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कौशांबी: बच्चे की मौत के बाद अस्पताल में हंगामा, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप

यूपी के कौशांबी जिले के मंझनपुर मुख्यालय स्थित एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा काटा. पीड़ित परिजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने और लाखों रुपये एठने का आरोप लगाया है.

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Published : Sep 23, 2020, 5:08 PM IST

मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में किया हंगामा.
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में किया हंगामा.

कौशांबी: जिले के मंझनपुर मुख्यालय स्थित एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक 13 वर्षीय बच्चे की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया. पीड़ित परिजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने के साथ साथ लाखों रुपये एठने का आरोप लगाया है.

दरअसल, जिले के पश्चिमशरीरा थाना क्षेत्र के महावा गांव के रहने वाले राजेश के 13 वर्षीय पुत्र धीरेंद्र कुमार को कुछ दिन पहले पैर में चोट लग गई थी. जिसके बाद परिजनों ने उसे 5 दिन पहले मंझनपुर के फॉर्च्यून हॉस्पिटल भर्ती कराया. जहां चिकित्सकों ने बच्चे को टिटनेस होने की जानकारी दी. जिसके बाद 5 दिन तक उसका अस्पताल में इलाज चला. लेकिन बच्चे की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चे का खाना-पानी बंद करा दिया था. जिस वजह से उसकी मौत हो गई.

परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों ने इलाज के लिए एक लाख रुपये पहले ही जमा करा लिए थे. किशोर की मौत के बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने शव बाहर निकाल दिया. उधर बच्चे की मौत के बाद काफी देर तक परिजन अस्पताल में हंगामा करते रहे. इसके बाद शव लेकर परिजन घर लेकर चले गए. वहीं इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि मरीजों के जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे अस्पताल की जांच कर जिम्मेदार अधिकारी कब तक कार्रवाई करते हैं.

कौशांबी: जिले के मंझनपुर मुख्यालय स्थित एक निजी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक 13 वर्षीय बच्चे की मौत पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया. पीड़ित परिजनों ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने के साथ साथ लाखों रुपये एठने का आरोप लगाया है.

दरअसल, जिले के पश्चिमशरीरा थाना क्षेत्र के महावा गांव के रहने वाले राजेश के 13 वर्षीय पुत्र धीरेंद्र कुमार को कुछ दिन पहले पैर में चोट लग गई थी. जिसके बाद परिजनों ने उसे 5 दिन पहले मंझनपुर के फॉर्च्यून हॉस्पिटल भर्ती कराया. जहां चिकित्सकों ने बच्चे को टिटनेस होने की जानकारी दी. जिसके बाद 5 दिन तक उसका अस्पताल में इलाज चला. लेकिन बच्चे की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चे का खाना-पानी बंद करा दिया था. जिस वजह से उसकी मौत हो गई.

परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों ने इलाज के लिए एक लाख रुपये पहले ही जमा करा लिए थे. किशोर की मौत के बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने शव बाहर निकाल दिया. उधर बच्चे की मौत के बाद काफी देर तक परिजन अस्पताल में हंगामा करते रहे. इसके बाद शव लेकर परिजन घर लेकर चले गए. वहीं इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि मरीजों के जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे अस्पताल की जांच कर जिम्मेदार अधिकारी कब तक कार्रवाई करते हैं.

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