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खाकी और खादी के गठजोड़ से जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बना 'विकास दुबे' - बिकरू गांव

विकास दुबे.. जो आज अपराध की दुनिया में जाना पहचाना नाम है. यह नाम मौजूदा समय में तब सुर्खियों में आया, जब कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस और बदमाशों की मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. विकास दुबे जरायम की दुनिया का कैसे बेताज बादशाह बना, देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में...

story of history sheeter vikas dubey
कुख्यात बदमाश विकास दुबे.
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Published : Jul 6, 2020, 10:20 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 10:56 PM IST

कानपुर: यूपी के बिकरू गांव के रहने वाले कुख्यात बदमाश विकास दुबे का नाम इतना चर्चित हो चुका है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश की नजर ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें उस पर टिकी हुई हैं. यहां तक कि अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह भी विकास दुबे के नाम के आगे झुक से गए हैं. ऐसे खूंखार विकास की कहानी शुरू हुई थी सन 1990 के दशक से, जब उसने पहली हत्या करके क्राइम की दुनिया में पहला कदम रखा था. इसके बाद उसने 2001 में तत्कालीन भाजपा सरकार के दर्जा प्राप्त श्रम राजमंत्री संतोष शुक्ला हत्या कांड को शिवली थाने में अंजाम देकर पूरे प्रदेश में तहलका मचा दिया.

इस तरह जरायम की दुनिया का बादशाह बना विकास दुबे.

सरकार को दी खुली चुनौती
हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने एक बार फिर आतंक का बड़ा सबूत पेश किया, जब उसने बीते गुरुवार की रात को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करके प्रदेश सरकार और कानून व्यवस्था को चुनौती दे डाली. आइये देखते हैं इस खूंखार विकास दुबे की आपराधिक दुनिया का वह सफर, जिसने यूपी को चुनौती दे रखी है.

12 अक्टूबर 2001 की वह सुबह...
विकास दुबे के आतंक का पर्याय बनने की कहानी की शुरुआत तब हुई थी, जब उसने 12 अक्टूबर 2001 की सुबह 11 बजे शिवली थाना क्षेत्र में रहने वाले लल्लन बाजपेई के पक्ष में आये तत्कालीन श्रम राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की थाने के अंदर हत्या कर दी थी, लेकिन अपने रुतबे और नेताओं के संबंधों के चलते विकास के खिलाफ किसी ने कोई गवाही नहीं दी, जिस कारण साल 2006 में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने विकास को बरी कर दिया. इसका दर्द आज भी संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला बयां करते हैं.

हिस्ट्रीशीटर का ढहा आशियाना
मनोज शुक्ला कहते हैं कि उन्हें एक बार फिर उम्मीद है कि विकास दुबे का खात्मा होगा और उनको मानसिक राहत जरूर मिलेगी, लेकिन उनकी यह उम्मीद अभी पूरी होती नहीं दिख रही है. हिस्ट्रीशीटर विकास के आतंक को देखते हुए पुलिस ने उसके घर को ढहा दिया है. यहीं पर आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. वहीं वारदात की अगली सुबह पुलिस ने उसके मामा और भतीजे को मार गिराया. इतना ही नहीं, शनिवार की रात पुलिस ने विकास के साथ हमले में शामिल दयाशंकर अग्निहोत्री को भी मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया.

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शहीद पुलिसकर्मी.

विकास की तलाश कर रहीं एसटीएफ की आठ टीमें
आईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल के मुताबिक हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए एसटीएफ की 8 टीमें समेत पुलिस की 100 टीमें लगाई गई है. बता दें कि पुलिस वालों की हत्या करने वाले विकास दुबे पर ढाई लाख रुपये का इनाम रखा गया है. साथ ही उसके 18 साथियों पर भी 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. वहीं विकास पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने उसके बैंक खाते और संपत्ति की जांच करनी शुरू कर दी है. बिकरू गांव के स्थानीय लोगों की मानें तो विकास के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है. उसने परिजन समेत रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति बनाई है.

