कानपुरः जिले के नन्हे वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ऑटोमेटिक डस्टबिन बनाया है. जो कई सारी खूबियों से लैस है. अमूमन देखा जाता है कि लोग डस्टबिन में कूड़ा डालने से कतराते हैं. जिसकी मुख्य वजह ये है कि वो डस्टबिन को छूना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में इन नन्हे वैज्ञानिकों के दिमाग में एक ऐसा डस्टबिन बनाने का आइडिया आया. जिसे बिना छुए ही उसमें कूड़ा डाला जा सके. जिसके बाद नन्हे वैज्ञानिकों ने शोध कर कर ये डस्टबिन तैयार की है. इसमें कई सारे सेंसर लगे हुए हैं, जो किसी इंसान को दूर से ही डिडक्ट कर लेते हैं. जिसके बाद डस्टबिन अपने आप खुल जाती है. ये डस्टबिन 10 सेकंड खुले रहने के बाद खुद बंद भी हो जाती है.
11वीं के छात्रों ने तैयार की ऑटोमेटिक डस्टबिन
कानपुर के जय नारायण विद्या मंदिर में पढ़ने वाले कक्षा 11वीं के छात्र गौरव कटियार और मयंक कटियार ने मिलकर ये ऑटोमेटिक डस्टबिन तैयार की है. ये एक समान सी दिखने वाली डस्टबिन है. इसमें कई सारे सेंसर लगे हुए हैं. जो ह्यूमन बॉडी को डिडक्ट करते हैं. अगर कोई आदमी डस्टबिन के पास पहुंचता है, तो सेंसर उसकी बॉडी को डिडक्ट कर लेते हैं और डस्टबिन अपने आप खुल जाती है. कूड़ा डालने के लिए लगभग 10 सेकंड तक डस्टबिन खुली रहती है. जिसके बाद ऑटोमेटिक डस्टबिन बंद हो जाती है.
कोरोना काल में आया ऑटोमैटिक डस्टबिन बनाने का आइडिया
ऑटोमैटिक डस्टबिन तैयार करने वाले छात्र गौरव कटियार ने बताया कि जब कोविड-19 में लोग वायरस से बचने के लिए एक दूसरे से दूर रहते थे, और साफ सफाई का ध्यान रखते थे. ऐसे में उनके दिमाग में ये आइडिया आया कि लोग डस्टबिन को भी छूना नहीं पसंद करते हैं. साथ ही लोग दूर से ही उसमें भी कूड़ा डालना चाहते हैं. जिसके बाद उन्होंने संक्रमण से बचने के लिए ऑटोमेटिक टचलेस डस्टबिन अपने साथियों के साथ मिलकर तैयार किया.
कम कीमत में मार्केट में मिलेगी डस्टबिन
ये ऑटोमैटिक डस्टबिन दूसरे डस्टबिन की तुलना में कम रुपए में मिलेगी. मार्केट में मौजूद ऑटोमेटिक डस्टबिन की कीमतें हजारों में हैं, तो वहीं इस डस्टबिन की कीमत महज 800 रुपए है. जो मार्केट में मिलने वाले इसी प्रकार के ऑटोमेटिक डस्टबिन की कीमतों के मुकाबले आधे से भी कम हैं.
ऑटोमैटिक डस्टबिन का मिला ऑर्डर
नन्हे वैज्ञानिकों की इस आइडिया को पहला ऑर्डर भी मिल गया है. पंजाब की एक कंपनी ने नन्हे वैज्ञानिकों से 50 ऑटोमैटिक डस्टबिन की मांग की है. जिसको बनाने में वो और उनके साथी जुट गए हैं. इस प्रोटोटाइप को प्रोडक्ट के रूप में बनाकर वो सौंपेंगे.
छात्रों ने बनाई खुद की कंपनी
11वीं के छात्रों ने खुद की कंपनी बनाई है. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम मैक्टेक सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड रखा है. छात्रों का कहना है कि वो अपनी इसी कंपनी के नाम पर ही अपने प्रोडक्ट बनाएंगे और उसको मार्केट में उतारेंगे.