कासगंज: उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने की चाहत में सभी पार्टियां बड़े-बड़े सियासी दांव खेल रही हैं. वर्तमान में जातिगत वोटों के जोड़-तोड़ की कवायद तेजी से चल रही है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP 2022 assembly elections) में ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचने को लेकर सियासी दल बेचैन हैं. खासकर, पिछले दो विधानसभा चुनाव में हार झेलने वाली बसपा ब्राह्मण सम्मेलन (brahmin Sammelan) के जरिए ब्राह्मण वोटों को सहेजने की तैयारी शुरू कर चुकी है. यूपी में ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने की जिम्मेदारी पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के कंधों पर है. मिश्रा यूपी के कई जिलों के बाद सोमवार को कासगंज (Kasganj) में प्रबुद्ध सम्मेलन को संबोधित करते हुए वर्तमान की योगी सरकार (Yogi Government) पर जमकर हमला बोला. मंच पर पहुंचते ही मिश्रा ने बीजेपी सरकार में ब्राह्मणों की हत्याएं (Murder of brahmins) कराए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने छिपे शब्दों में बिकरू काण्ड (bikaru scandal) पर भी सवाल उठाए.
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सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अगर, प्रदेश में फिर से हमारी सरकार बनती है तो हम कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों को पर्यटन स्थल और तीर्थ नगरी घोषित कराने के लिए प्रयास करेंगे. सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि प्रदेश में 16.5 प्रतिशत ब्राह्मण और दलित वोट (Dalit Vote) बैंक हैं. अगर, ब्राह्मण और दलित साथ आ जाएं तो प्रदेश में बहन मायावती (Mayawati) को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता.
जानकार बताते हैं कि प्रदेश में ब्राह्मण संख्या के लिहाज से दलित, मुस्लिम और यादव से कम हैं. सूबे की आबादी में करीब 13 फीसदी हिस्सेदारी वाले ब्राह्मणों की प्रदेश के मध्य व पूर्वांचल के करीब 29 जिलों में अहम भूमिका मानी जाती है.