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आज है अमर शहीद क्रांतिकारी महावीर सिंह का बलिदान दिवस - 17 मई 1933 की शाम महावीर सिंह ने अंतिम सांस ली

देश की आजादी के महानायक रहे भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त और महावीर सिंह चंद्रशेखर आजाद के साथी थे. उत्तर प्रदेश के जनपद कासगंज के ग्राम शाहपुर टहला में जन्मे अमर शहीद महावीर सिंह का आज बलिदान दिवस है.

आज है शहीद क्रांतिकारी महावीर सिंह का बलिदान दिवस
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Published : May 17, 2019, 2:05 PM IST

कासगंज: आज देश के अमर शहीद महावीर सिंह का बलिदान दिवस है. इस मौके पर शहीद महावीर सिंह की जन्मभूमि कासगंज में उनके परिवारजन से कुछ अनछुए पहलुओं पर ईटीवी भारत ने बातचीत की.

शहीद महावीर सिंह की क्रांतिकारी यात्रा..

⦁ अमर शहीद महावीर सिंह का जन्म 16 सितंबर 1904 को उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद के शाहपुर टहला गांव में हुआ था.
⦁ इनके पिता प्रसिद्ध वैध कुंवर देवी सिंह और इनकी माता श्रीमती शारदा देवी थी. राष्ट्र सम्मान के लिए मर मिटने की भावना उनके मन में बचपन से ही थी.
⦁ 1925 में महावीर सिंह उच्च शिक्षा के लिए डीएवी कॉलेज कानपुर गए. वहीं पर यह महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के संपर्क में आए.
⦁ महावीर सिंह इसके बाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए. इस जरिए इनका परिचय भगत सिंह से हुआ.
⦁ वही सांडर्स की हत्या में सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके साथ अन्य साथियों के साथ आजन्म कारावास का दंड दिया गया.
⦁ जनवरी 1933 में उन्हें अंडमान में काला पानी की सजा सुनाई गई.
⦁ 17 मई 1933 की शाम महावीर सिंह को डॉक्टरों ने नली द्वारा फेफड़ों में दूध भर दिया.
⦁ 12 बजे देश के सपूत ने अपने जीवन के अंतिम सांस ली.

आज है शहीद क्रांतिकारी महावीर सिंह का बलिदान दिवस

यह शादी नहीं करना चाहते थे. कुंए के पास फेरे लेते वक्त वह बेहोश हो गए, इस वजह से इनकी शादी नहीं हुई. अंडमान में काला पानी की सजा सुनाए जाने के बाद यह अनशन पर बैठ गए. अनशन के छठे दिन डॉक्टरों ने इनकी नली फेफड़ों में दूध भर दिया. इसके बाद हमें सूचना दी गई कि महावीर सिंह की मृत्यु हो गई है.

-दीपेंद्र सिंह राठौर, महावीर सिंह के भतीजे

कासगंज: आज देश के अमर शहीद महावीर सिंह का बलिदान दिवस है. इस मौके पर शहीद महावीर सिंह की जन्मभूमि कासगंज में उनके परिवारजन से कुछ अनछुए पहलुओं पर ईटीवी भारत ने बातचीत की.

शहीद महावीर सिंह की क्रांतिकारी यात्रा..

⦁ अमर शहीद महावीर सिंह का जन्म 16 सितंबर 1904 को उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद के शाहपुर टहला गांव में हुआ था.
⦁ इनके पिता प्रसिद्ध वैध कुंवर देवी सिंह और इनकी माता श्रीमती शारदा देवी थी. राष्ट्र सम्मान के लिए मर मिटने की भावना उनके मन में बचपन से ही थी.
⦁ 1925 में महावीर सिंह उच्च शिक्षा के लिए डीएवी कॉलेज कानपुर गए. वहीं पर यह महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के संपर्क में आए.
⦁ महावीर सिंह इसके बाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए. इस जरिए इनका परिचय भगत सिंह से हुआ.
⦁ वही सांडर्स की हत्या में सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके साथ अन्य साथियों के साथ आजन्म कारावास का दंड दिया गया.
⦁ जनवरी 1933 में उन्हें अंडमान में काला पानी की सजा सुनाई गई.
⦁ 17 मई 1933 की शाम महावीर सिंह को डॉक्टरों ने नली द्वारा फेफड़ों में दूध भर दिया.
⦁ 12 बजे देश के सपूत ने अपने जीवन के अंतिम सांस ली.

