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रेबीज इंजेक्शन की पूरी डोज लगवाने के बाद भी मरीज की मौत, विश्वसनीयता पर उठे सवाल

अलीगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम खैरपुरा में राजवीर नामक एक युवक को कुत्ते ने काट लिया. उसे अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई. इसके बावजूद उसकी मौत हो गई.

रेबीज
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Published : Nov 14, 2021, 10:44 PM IST

Updated : Nov 14, 2021, 11:01 PM IST

एटा : यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लचर हैं, इसका ताजा मामला यूपी के एटा जनपद में देखने को मिला. पहले एक व्यक्ति को कुत्ता काटने के बाद उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए गए. बावजूद इसके व्यक्ति की मौत रेबीज के चलते ही हो गयी.

उससे पूर्व कुत्ता काटने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के लिए परिजनों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी. यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय में शिकायत करनी पड़ी. वहीं पीड़ित परिजनों ने एंटी रेबीज इंजेक्शन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं.

रेबीज इंजेक्शन की पूरी डोज लगवाने के बाद भी मरीज की मौत, विश्वसनीयता पर उठे सवाल

दरअसल, मामला एटा जनपद की अलीगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम खैरपुरा का है जहां के रहने वाले राजवीर को 20 अक्टूबर 20021 की सुबह लगभग 4 बजे घर के बाहर सोते समय जंगली कुत्ते ने काट लिया. उसी दिन सुबह लगभग 10 बजे राजवीर के अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई.

वैक्सीन की दूसरी डोज 23 अक्टूबर और तीसरी और आखिरी डोज 27 अक्टूबर को लगाई गई जिसके बाद गत 11 नवंबर को राजवीर पानी देखकर घबराने लगा. परिजन अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गए लेकिन वहां पर डॉक्टरों ने सुविधा न होने की बात कह कर मरीज को भर्ती नहीं किया.

इसके बाद परिजन एटा जिला अस्पताल ले गए. वहां भी इंकार किए जाने के बाद परिजन एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा ले गए. वहां भी मरीज को भर्ती नहीं किया. उसके बाद 12 नवंबर को परिजन मरीज को आगरा के जिला अस्पताल ले गए. वहां भी डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती किए बिना ही लौटा दिए.

इसे भी पढ़ेः जंगली जानवर के हमले से 4 लोग घायल, अस्पताल से एंटी रेबीज इंजेक्शन गायब

परिजन मरीज को वापस अलीगंज ले आए. मृत राजवीर के भतीजे अमित ने गूगल से सर्च कर स्वास्थ मंत्री कार्यालय लखनऊ का नंबर निकाला. वहां बात हुई. उसके बाद 13 नवंबर को सीएमओ के निर्देश पर मरीज राजवीर को अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया. 14 नवंबर को राजवीर ने दम तोड़ दिया.

मृतक राजवीर के भतीजे ने बताया कि इस बीच कई बार जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी को फोन किया लेकिन बार-बार फोन डिस्कनेक्ट किया गया. जब दूसरे नंबर से मिलाया तो फोन उठा लेकिन बात करते ही फिर डिस्कनेक्ट कर दिया गया.

अमित ने बताया कि प्रशासन का कोई सहयोग परिवार को नहीं मिला. अगर सहयोग मिलता तो उसके चाचा को बेहतर इलाज मिल सकता था.

मृतक के भाई रामवीर सिंह ने कहा कि एंटी रेबीज इंजेक्शनों पर हमें भरोसा नहीं है. हमें शक है कि इंजेक्शन कहीं नकली न हों या एक्सपायरी हों.

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इस संदर्भ में जब अलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्साधीक्षक डॉक्टर रंजीत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां रेबीज का मरीज एसएन हॉस्पिटल से आया था. यहां उपचार दिया गया और परिजन इलाज से संतुष्ट हैं.

उन्हें रेबीज से मृत्यु का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है. एंटी रेबीज इंजेक्शन नकली के आरोप निराधार हैं. एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने का मतलब यह बिलकुल नहीं कि मरीज को रेबीज नहीं होगा.

एटा : यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लचर हैं, इसका ताजा मामला यूपी के एटा जनपद में देखने को मिला. पहले एक व्यक्ति को कुत्ता काटने के बाद उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए गए. बावजूद इसके व्यक्ति की मौत रेबीज के चलते ही हो गयी.

उससे पूर्व कुत्ता काटने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के लिए परिजनों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी. यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय में शिकायत करनी पड़ी. वहीं पीड़ित परिजनों ने एंटी रेबीज इंजेक्शन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं.

रेबीज इंजेक्शन की पूरी डोज लगवाने के बाद भी मरीज की मौत, विश्वसनीयता पर उठे सवाल

दरअसल, मामला एटा जनपद की अलीगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम खैरपुरा का है जहां के रहने वाले राजवीर को 20 अक्टूबर 20021 की सुबह लगभग 4 बजे घर के बाहर सोते समय जंगली कुत्ते ने काट लिया. उसी दिन सुबह लगभग 10 बजे राजवीर के अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई.

वैक्सीन की दूसरी डोज 23 अक्टूबर और तीसरी और आखिरी डोज 27 अक्टूबर को लगाई गई जिसके बाद गत 11 नवंबर को राजवीर पानी देखकर घबराने लगा. परिजन अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गए लेकिन वहां पर डॉक्टरों ने सुविधा न होने की बात कह कर मरीज को भर्ती नहीं किया.

इसके बाद परिजन एटा जिला अस्पताल ले गए. वहां भी इंकार किए जाने के बाद परिजन एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा ले गए. वहां भी मरीज को भर्ती नहीं किया. उसके बाद 12 नवंबर को परिजन मरीज को आगरा के जिला अस्पताल ले गए. वहां भी डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती किए बिना ही लौटा दिए.

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परिजन मरीज को वापस अलीगंज ले आए. मृत राजवीर के भतीजे अमित ने गूगल से सर्च कर स्वास्थ मंत्री कार्यालय लखनऊ का नंबर निकाला. वहां बात हुई. उसके बाद 13 नवंबर को सीएमओ के निर्देश पर मरीज राजवीर को अलीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया. 14 नवंबर को राजवीर ने दम तोड़ दिया.

मृतक राजवीर के भतीजे ने बताया कि इस बीच कई बार जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी को फोन किया लेकिन बार-बार फोन डिस्कनेक्ट किया गया. जब दूसरे नंबर से मिलाया तो फोन उठा लेकिन बात करते ही फिर डिस्कनेक्ट कर दिया गया.

अमित ने बताया कि प्रशासन का कोई सहयोग परिवार को नहीं मिला. अगर सहयोग मिलता तो उसके चाचा को बेहतर इलाज मिल सकता था.

मृतक के भाई रामवीर सिंह ने कहा कि एंटी रेबीज इंजेक्शनों पर हमें भरोसा नहीं है. हमें शक है कि इंजेक्शन कहीं नकली न हों या एक्सपायरी हों.

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इस संदर्भ में जब अलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्साधीक्षक डॉक्टर रंजीत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां रेबीज का मरीज एसएन हॉस्पिटल से आया था. यहां उपचार दिया गया और परिजन इलाज से संतुष्ट हैं.

उन्हें रेबीज से मृत्यु का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है. एंटी रेबीज इंजेक्शन नकली के आरोप निराधार हैं. एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने का मतलब यह बिलकुल नहीं कि मरीज को रेबीज नहीं होगा.

Last Updated : Nov 14, 2021, 11:01 PM IST
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