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10 सालों से बंद पड़ा राजकीय पशु चिकित्सालय, उद्घाटन का कर रहा इंताजर - Veterinary hospital in Kasganj was not inaugurated for 10 years

कासगंज जिले के पटियाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत रतनपुर फंतियापुर में बना राजयकीय पशु चिकित्सालय 2010 से अपने उद्घाटन की बाट जोह रहा है. इस पशु चिकित्सालय की सुध लेने वाला कोई नहीं है, ऐसे में बेजुबानों को इलाज मिलने में दिक्कत हो रही है.

बंद पड़ा  राजकीय पशु चिकित्सालय
बंद पड़ा राजकीय पशु चिकित्सालय
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Published : Jun 29, 2021, 11:53 AM IST

कासगंज: जिले के पटियाली ब्लॉक के ग्राम रतनपुर फतियांपुर में 10 वर्ष पूर्व बना राजकीय पशु चिकित्सालय खुलने से पहले ही खण्डहर बन गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को कई किलोमीटर पशुओं के इलाज के लिए जाना पड़ता है. 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में लगभग 28 लाख की लागत से इस राजकीय पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था. जिसका लाभ ग्रामीणों को आज तक नहीं मिल सका.

जर्जर हुई लाखों की लागत से बनी बिल्डिंग
अस्पताल का ना तो उद्घाटन हो सका और ना ही किसी ने इसकी सुध ली. जिसके चलते यह बिल्डिंग खुलने से पहले ही खण्डहर बन गयी है. अस्पताल की दीवारों का प्लास्टर उखड़ गया है. कमरों में लगीं खिड़कियां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकीं हैं. बिजली के बोर्ड और फिटिंग उखड़ी हुई है, तो वहीं दरवाजों को खरपतवार ने ढक लिया है.

10 सालों से उद्घाटन के इंतजार में राजकीय पशु चिकित्सालय
राजकीय पशु चिकित्सालय के लिए भूमि दान करने वाले दानदाता तत्कालीन ग्राम प्रधान रामभरोसे ने क्षेत्र के पशुओं के स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से यह जमीन दान दी थी, लेकिन उनका वह उद्देश्य भी पूरा न हो सका. रामभरोसे के पुत्र आशीष यादव ने कहा कि यह सरकारी धन की बर्बादी है.

इसे भी पढ़ें-टीम को देख छुपे ग्रामीण, तब 96 वर्षीय दादी ने दिखाई टीकाकरण की राह

वहीं गांव के एक वरिष्ठ नागरिक और रिटायर्ड फौजी जय पाल सिंह ने कहा कि अस्पताल के न खुलने से सरकारी रुपयों की बर्बादी हो रही है. अस्पताल की यह बिल्डिंग गुंडों और बदमाशों की आश्रय स्थली बन गयी है. यहां के पशु पालक पशुओं के इलाज के लिए 8 किलोमीटर दूर राजा का रामपुर और 14 किलोमीटर दूर अलीगंज जाने को मजबूर हैं. वहीं आकस्मिक स्थिति में पशुओं के झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है.

कासगंज: जिले के पटियाली ब्लॉक के ग्राम रतनपुर फतियांपुर में 10 वर्ष पूर्व बना राजकीय पशु चिकित्सालय खुलने से पहले ही खण्डहर बन गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को कई किलोमीटर पशुओं के इलाज के लिए जाना पड़ता है. 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में लगभग 28 लाख की लागत से इस राजकीय पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया गया था. जिसका लाभ ग्रामीणों को आज तक नहीं मिल सका.

जर्जर हुई लाखों की लागत से बनी बिल्डिंग
अस्पताल का ना तो उद्घाटन हो सका और ना ही किसी ने इसकी सुध ली. जिसके चलते यह बिल्डिंग खुलने से पहले ही खण्डहर बन गयी है. अस्पताल की दीवारों का प्लास्टर उखड़ गया है. कमरों में लगीं खिड़कियां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकीं हैं. बिजली के बोर्ड और फिटिंग उखड़ी हुई है, तो वहीं दरवाजों को खरपतवार ने ढक लिया है.

10 सालों से उद्घाटन के इंतजार में राजकीय पशु चिकित्सालय
राजकीय पशु चिकित्सालय के लिए भूमि दान करने वाले दानदाता तत्कालीन ग्राम प्रधान रामभरोसे ने क्षेत्र के पशुओं के स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से यह जमीन दान दी थी, लेकिन उनका वह उद्देश्य भी पूरा न हो सका. रामभरोसे के पुत्र आशीष यादव ने कहा कि यह सरकारी धन की बर्बादी है.

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वहीं गांव के एक वरिष्ठ नागरिक और रिटायर्ड फौजी जय पाल सिंह ने कहा कि अस्पताल के न खुलने से सरकारी रुपयों की बर्बादी हो रही है. अस्पताल की यह बिल्डिंग गुंडों और बदमाशों की आश्रय स्थली बन गयी है. यहां के पशु पालक पशुओं के इलाज के लिए 8 किलोमीटर दूर राजा का रामपुर और 14 किलोमीटर दूर अलीगंज जाने को मजबूर हैं. वहीं आकस्मिक स्थिति में पशुओं के झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है.

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