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यूपी एक खोज : कासगंज की 'सोहनपपड़ी' के दीवाने देश से विदेश तक, क्या है इसके ज़ायके का राज़? - up sohan crust of native ghee

कासगंज के रौशनलाल स्वीट्स की सोहन पपड़ी सालों से लोगों का जायका बनी हुई है. देशी घी की सोहन पपड़ी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में प्रसिद्ध है. इसकी विशेषता जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रौशनलाल हलवाई की चौथी पीढ़ी से बातचीत की.

यूपी एक खोज
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Published : May 28, 2022, 2:39 PM IST

Updated : May 28, 2022, 3:51 PM IST

कासगंज: गोस्वामी तुलसीदास की नगरी कासगंज विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों के लिए भी जानी जाती है. यहां की देशी घी से बनी मिठाई सोहन पापड़ी देशभर में प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं यहां की घेवर मिठाई भी लोगों को खूब भाती है. 80 वर्षों से देशी घी की सोहन पापड़ी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है. सोहन पापड़ी के निर्माता रौशनलाल हलवाई की चौथी पीढ़ी से ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.

ईटीवी भारत की टीम ने रौशनलाल हलवाई की चौथी पीढ़ी से बातचीत की

80 वर्षों से स्वाद का जादू कायम: रौशनलाल स्वीट्स के नाम से एक दुकान स्थित है. जहां 80 वर्षों से लोग देशी घी की सोहन पापड़ी का स्वाद ले रहे हैं. यह सोहन पापड़ी देशभर में मशहूर है. कासगंज से जो भी व्यक्ति गुजरता है, वह यहां से सोहन पापड़ी लेकर जरूर जाता है. वर्तमान में जिले में तीन से चार प्रकार की सोहन पापड़ी बनाई जाती हैं.

सोहन पपड़ी को लोग विदेश में रिश्तेदारों को भेजते है
सोहन पपड़ी को लोग विदेश में रिश्तेदारों को भेजते है

दो महीने तक खा सकते हैं: रौशनलाल स्वीट्स के पंकज महेश्वरी ने बताया कि हमारे यहां सोहन पापड़ी तीन से चार प्रकार की बनाई जाती है, जिसमें मुख्य रूप से रेगुलर सोहन पापड़ी, रोल सोहन पापड़ी, पतीसा सोहन पापड़ी और ड्राईफ्रूट सोहन पापड़ी शामिल हैं. रेगुलर सोहन पपड़ी बेसन और मैदा की बनती है. इसमें लेयर होतीं हैं. वहीं, पतीसा सोहन पपड़ी सिर्फ बेसन की बनती है और इसमें लेयर नहीं होती हैं. रोल सोहन पपड़ी में बीच में मेवा भरा जाता है. उन्होंने बताया कि अगर नमी से इसे बचाया जाए तो यह दो महीने तक खाने के योग्य रह सकती है.


सोहन पपड़ी बनाने की विधि: रौशनलाल स्वीट्स के रजत माहेश्वरी बताते हैं कि सोहन पापड़ी का कारोबार हमारे पूर्वज करते थे और हम उनकी चौथी पीढ़ी से हैं. उनकी इस परंपरा को अब हम लेकर चल रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि स्वाद में सोहन पापड़ी जितनी लाजवाब है, इसको बनाने का तरीका उतना ही जटिल है. सोहन पापड़ी को बनाने में बेसन, मैदा, चीनी और देशी घी का प्रयोग किया जाता है. सबसे पहले बेसन और मैदा को देशी घी के साथ भून लिया जाता है, फिर चीनी की चाशनी तैयार कर भुने हुए बेसन-मैदा के पेस्ट को चाशनी के साथ मिलाकर लेयर तैयार की जाती है. पेस्ट में लगभग तीन से चार लेयर हो जाती है, तभी पेस्ट को बेलन से बेलकर उसमें खरबूजे के बीज की मिगी डालकर फिर उसकी कटिंग की जाती है.

यह भी पढ़ें: देवबंद: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में उलेमा बोले- देश में बढ़ रही धार्मिक नफरत बेहद खतरनाक



विदेश में भी फेमस है सोहन पापड़ी: रजत माहेश्वरी बताते हैं कि लोग हमारी सोहन पापड़ी को अपने विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों को कूरियर के माध्यम से भेजते हैं. प्रत्येक उत्सव और उपहार में हमारी देशी घी की सोहन पापड़ी जरूर शामिल रहती है. वहीं, इसके मूल्यों की अगर बात करें तो रेगुलर सोहन पापड़ी ₹480 प्रति किलो और रोल सोहन पापड़ी ₹520 प्रति किलो, पतीसा सोहन पापड़ी ₹500 प्रति किलो के हिसाब से बिकती है.


