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WOMEN DAY SPECIAL : ये शिक्षिका गांव की बेटियों को शिक्षित कर तैयार कर रही है नए भारत की नारियां

कौशाम्बी में पूर्व माध्यमिक विद्यालय कादीपुर की अध्यापिका सुधा गौर की मेहनत और लगन ने आज गांव की बेटियों की जिंदगी में बदलाव की बयार लानी शुरू कर दी है.

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Published : Mar 8, 2019, 5:04 AM IST

Updated : Mar 8, 2019, 12:51 PM IST

कौशाम्बी: पूर्व माध्यमिक विद्यालय कादीपुर की अध्यापिका सुधा गौर की मेहनत और लगन ने आज गांव की बेटियों की जिंदगी में बदलाव की बयार लानी शुरू कर दी है. वैसे तो सुधा गौर सरकारी अध्यापिका है, लेकिन फिर भी उन्होंने स्कूल की बेटियों के साथ गांव की स्कूल न आने वाली बेटियों को भी स्कूल तक ले आने की कवायद शुरू की.

सिराथू तहसील के कादीपुर गांव में बना यह प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय सामान्य सा दिखने वाला विद्यालय है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में बेटियों की संख्या सबसे अधिक है. यह सब संभव हो पाया है महिला अध्यापिका सुधा गौर की अथक मेहनत और लगन से बेटियों को शिक्षित करने की मुहीम से, जिसमें सुधा गौर ने स्कूल के समय के आलावा भी बच्चियों के घर-घर जाकर खुद ही चौपाल लगाकर जो मां बाप अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजते हैं, उनको शिक्षा का मायने समझाती हैं.

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अध्यापिका सुधा गौर

सुधा गौर स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को स्कूल बंद होने के बाद एक विशेष क्लास में प्रदेश सरकार की बेटियों को दी जाने वाली सहूलियत और योजनाओं की जानकारी के साथ उनको साफ-सफाई के भी टिप्स देती है. बेटियां उनसे पढ़कर खुद को निर्भर बनाने की दिशा में जहां एक तरफ जागरूक हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ खुद कुछ बनकर समाज और अपने आस-पास की बच्चियों को शिक्षित करने की बात अब कह रही हैं.

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शिक्षिका सुधा गौर के मुताबिक उन्होंने यह पहल केवल इसलिए शुरू की है कि उनकी भी एक बेटी है. वह अपनी बेटी की ही तरह गांव गरीब की बेटी को आगे पढ़ता और बढ़ता हुआ देखना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने पिछले कई सालों से स्कूल के अंदर और स्कूल बंद होने के बाद भी एक घंटे से अधिक समय गांव की महिलाओं के साथ चौपाल लगाकर देश और प्रदेश सरकार की उन योजनाओं की जानकारी देती हैं, जिससे महिलाओं और नारी समाज का विकास हो सके.

कौशाम्बी: पूर्व माध्यमिक विद्यालय कादीपुर की अध्यापिका सुधा गौर की मेहनत और लगन ने आज गांव की बेटियों की जिंदगी में बदलाव की बयार लानी शुरू कर दी है. वैसे तो सुधा गौर सरकारी अध्यापिका है, लेकिन फिर भी उन्होंने स्कूल की बेटियों के साथ गांव की स्कूल न आने वाली बेटियों को भी स्कूल तक ले आने की कवायद शुरू की.

सिराथू तहसील के कादीपुर गांव में बना यह प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय सामान्य सा दिखने वाला विद्यालय है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में बेटियों की संख्या सबसे अधिक है. यह सब संभव हो पाया है महिला अध्यापिका सुधा गौर की अथक मेहनत और लगन से बेटियों को शिक्षित करने की मुहीम से, जिसमें सुधा गौर ने स्कूल के समय के आलावा भी बच्चियों के घर-घर जाकर खुद ही चौपाल लगाकर जो मां बाप अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजते हैं, उनको शिक्षा का मायने समझाती हैं.

