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यूपीसीडा वापस कर सकता है किसानों की अधिग्रहित जमीन, जानें क्यों - उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण

कानपुर जिले में यूपीसीडा किसानों की अधिग्रहित जमीन को वापस कर सकता है. उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से जिले के मंधना में किसानों की जमीन को अधिग्रहित किया गया है.

यूपीसीडा वापस कर सकता है किसानों की अधिग्रहित जमीन.
यूपीसीडा वापस कर सकता है किसानों की अधिग्रहित जमीन.
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Published : Nov 30, 2020, 10:38 PM IST

कानपुर: उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) मंधना इलाके के औद्योगिक क्षेत्र प्रोजेक्ट को रद्द कर सकता है. साथ ही प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई किसानों की जमीन को भी वापस कर सकता है. अधिग्रहण के समय किसानों को दिए गए मुआवजे की राशि को भी यूपीसीडा वापस ले सकता है.

शासन ने इस प्रोजेक्ट को अमृतसर- कोलकाता ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का हिस्सा बनाने की तैयारी की, तो पता चला कि यहां कब्जा लेना आसान नहीं है. किसानों द्वारा यूपीसीडा से जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा तो ले लिया लेकिन उसके बाद किसानों ने जमीन पर से कब्जा नहीं छोड़ा. इतना ही नहीं किसान सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इस कारण यूपीसीडा प्रोजेक्ट को रद्द कर जमीन वापसी की तैयारी कर रहा है.


900 एकड़ भूमि का हुआ था अधिग्रहण
यूपीसीडा ने साल 2012 में मंधना के 6 गांव की करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. जिनमें से ढाई हजार किसानों में से 2 हजार किसानों को 80 करोड़ से अधिक राशि बतौर मुआवजे के रूप दी जा चुकी है. अभी 75 एकड़ भूमि का मुआवजा देना शेष है.

मुआवजे के बाद भी किसानों ने किया था आंदोलन

मुआवजा मिलने के बाद भी किसानों ने आंदोलन किया था. साथ ही किसानों ने अधिग्रहित जमीन पर यूपीसीडा को काम करने से भी कई बार रोका. किसानों ने अधिग्रहित भूमि पर कब्जा कर वहां पर खेती करनी शुरू कर दी थी. यूपीसीडा अधिकारी के अनुसार प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जल्द ही किसानों को भूमि वापस कर मुआवजा राशि वापस लेने पर निर्णय हो सकता है.

किसी भी दशा में किसान भूमि पर कब्जा देने को तैयार नहीं हो रहे है.अब उनसे मुआवजे की राशि वापस लेकर कहीं और औद्योगिक क्षेत्र के लिए भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बनाई जा रही है.

कानपुर: उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) मंधना इलाके के औद्योगिक क्षेत्र प्रोजेक्ट को रद्द कर सकता है. साथ ही प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई किसानों की जमीन को भी वापस कर सकता है. अधिग्रहण के समय किसानों को दिए गए मुआवजे की राशि को भी यूपीसीडा वापस ले सकता है.

शासन ने इस प्रोजेक्ट को अमृतसर- कोलकाता ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का हिस्सा बनाने की तैयारी की, तो पता चला कि यहां कब्जा लेना आसान नहीं है. किसानों द्वारा यूपीसीडा से जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा तो ले लिया लेकिन उसके बाद किसानों ने जमीन पर से कब्जा नहीं छोड़ा. इतना ही नहीं किसान सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इस कारण यूपीसीडा प्रोजेक्ट को रद्द कर जमीन वापसी की तैयारी कर रहा है.


900 एकड़ भूमि का हुआ था अधिग्रहण
यूपीसीडा ने साल 2012 में मंधना के 6 गांव की करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. जिनमें से ढाई हजार किसानों में से 2 हजार किसानों को 80 करोड़ से अधिक राशि बतौर मुआवजे के रूप दी जा चुकी है. अभी 75 एकड़ भूमि का मुआवजा देना शेष है.

मुआवजे के बाद भी किसानों ने किया था आंदोलन

मुआवजा मिलने के बाद भी किसानों ने आंदोलन किया था. साथ ही किसानों ने अधिग्रहित जमीन पर यूपीसीडा को काम करने से भी कई बार रोका. किसानों ने अधिग्रहित भूमि पर कब्जा कर वहां पर खेती करनी शुरू कर दी थी. यूपीसीडा अधिकारी के अनुसार प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जल्द ही किसानों को भूमि वापस कर मुआवजा राशि वापस लेने पर निर्णय हो सकता है.

किसी भी दशा में किसान भूमि पर कब्जा देने को तैयार नहीं हो रहे है.अब उनसे मुआवजे की राशि वापस लेकर कहीं और औद्योगिक क्षेत्र के लिए भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बनाई जा रही है.

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