आज है शहीद क्रांतिकारी महावीर सिंह का बलिदान दिवस

यह शादी नहीं करना चाहते थे. कुंए के पास फेरे लेते वक्त वह बेहोश हो गए, इस वजह से इनकी शादी नहीं हुई. अंडमान में काला पानी की सजा सुनाए जाने के बाद यह अनशन पर बैठ गए. अनशन के छठे दिन डॉक्टरों ने इनकी नली फेफड़ों में दूध भर दिया. इसके बाद हमें सूचना दी गई कि महावीर सिंह की मृत्यु हो गई है.

-दीपेंद्र सिंह राठौर, महावीर सिंह के भतीजे

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स्लग- आज है अमर शहीद क्रांतिकारी महावीर सिंह का बलिदान दिवस


एंकर- देश की आजादी के महानायक रहे चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह बटुकेश्वर दत्त और चन्द्रशेखर आज़ाद के साथी और उत्तर प्रदेश के जनपद कासगंज के ग्राम शाहपुर टहला मे जन्मे अमर शहीद महावीर सिंह का आज बलिदान दिवस है। आज ईटीवी भारत ने उनकी जन्मभूमि पहुंचकर उनके परिवारीजन से अमर शहीद महावीर सिंह के कुछ अनछुए पहलुओं पर बात की।


Body:वीओ-1- अमर शहीद महावीर सिंह का जन्म 16 सितंबर 1904 को उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद के शाहपुर टहला गांव में हुआ था इनके पिता प्रसिद्ध वैध कुंवर देवी सिंह और इनकी माता का नाम श्रीमती शारदा देवी था। राष्ट्र सम्मान के लिए मर मिटने की भावना उनके मन में बचपन से ही थी।
1925 में महावीर सिंह उच्च शिक्षा के लिए डीएवी कॉलेज कानपुर गए। वहीं पर यह महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के संपर्क में आए। और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए इस जरिए इनका परिचय भगत सिंह से हुआ।

वीओ-2- 1929 में दिल्ली असेंबली भवन में भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त द्वारा बम फेंके जाने के बाद लोगों की गिरफ्तारियां शुरू हो गई और अधिकांश क्रांतिकारी पकड़कर मुकदमा चलाने के लिए लाहौर पहुंचा दिए गए ऐसे में महावीर सिंह भी पकड़े गए।

वही सांडर्स की हत्या में सहायता करने के अभियोग में महावीर सिंह को उनके साथ अन्य साथियों के साथ आजन्म कारावास का दंड दिया गया। जिसमें भगत सिंह राजगुरु सुखदेव और किशोरी लाल को मद्रास प्रांत की विभिन्न जिलों में भेज दिया गया ।वहीं महावीर सिंह और गयाप्रसाद को बेलौरी कर्नाटक सेंट्रल जेल ले जाया गया जहां से जनवरी 1933 में उन्हें अंडमान कालापानी भेज दिया गया।
जेल में राजनीतिक कैदियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार, अच्छा खाना, पढ़ने लिखने की सुविधाएं, रात में रोशनी आदि की मांग को लेकर सभी राजनीतिक बंदियों ने 12 मई 1933 से जेल प्रशासन के विरुद्ध अनशन आरंभ कर दिया । अनशन के छठे दिन से ही अधिकारियों ने इसे कुचलने के लिए बलपूर्वक दूध पिलाने का कार्यक्रम आरंभ कर दिया 17 मई 1933 की शाम को जब आधे घंटे की कुश्ती के बाद दस बारह व्यक्तियों ने मिलकर महावीर सिंह को जमीन पर पटक दिया और डॉक्टरों ने एक घुटना उनके सीने पर रखकर नली नाक के अंदर डाल दी। उसने देखने की परवाह भी नहीं कि की नली पेट में न जाकर महावीर सिंह के फेफड़ों में चली गई है। नली द्वारा दूध फेफड़ों में भर दिया गया और महावीर सिंह मछली की तरह तड़पने लगे। अंग्रेज डॉक्टरों ने इसी हालत में छोड़कर चले गए रात के 12:00 बजे देश के सपूत ने अपने जीवन के अंतिम सांस ली।




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