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थाम्भा गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी, ग्रामीणों पूछ रहे - 'कब होगा विकास'

कौशांबी के थाम्भा गांव में मूलभूत सुविधाओं न होने से लोग परेशान हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सफाई कर्मी के गांव में न आने से नालियां बज बजा रही है. लोगों को अभी तक मनरेगा के तहत किए गए कामों की मजदूरी भी नही दी गई है.

चक थाम्भा गांव में विकास कार्य
चक थाम्भा गांव में विकास कार्य
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Published : Mar 17, 2021, 4:15 PM IST

कौशांबी: जिले के ज्यादातर गांवों में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं अभी तक नहीं पहुंच सकी हैं. इन गांवों में भ्रष्टाचार के चलते शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं. अधिकतर जरूरतमंदों को शौचालयों का लाभ भी नहीं मिला है. गांव में सड़क, पानी और नाली जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सफाई कर्मी के गांव में न आने से नालियां बज बजा रही है. लॉकडाउन के दौरान जिन भी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया था उनकी मजदूरी भी नहीं दी गई. शिकायत के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

ग्रामीणों ने बताई अपनी समस्या
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी के जिला मुख्यालय मंझनपुर से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित चक थाम्भा गांव में मूलभूत सुविधाओं न होने से लोग परेशान हैं. गांव में सफाई कर्मी के नहीं आने से नालियां चोक पड़ी हुई है. उससे दुर्गंध आती रहती है. गंदा पानी सड़क पर भर जाता है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं गांव के कई ऐसी जगह है जहां नालियां भी नहीं बनाई गई हैं, जिससे सड़कों पर जलजमाव में होता है.गांव में नहीं हुआ कोई भी विकास कार्यगांव की ग्राम पंचायत सदस्य उर्मिला देवी का आरोप है कि उनके गांव में विकास कार्य की रफ्तार बहुत धीरे है. ग्राम प्रधान ने आज तक किसी भी बैठक में उनको नहीं बुलाया और न ही किसी कार्ययोजना में उनसे हस्ताक्षर करवाया गया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि गांव में जो भी कुछ विकास कार्य कराए गए हैं. वह केवल ग्राम प्रधान ने कुछ अपने चहेते लोगों के घर के पास करवाए हैं. गांव के ही रहने वाले धर्मराज का आरोप है कि गांव में कई पात्रों को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला, जबकि ग्राम प्रधान ने अपने चहेते अपात्रों को आवास योजना का लाभ दिला दिया है. मनरेगा के तहत किए कार्य की नहीं मिली मजदूरीगांव की रहने वाली सतनी देवी और अन्य महिलाओं का आरोप है कि उन्होंने लॉकडाउन के समय गांव में जो भी कार्य मनरेगा के तहत किए थे. उसका पेमेंट आज तक उन्हें नहीं मिला है, जिसके कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मिर्ची देवी का आरोप है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ आज तक नहीं मिला है. यहां तक कि प्रधान ने उनका जॉब कार्ड तक नहीं बनवाया, जिससे उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी भी नहीं मिल पाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका राशन कार्ड भी नहीं बनवाया गया है.

कौशांबी: जिले के ज्यादातर गांवों में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं अभी तक नहीं पहुंच सकी हैं. इन गांवों में भ्रष्टाचार के चलते शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं. अधिकतर जरूरतमंदों को शौचालयों का लाभ भी नहीं मिला है. गांव में सड़क, पानी और नाली जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सफाई कर्मी के गांव में न आने से नालियां बज बजा रही है. लॉकडाउन के दौरान जिन भी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया था उनकी मजदूरी भी नहीं दी गई. शिकायत के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

ग्रामीणों ने बताई अपनी समस्या
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी के जिला मुख्यालय मंझनपुर से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित चक थाम्भा गांव में मूलभूत सुविधाओं न होने से लोग परेशान हैं. गांव में सफाई कर्मी के नहीं आने से नालियां चोक पड़ी हुई है. उससे दुर्गंध आती रहती है. गंदा पानी सड़क पर भर जाता है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं गांव के कई ऐसी जगह है जहां नालियां भी नहीं बनाई गई हैं, जिससे सड़कों पर जलजमाव में होता है.गांव में नहीं हुआ कोई भी विकास कार्यगांव की ग्राम पंचायत सदस्य उर्मिला देवी का आरोप है कि उनके गांव में विकास कार्य की रफ्तार बहुत धीरे है. ग्राम प्रधान ने आज तक किसी भी बैठक में उनको नहीं बुलाया और न ही किसी कार्ययोजना में उनसे हस्ताक्षर करवाया गया. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि गांव में जो भी कुछ विकास कार्य कराए गए हैं. वह केवल ग्राम प्रधान ने कुछ अपने चहेते लोगों के घर के पास करवाए हैं. गांव के ही रहने वाले धर्मराज का आरोप है कि गांव में कई पात्रों को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला, जबकि ग्राम प्रधान ने अपने चहेते अपात्रों को आवास योजना का लाभ दिला दिया है. मनरेगा के तहत किए कार्य की नहीं मिली मजदूरीगांव की रहने वाली सतनी देवी और अन्य महिलाओं का आरोप है कि उन्होंने लॉकडाउन के समय गांव में जो भी कार्य मनरेगा के तहत किए थे. उसका पेमेंट आज तक उन्हें नहीं मिला है, जिसके कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मिर्ची देवी का आरोप है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ आज तक नहीं मिला है. यहां तक कि प्रधान ने उनका जॉब कार्ड तक नहीं बनवाया, जिससे उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी भी नहीं मिल पाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका राशन कार्ड भी नहीं बनवाया गया है.
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