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आम के फूलों को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे इंतजाम करते हैं आम उत्पादक - मैंगो मिलीबग

आम को फलों का राजा कहा जाता है. इसकी अनोखी मिठास इसे दूसरे फलों से जुदा करती है. किसान आम से पहले इसके फूलों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम तरह के उपाय करता है. जिससे कि आम पैदावर अच्छी हो. यूपी के कासगंज जिले में हर वर्ष करोड़ों रुपये के आम का निर्यात किया जाता है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Mar 16, 2021, 11:25 AM IST

कासगंज: आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता इसकी लुभावनी रंगत और गजब की मिठास इसे अन्य फलों से जुदा करती है. क्या आप जानते हैं कि पेड़ पर आम आने से पहले आम के फूल को सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या जतन करने पड़ते हैं. क्यों कि यह फूल ही आगे चलकर आम का रूप लेता है. ईटीवी भारत ने पेड़ पर बौर को बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों की पड़ताल की और आम के उत्पादकों की समस्याओं को जाना.

स्पेशल रिपोर्ट.

कासगंज में पैदा होतीं हैं आम की 4 किस्में
कासगंज में आम की भारी मात्रा में पैदावार होती है. यहां मुख्यतः चार प्रकार की किस्मों के आम की पैदावार होती है जिसमे मुख्यरूप से दशहरी, चौंसा, टिकारी और लंगड़ा शामिल है. कासगंज से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का आम बाहर भेजा जाता है, लेकिन आम पेड़ पर आने से पहले उसके फूल को सुरक्षित रखना आम उत्पादकों के लिए बड़ी चुनौती है.

फरवरी के अंतिम सप्ताह में आता है आम का फूल
मुख्यतः फरवरी के अंतिम सप्ताह से पेड़ों पर आम का फूल जिसे स्थानीय भाषा मे बौर कहा जाता है आना शुरू हो जाता है और अप्रैल में इसकी फ़्रूटिंग होने लगती है. पेड़ पर आए बौर पर निर्भर करता है कि आम की पैदावार कैसी होगी. अगर बौर ज्यादा होगा तो पैदावार भी ज्यादा होगी. इसलिए बौर को बचाने के लिए आम उत्पादक कई तरह के उपाय करते हैं.

फूल बचाने के लिए इन कैमिकल का होता है छिड़काव
ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर विष्णु चौहान ने बताया कि आम के बौर के आने से पहले आम के बागों को पानी से सींचा जाता है और पेड़ों में डाई और जैविक खाद का प्रयोग भी किया जाता है जिससे बौर अच्छा आए. जब पेड़ों पर बौर आ जाता है तो सबसे जरूरी होता है कि बौर में फंगस न बन जाए. जिसके लिए इस समय कई प्रकार के स्प्रे आम के पेड़ों पर किये जा रहे हैं. जिनमें पानी मे सल्फर और हैकजाकोनालजोल मिला कर पेड़ों पर छिड़काव किया जा रहा है.

मिलीबग होता है आम का दुश्मन
आम के बौर और फल को मैंगो मिलीबग से बचाने के लिए भी अभी से इंतजाम करने पड़ते हैं. क्यों कि मैंगो मिलीबग मार्च के प्रथम सप्ताह में यह पौधे के ऊपर जाता है और आम की टहनी में जाकर चिपक जाता है और उसे नष्ट कर देता है. इसलिए पेड़ पर फल अच्छी तरह से ज्यादा मात्रा में आ जाए. इसलिए आम के फूल (बौर) को बचाने की तैयारी चल रही है.

आम उत्पादकों ने की फसल का बीमा कराने की मांग
वहीं आम के उत्पादकों को अक्सर मौसम की मार का सामना करना पड़ता है. जिससे कभी-कभी इन्हें लाखों का घाटा भी उठाना पड़ता है. लेकिन मौसम की मार से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने इनके लिए कोई योजना नहीं तैयार की है. तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से आम उत्पादकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. इस लिए आम उत्पादकों ने सरकार से उनकी आम फसलों का बीमा करने की मांग उठाई है.

