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कासगंज में ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक नदरई पुल की मियाद खत्म, अधिकारी बोले- कोई खतरा नहीं

गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद योगी सरकार ने प्रदेश की सभी नहरों और नदियों पर बने पुलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, ईटीवी भारत ने कासगंज के ब्रिटिश काल में बने लगभग 140 साल पुराने ऐतिहासिक नदरई के पुल की हकीकत जानी. पढ़िए पूरी खबर...

कासगंज नदरई पुल
कासगंज नदरई पुल
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Published : Nov 3, 2022, 12:01 PM IST

कासगंज: गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश की सभी नहरों और नदियों पर बने पुलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद आज गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम ने भी कासगंज के ब्रिटिश काल में बने लगभग 140 साल पुराने अनोखे और ऐतिहासिक नदरई के पुल की हकीकत जानी.

कासगंज से लगभग 5 किलोमीटर दूर नदरई इलाके में स्थित इस ऐतिहासिक पुल को झाल का पुल भी कहते हैं. यह पुल अपने आप में अनोखा इसलिए है, क्योंकि यहां काली नदी के ऊपर से होकर दो गंग नहर बहती हैं. नदी के ऊपर से दो नहरों के बहने का दृश्य अन्यत्र देखने को नहीं मिलता है. इसके चलते इस ऐतिहासिक पुल को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं. आसपास के लोगों के लिए तो यह जगह अब पिकनिक स्पॉट जैसी बन गई है. बता दें कि इस नहर का निर्माण ब्रिटिश काल में सन 1870 से लेकर 1883 के बीच में हुआ था. उसी समय इस पुल का भी निर्माण किया गया था.

कासगंज के नदरई पुल पर संवाददाता की रिपोर्ट.

कासगंज के सिंचाई विभाग के एक्सईएन अरुण कुमार की मानें तो इस पुल को बने हुए लगभग 140 वर्ष बीत चुके हैं, जबकि किसी भी नहर अथवा नदी के पुल की मियाद 100 वर्ष की होती है. अगर देखा जाय तो इस पुल की मियाद भी समाप्त हो चुकी है. एक्सईएन अरुण कुमार का कहना है भले ही इसकी मियाद समाप्त हो चुकी है. लेकिन, फिलहाल इस पुल पर अभी कोई खतरा नहीं है और यह पुल पूरी तरह सुरक्षित है.

यह भी पढ़ें: शाहजहांपुर की मस्जिद में घुसकर अज्ञात शख्स ने जलाया धर्म ग्रंथ, उपद्रव के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज

इस संबंध में नदरई पुल के आसपास के रहने वाले लोगों से बात की गई तो एक युवक योगेश ने बताया कि नहर के दो छोरों को जोड़ता हुआ एक अंडरपास बना हुआ है. उस अंडरपास के नीचे नहर का पानी रिसाव कर रहा है. युवक ने बताया कि नहर के अंडरपास के अंदर लिंटर के माध्यम से पानी नीचे आ रहा है, जो निश्चित तौर पर भविष्य में खतरे का संकेत दे रहा है. समय रहते प्रशासनिक अधिकारियों को इस बाबत ध्यान देना चाहिए.

कासगंज: गुजरात के मोरबी में हुए हादसे के बाद यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश की सभी नहरों और नदियों पर बने पुलों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद आज गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम ने भी कासगंज के ब्रिटिश काल में बने लगभग 140 साल पुराने अनोखे और ऐतिहासिक नदरई के पुल की हकीकत जानी.

कासगंज से लगभग 5 किलोमीटर दूर नदरई इलाके में स्थित इस ऐतिहासिक पुल को झाल का पुल भी कहते हैं. यह पुल अपने आप में अनोखा इसलिए है, क्योंकि यहां काली नदी के ऊपर से होकर दो गंग नहर बहती हैं. नदी के ऊपर से दो नहरों के बहने का दृश्य अन्यत्र देखने को नहीं मिलता है. इसके चलते इस ऐतिहासिक पुल को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं. आसपास के लोगों के लिए तो यह जगह अब पिकनिक स्पॉट जैसी बन गई है. बता दें कि इस नहर का निर्माण ब्रिटिश काल में सन 1870 से लेकर 1883 के बीच में हुआ था. उसी समय इस पुल का भी निर्माण किया गया था.

कासगंज के नदरई पुल पर संवाददाता की रिपोर्ट.

कासगंज के सिंचाई विभाग के एक्सईएन अरुण कुमार की मानें तो इस पुल को बने हुए लगभग 140 वर्ष बीत चुके हैं, जबकि किसी भी नहर अथवा नदी के पुल की मियाद 100 वर्ष की होती है. अगर देखा जाय तो इस पुल की मियाद भी समाप्त हो चुकी है. एक्सईएन अरुण कुमार का कहना है भले ही इसकी मियाद समाप्त हो चुकी है. लेकिन, फिलहाल इस पुल पर अभी कोई खतरा नहीं है और यह पुल पूरी तरह सुरक्षित है.

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इस संबंध में नदरई पुल के आसपास के रहने वाले लोगों से बात की गई तो एक युवक योगेश ने बताया कि नहर के दो छोरों को जोड़ता हुआ एक अंडरपास बना हुआ है. उस अंडरपास के नीचे नहर का पानी रिसाव कर रहा है. युवक ने बताया कि नहर के अंडरपास के अंदर लिंटर के माध्यम से पानी नीचे आ रहा है, जो निश्चित तौर पर भविष्य में खतरे का संकेत दे रहा है. समय रहते प्रशासनिक अधिकारियों को इस बाबत ध्यान देना चाहिए.

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