर किसान की आय दुगनी होगी. वहीं इससे गंगा नदी को भी फायदा मिलेगा और गंगा नदी का पानी फिर से औषधीय गुणों वाला मिल सकेगा. इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में चौपाल लगाकर किसानों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया है.

औषधीय खेती करने के लिए किसानों को किया गया जागरूक.
कौशांबी जिले के 33 गांव गंगा नदी के किनारे स्थित हैं. इन गांवों में अधिकतर खेती गंगा के किनारे की जाती है. गंगा नदी के किनारे की खेतों में किसान अभी तक परंपरागत खेती करते हैं. परंपरागत खेतों में खाद और कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, जिससे गंगा नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है.

ये भी पढ़ें- PWD इंजीनियरों की गाय-बैल पकड़ने की लगी थी ड्यूटी, आदेश लिया गया वापस

इस प्लान के तहत गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. औषधीय खेती करने से एक और जहां किसानों को दोगुना लाभ मिलेगा, वहीं गंगा नदी भी स्वच्छ हो सकेगी और लोगों को गंगा नदी का पानी फिर से औषधीय गुणों से भरपूर मिल सकेगा. गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसान यदि औषधीय खेती करता है तो उन्हें खेती करने की लागत की 30 परसेंट से लेकर 50 परसेंट तक सब्सिडी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी. औषधीय खेती में खस, पामारोजा, लेमन घास, सर्पगंधा, तुलसी, ब्राहमी, शतावर, कालमेध, हर्रे, बहेड़ा आदि को शामिल किया गया है.

कौशांबी जिले के प्रभागीय वनाधिकारी पीके सिन्हा के मुताबिक गंगा के किनारे के किसान अभी परंपरागत खेती करते हैं. परंपरागत खेती से निकलने वाले अवशेषों से गंगा का पानी ज्यादा प्रदूषित होता है. किसानों को कम लाभ भी मिलता है. इसके लिए किसानों को औषधीय खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. औषधीय खेती करने से किसानों की आय दुगनी होगी और इससे गंगा को भी फायदा मिलेगा और गंगा फिर से औषधीय गुणों से भरपूर हो सकेगी.

कौशांबी: जिले के वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा को औषधीय गुणों से भरपूर बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधीय खेती कर अच्छा मुनाफा कमाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे औषधीय खेती कर किसान की आय दुगनी होगी. वहीं इससे गंगा नदी को भी फायदा मिलेगा और गंगा नदी का पानी फिर से औषधीय गुणों वाला मिल सकेगा. इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में चौपाल लगाकर किसानों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया है.

औषधीय खेती करने के लिए किसानों को किया गया जागरूक.
कौशांबी जिले के 33 गांव गंगा नदी के किनारे स्थित हैं. इन गांवों में अधिकतर खेती गंगा के किनारे की जाती है. गंगा नदी के किनारे की खेतों में किसान अभी तक परंपरागत खेती करते हैं. परंपरागत खेतों में खाद और कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, जिससे गंगा नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है.

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इस प्लान के तहत गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधीय खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. औषधीय खेती करने से एक और जहां किसानों को दोगुना लाभ मिलेगा, वहीं गंगा नदी भी स्वच्छ हो सकेगी और लोगों को गंगा नदी का पानी फिर से औषधीय गुणों से भरपूर मिल सकेगा. गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसान यदि औषधीय खेती करता है तो उन्हें खेती करने की लागत की 30 परसेंट से लेकर 50 परसेंट तक सब्सिडी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी. औषधीय खेती में खस, पामारोजा, लेमन घास, सर्पगंधा, तुलसी, ब्राहमी, शतावर, कालमेध, हर्रे, बहेड़ा आदि को शामिल किया गया है.

कौशांबी जिले के प्रभागीय वनाधिकारी पीके सिन्हा के मुताबिक गंगा के किनारे के किसान अभी परंपरागत खेती करते हैं. परंपरागत खेती से निकलने वाले अवशेषों से गंगा का पानी ज्यादा प्रदूषित होता है. किसानों को कम लाभ भी मिलता है. इसके लिए किसानों को औषधीय खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. औषधीय खेती करने से किसानों की आय दुगनी होगी और इससे गंगा को भी फायदा मिलेगा और गंगा फिर से औषधीय गुणों से भरपूर हो सकेगी.

Intro:कौशांबी जिले के वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा को औषधी गुणों से भरपूर बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधी खेती कर अच्छा मुनाफा कमाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे एक और औषधी खेती कर किसान की आय दुगनी होगी। वहीं इससे गंगा नदी को भी फायदा मिलेगा और गंगा नदी का पानी फिर से औषधी गुणों वाला मिल सकेगा। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने गंगा के किनारे पड़ने वाले गांव में चौपाल लगाकर किसानों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया है।


Body:कौशांबी जिले के 33 गांव गंगा नदी के किनारे स्थित है। इन गांव में अधिकतर खेती गंगा के किनारे की जाती है। गंगा नदी के किनारे की खेतीयों में किसान अभी तक परंपरागत खेती करते हैं। परंपरा का खेतों में खाद और कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। जिससे गंगा नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसानों को औषधी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। औषधी खेती करने से एक और जहां किसानों को दोगुना लाभ मिलेगा। वही गंगा नदी भी स्वच्छ हो सकेगी और लोगों को गंगा नदी का पानी फिर से औषधी गुणों से भरपूर मिल सकेगा। गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले गांव में किसान यदि औषधी खेती करता है तो उन्हें खेती करने की लागत का 30 परसेंट से लेकर 50 परसेंट तक सब्सिडी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। औषधी खेती में खस, पामारोजा, लेमन घास, सर्पगंधा, तुलसी, ब्राहमी, शतावर, कालमेध, हर्रे, बहेड़ा आदि सामिल किया गया है।

बाइट -- लालता प्रसाद किसान


Conclusion:कौशांबी जिले के प्रभागीय वनाधिकारी पी के सिन्हा के मुताबिक गंगा के किनारे की किसान अभी परंपरागत खेती करते हैं। परंपरागत खेती से निकलने वाले अवशेषों से गंगा का पानी ज्यादा प्रदूषित होता है और वही किसानों को कम लाभ भी मिलता है। इसके लिए किसानों को औषधी खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। औषधि खेती करने से किसानों की आय दुगनी होगी और इससे गंगा को भी फायदा मिलेगा और गंगा फिर से औषधीय गुणों से भरपूर हो सकेगी।

बाइट -- पी के सिन्हा प्रभागीय वनाधिकारी कौशाम्बी
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