बीमा की मांग पर बोले जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी सुमित चौहान ने बताया कि नियमानुसार एक साथ 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगी फसल का ही बीमा किया जा सकता है, लेकिन जनपद में एक साथ 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की फसल नहीं है. इस कारण आम की फसल का बीमा नहीं हो सकता.

इसे भी पढे़ं- बौर से लदे आम के पेड़, अच्छी पैदावार की उम्मीद

कासगंज: आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता इसकी लुभावनी रंगत और गजब की मिठास इसे अन्य फलों से जुदा करती है. क्या आप जानते हैं कि पेड़ पर आम आने से पहले आम के फूल को सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या जतन करने पड़ते हैं. क्यों कि यह फूल ही आगे चलकर आम का रूप लेता है. ईटीवी भारत ने पेड़ पर बौर को बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों की पड़ताल की और आम के उत्पादकों की समस्याओं को जाना.

स्पेशल रिपोर्ट.

कासगंज में पैदा होतीं हैं आम की 4 किस्में
कासगंज में आम की भारी मात्रा में पैदावार होती है. यहां मुख्यतः चार प्रकार की किस्मों के आम की पैदावार होती है जिसमे मुख्यरूप से दशहरी, चौंसा, टिकारी और लंगड़ा शामिल है. कासगंज से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का आम बाहर भेजा जाता है, लेकिन आम पेड़ पर आने से पहले उसके फूल को सुरक्षित रखना आम उत्पादकों के लिए बड़ी चुनौती है.

फरवरी के अंतिम सप्ताह में आता है आम का फूल
मुख्यतः फरवरी के अंतिम सप्ताह से पेड़ों पर आम का फूल जिसे स्थानीय भाषा मे बौर कहा जाता है आना शुरू हो जाता है और अप्रैल में इसकी फ़्रूटिंग होने लगती है. पेड़ पर आए बौर पर निर्भर करता है कि आम की पैदावार कैसी होगी. अगर बौर ज्यादा होगा तो पैदावार भी ज्यादा होगी. इसलिए बौर को बचाने के लिए आम उत्पादक कई तरह के उपाय करते हैं.

फूल बचाने के लिए इन कैमिकल का होता है छिड़काव
ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर विष्णु चौहान ने बताया कि आम के बौर के आने से पहले आम के बागों को पानी से सींचा जाता है और पेड़ों में डाई और जैविक खाद का प्रयोग भी किया जाता है जिससे बौर अच्छा आए. जब पेड़ों पर बौर आ जाता है तो सबसे जरूरी होता है कि बौर में फंगस न बन जाए. जिसके लिए इस समय कई प्रकार के स्प्रे आम के पेड़ों पर किये जा रहे हैं. जिनमें पानी मे सल्फर और हैकजाकोनालजोल मिला कर पेड़ों पर छिड़काव किया जा रहा है.

मिलीबग होता है आम का दुश्मन
आम के बौर और फल को मैंगो मिलीबग से बचाने के लिए भी अभी से इंतजाम करने पड़ते हैं. क्यों कि मैंगो मिलीबग मार्च के प्रथम सप्ताह में यह पौधे के ऊपर जाता है और आम की टहनी में जाकर चिपक जाता है और उसे नष्ट कर देता है. इसलिए पेड़ पर फल अच्छी तरह से ज्यादा मात्रा में आ जाए. इसलिए आम के फूल (बौर) को बचाने की तैयारी चल रही है.

आम उत्पादकों ने की फसल का बीमा कराने की मांग
वहीं आम के उत्पादकों को अक्सर मौसम की मार का सामना करना पड़ता है. जिससे कभी-कभी इन्हें लाखों का घाटा भी उठाना पड़ता है. लेकिन मौसम की मार से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने इनके लिए कोई योजना नहीं तैयार की है. तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से आम उत्पादकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. इस लिए आम उत्पादकों ने सरकार से उनकी आम फसलों का बीमा करने की मांग उठाई है.

बीमा की मांग पर बोले जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी सुमित चौहान ने बताया कि नियमानुसार एक साथ 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगी फसल का ही बीमा किया जा सकता है, लेकिन जनपद में एक साथ 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की फसल नहीं है. इस कारण आम की फसल का बीमा नहीं हो सकता.

इसे भी पढे़ं- बौर से लदे आम के पेड़, अच्छी पैदावार की उम्मीद

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