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दहेज हत्या के दोषी देवर और सास को 7-7 साल की कारावास की सजा, लगाया 60 हजार जुर्माना

कोर्ट ने दहेज हत्या के दोषी देवर और सास को 7-7 साल की कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : Dec 19, 2022, 10:07 PM IST

कौशांबी: कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश ने दहेज हत्या के मामले में देवर और सास को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना चरवा थाना क्षेत्र के सिरियांवा कला की है. जहां असलम ने चरवा थाना पुलिस को शिकायती पत्र देते हुए बताया कि उसने अपनी पुत्री शबाना बीबी की शादी 2016 में गांव के ही रहने वाले अतीक अहमद से मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार किया था. शादी के कुछ दिन बाद से ही बेटी शबाना बीबी की सास याकूबी बीबी और देवर कबीर अहमद ने बेटी को दहेज के लिए मारना पीटना शुरू कर दिया था. इससे तंग आकर उनकी बेटी शबाना बीवी ने 19 सितंबर 2017 की रात में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में पुलिस ने पीड़ित पिता की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

विवेचना के बाद पुलिस ने इस पूरे मामले में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किया. मामला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम कीर्ति कुणाल के न्यायालय में पेश हुआ. इस दौरान शासकीय अधिवक्ता ने गवाहों का बयान न्यायालय में दाखिल करवाया. गवाहों के बयान और पत्रावली के अवलोकन के बाद सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम कीर्ति कुणाल ने सांस याकूबी बीबी और देवर कबीर अहमद को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. न्यायालय ने अपने आदेश में जुर्माने की कुल 60 हजार रुपये की रकम में से 30 हजार रुपये वादी को प्रतिकार के रूप में अदा करने का फैसला सुनाया है.

यह भी पढ़ें: कौशांबी में मां की हत्या करने वाले बेटे और पिता को आजीवन कारावास की सजा

कौशांबी: कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश ने दहेज हत्या के मामले में देवर और सास को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना चरवा थाना क्षेत्र के सिरियांवा कला की है. जहां असलम ने चरवा थाना पुलिस को शिकायती पत्र देते हुए बताया कि उसने अपनी पुत्री शबाना बीबी की शादी 2016 में गांव के ही रहने वाले अतीक अहमद से मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार किया था. शादी के कुछ दिन बाद से ही बेटी शबाना बीबी की सास याकूबी बीबी और देवर कबीर अहमद ने बेटी को दहेज के लिए मारना पीटना शुरू कर दिया था. इससे तंग आकर उनकी बेटी शबाना बीवी ने 19 सितंबर 2017 की रात में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में पुलिस ने पीड़ित पिता की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

विवेचना के बाद पुलिस ने इस पूरे मामले में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किया. मामला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम कीर्ति कुणाल के न्यायालय में पेश हुआ. इस दौरान शासकीय अधिवक्ता ने गवाहों का बयान न्यायालय में दाखिल करवाया. गवाहों के बयान और पत्रावली के अवलोकन के बाद सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम कीर्ति कुणाल ने सांस याकूबी बीबी और देवर कबीर अहमद को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. न्यायालय ने अपने आदेश में जुर्माने की कुल 60 हजार रुपये की रकम में से 30 हजार रुपये वादी को प्रतिकार के रूप में अदा करने का फैसला सुनाया है.

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