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कासगंज: गोस्वामी तुलसीदास की नगरी कासगंज विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों के लिए भी जानी जाती है. यहां की देशी घी से बनी मिठाई सोहन पापड़ी देशभर में प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं यहां की घेवर मिठाई भी लोगों को खूब भाती है. 80 वर्षों से देशी घी की सोहन पापड़ी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है. सोहन पापड़ी के निर्माता रौशनलाल हलवाई की चौथी पीढ़ी से ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.

ईटीवी भारत की टीम ने रौशनलाल हलवाई की चौथी पीढ़ी से बातचीत की

80 वर्षों से स्वाद का जादू कायम: रौशनलाल स्वीट्स के नाम से एक दुकान स्थित है. जहां 80 वर्षों से लोग देशी घी की सोहन पापड़ी का स्वाद ले रहे हैं. यह सोहन पापड़ी देशभर में मशहूर है. कासगंज से जो भी व्यक्ति गुजरता है, वह यहां से सोहन पापड़ी लेकर जरूर जाता है. वर्तमान में जिले में तीन से चार प्रकार की सोहन पापड़ी बनाई जाती हैं.

सोहन पपड़ी को लोग विदेश में रिश्तेदारों को भेजते है
सोहन पपड़ी को लोग विदेश में रिश्तेदारों को भेजते है

दो महीने तक खा सकते हैं: रौशनलाल स्वीट्स के पंकज महेश्वरी ने बताया कि हमारे यहां सोहन पापड़ी तीन से चार प्रकार की बनाई जाती है, जिसमें मुख्य रूप से रेगुलर सोहन पापड़ी, रोल सोहन पापड़ी, पतीसा सोहन पापड़ी और ड्राईफ्रूट सोहन पापड़ी शामिल हैं. रेगुलर सोहन पपड़ी बेसन और मैदा की बनती है. इसमें लेयर होतीं हैं. वहीं, पतीसा सोहन पपड़ी सिर्फ बेसन की बनती है और इसमें लेयर नहीं होती हैं. रोल सोहन पपड़ी में बीच में मेवा भरा जाता है. उन्होंने बताया कि अगर नमी से इसे बचाया जाए तो यह दो महीने तक खाने के योग्य रह सकती है.


सोहन पपड़ी बनाने की विधि: रौशनलाल स्वीट्स के रजत माहेश्वरी बताते हैं कि सोहन पापड़ी का कारोबार हमारे पूर्वज करते थे और हम उनकी चौथी पीढ़ी से हैं. उनकी इस परंपरा को अब हम लेकर चल रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि स्वाद में सोहन पापड़ी जितनी लाजवाब है, इसको बनाने का तरीका उतना ही जटिल है. सोहन पापड़ी को बनाने में बेसन, मैदा, चीनी और देशी घी का प्रयोग किया जाता है. सबसे पहले बेसन और मैदा को देशी घी के साथ भून लिया जाता है, फिर चीनी की चाशनी तैयार कर भुने हुए बेसन-मैदा के पेस्ट को चाशनी के साथ मिलाकर लेयर तैयार की जाती है. पेस्ट में लगभग तीन से चार लेयर हो जाती है, तभी पेस्ट को बेलन से बेलकर उसमें खरबूजे के बीज की मिगी डालकर फिर उसकी कटिंग की जाती है.

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विदेश में भी फेमस है सोहन पापड़ी: रजत माहेश्वरी बताते हैं कि लोग हमारी सोहन पापड़ी को अपने विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों को कूरियर के माध्यम से भेजते हैं. प्रत्येक उत्सव और उपहार में हमारी देशी घी की सोहन पापड़ी जरूर शामिल रहती है. वहीं, इसके मूल्यों की अगर बात करें तो रेगुलर सोहन पापड़ी ₹480 प्रति किलो और रोल सोहन पापड़ी ₹520 प्रति किलो, पतीसा सोहन पापड़ी ₹500 प्रति किलो के हिसाब से बिकती है.


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Last Updated : May 28, 2022, 3:51 PM IST
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