कानपुर: नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन हो चुका है. इसके चलते उच्च शिक्षा विभाग से जुड़ी गतिविधयों में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया गया है. वहीं, अब इस नीति के एक नियम ने कॉलेज प्रबंधकों व प्राचार्यों की नींद उड़ा दी है.
दरअसल, कानपुर विश्विवद्यालय में मौजूदा समय में 800 से अधिक कालेज संबद्ध हैं. इनमें से अधिकतर कॉलेज सेल्फ फाइनेंस हैं. कालेजों की संख्या तो अच्छी है, लेकिन उनमें छात्र संख्या बहुत अच्छी नहीं है, जबकि नए नियमों के तहत अब 3,000 से कम छात्रों की संख्या वाले कॉलेजों पर संचालन को लेकर संकट के बादल होंगे. ऐसे कॉलेजों का रिकार्ड तैयार कराया जा रहा है और आने वाले दिनों में यहां के छात्रों का समायोजन होगा. कमोबेश, यही कवायद शिक्षकों की संख्या को लेकर भी की जाएगी.
कानपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (कूटा) के अध्यक्ष डॉ. बीडी पांडेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति के जो नियम हैं उन्हें लेकर सूबे में उथल-पुथल की स्थिति है. हालांकि, 3,000 से कम छात्र संख्या वाले कॉलेजों के लिए अब मुश्किलें बढ़ेंगी. वहीं, इन गतिविधियों की देखरेख के लिएएनआईआरएफ व अबेकस के विशेषज्ञ नजर रखेंगे. इसके अलावा उच्च शिक्षा अधिकारी भी कॉलेजों की सूची तैयार करवाएंगे.
विश्वविद्यालय की ओर से सभी संबद्ध कॉलेजों की लिस्ट तैयार कराई जा रही है. अब कॉलेजों की पूरी जानकारी विश्वविद्यालय के पास होगी. जो आंकड़े सामने होंगे, उनके मुताबिक शिक्षकों व छात्रों को समायोजित करेंगे.
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