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अध्यापिका सुधा गौर

सुधा गौर स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को स्कूल बंद होने के बाद एक विशेष क्लास में प्रदेश सरकार की बेटियों को दी जाने वाली सहूलियत और योजनाओं की जानकारी के साथ उनको साफ-सफाई के भी टिप्स देती है. बेटियां उनसे पढ़कर खुद को निर्भर बनाने की दिशा में जहां एक तरफ जागरूक हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ खुद कुछ बनकर समाज और अपने आस-पास की बच्चियों को शिक्षित करने की बात अब कह रही हैं.

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शिक्षिका सुधा गौर के मुताबिक उन्होंने यह पहल केवल इसलिए शुरू की है कि उनकी भी एक बेटी है. वह अपनी बेटी की ही तरह गांव गरीब की बेटी को आगे पढ़ता और बढ़ता हुआ देखना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने पिछले कई सालों से स्कूल के अंदर और स्कूल बंद होने के बाद भी एक घंटे से अधिक समय गांव की महिलाओं के साथ चौपाल लगाकर देश और प्रदेश सरकार की उन योजनाओं की जानकारी देती हैं, जिससे महिलाओं और नारी समाज का विकास हो सके.

Intro:ANCHOR-- कौशाम्बी में पूर्व माध्यमिक विद्यालय कादीपुर की अध्यापिका सुधा गौर की मेहनत और लगन ने आज गांव की बेटियों की जिंदगी में बदलाव की बयार लानी शुरू कर दी है | यूँ तो सुधा गौर सरकारी अध्यापिका है, लेकिन फिर भी उन्होंने लीक से हट कर काम करते हुए स्कूल की बेटियों के साथ गांव की स्कूल न आने वाली बेटियों को भी स्कूल तक ले आने की कवायद शुरू की | 






Body:सिराथू तहसील के कादीपुर गांव में बना यह प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय सामान्य सा दिखने वाला विद्यालय है, लेकिन इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो में बेटियों की संख्या सबसे अधिक है | यह सब सब संभव हो पाया है महिला अध्यापिका सुधा गौर की अथक मेहनत और लगन से बेटियों को शिक्षित करने की मुहीम से | जिसमे सुधा गौर ने स्कूल के समय के आलावा भी बच्चियों के घर घर जा कर खुद ही चौपाल लगा कर जो माँ बाप अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजते है उनको शिक्षा का मायने समझाती है | स्कूल में सुधा गौर स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को स्कूल बंद होने के बाद एक विशेष क्लास में प्रदेश सरकार की बेटियों को दी जाने वाली सहूलियत और योजनाओ की जानकारी के साथ उनको साफ़ सफाई के भी टिप्स देती है | बेटिया उनसे पढ़ कर खुद को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में जहा एक तरफ जागरूक हो रही है वही दूसरी तरफ खुद कुछ बनकर समाज और अपने आस-पास की बच्चियों को शिक्षित करने की बात अब कह रही है | 


- बाइट- गुड़िया साहू, छात्रा 


- बाइट- प्रीति, छात्रा  






Conclusion:शिक्षिका सुधा गौर के मुताबिक उन्होंने यह पहल केवल इस लिए शुरू की है कि उनकी भी एक बेटी है वह अपनी बेटी की ही तरह गांव गरीब की बेटी को आगे पढ़ता और बढ़ता हुआ देखना चाहती है | इसके लिए उन्होंने पिछले कई सालो से स्कूल के अंदर और स्कूल बंद होने के बाद भी एक घंटे से अधिक समय गांव की महिलाओ के साथ चौपाल लगा कर देश और प्रदेश सरकार की उन योजनाओ की जानकारी देती है जिससे महिलाओ और नारी समाज का विकास हो सके | 



- बाइट- सुधा गौर, अध्यापिका 







 THAX N REGARDS
SATYENDRA KHARE
      KAUSHAMBI
     09726405658   
   

Last Updated : Mar 8, 2019, 12:51 PM IST
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