ये भी पढे़ं: कानपुर मुठभेड़: हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर घोषित हुआ 2.5 लाख का इनाम

हिस्ट्रीशीटर को नहीं पकड़ पा रही पुलिस
फिलहाल यूपी की योगी सरकार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने की कोशिश में दिन-रात जुटी है. यूपी के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. एसटीएफ को नेपाल बॉर्डर पर भी अलर्ट कर नेपाल जाने वाले रास्तों पर चौकसी बढ़ा दी गई है, लेकिन विकास दुबे का अब तक कहीं कोई सुराग नहीं लग पाया है. अब तक लखनऊ, कन्नौज, सोनभद्र, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा, सहारनपुर और बांदा में छापेमारी की गई है, लेकिन विकास दुबे का कहीं कुछ पता नहीं चला है. अब देखने वाली बात ये है कि आखिरकार कुख्यात अपराधी विकास दुबे कब पुलिस के शिकंजे में आ पाता है.

कानपुर: यूपी के बिकरू गांव के रहने वाले कुख्यात बदमाश विकास दुबे का नाम इतना चर्चित हो चुका है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश की नजर ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजरें उस पर टिकी हुई हैं. यहां तक कि अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह भी विकास दुबे के नाम के आगे झुक से गए हैं. ऐसे खूंखार विकास की कहानी शुरू हुई थी सन 1990 के दशक से, जब उसने पहली हत्या करके क्राइम की दुनिया में पहला कदम रखा था. इसके बाद उसने 2001 में तत्कालीन भाजपा सरकार के दर्जा प्राप्त श्रम राजमंत्री संतोष शुक्ला हत्या कांड को शिवली थाने में अंजाम देकर पूरे प्रदेश में तहलका मचा दिया.

इस तरह जरायम की दुनिया का बादशाह बना विकास दुबे.

सरकार को दी खुली चुनौती
हिस्ट्रीशीटर और कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने एक बार फिर आतंक का बड़ा सबूत पेश किया, जब उसने बीते गुरुवार की रात को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करके प्रदेश सरकार और कानून व्यवस्था को चुनौती दे डाली. आइये देखते हैं इस खूंखार विकास दुबे की आपराधिक दुनिया का वह सफर, जिसने यूपी को चुनौती दे रखी है.

12 अक्टूबर 2001 की वह सुबह...
विकास दुबे के आतंक का पर्याय बनने की कहानी की शुरुआत तब हुई थी, जब उसने 12 अक्टूबर 2001 की सुबह 11 बजे शिवली थाना क्षेत्र में रहने वाले लल्लन बाजपेई के पक्ष में आये तत्कालीन श्रम राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की थाने के अंदर हत्या कर दी थी, लेकिन अपने रुतबे और नेताओं के संबंधों के चलते विकास के खिलाफ किसी ने कोई गवाही नहीं दी, जिस कारण साल 2006 में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने विकास को बरी कर दिया. इसका दर्द आज भी संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला बयां करते हैं.

हिस्ट्रीशीटर का ढहा आशियाना
मनोज शुक्ला कहते हैं कि उन्हें एक बार फिर उम्मीद है कि विकास दुबे का खात्मा होगा और उनको मानसिक राहत जरूर मिलेगी, लेकिन उनकी यह उम्मीद अभी पूरी होती नहीं दिख रही है. हिस्ट्रीशीटर विकास के आतंक को देखते हुए पुलिस ने उसके घर को ढहा दिया है. यहीं पर आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. वहीं वारदात की अगली सुबह पुलिस ने उसके मामा और भतीजे को मार गिराया. इतना ही नहीं, शनिवार की रात पुलिस ने विकास के साथ हमले में शामिल दयाशंकर अग्निहोत्री को भी मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया.

story of history sheeter vikas dubey
शहीद पुलिसकर्मी.

विकास की तलाश कर रहीं एसटीएफ की आठ टीमें
आईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल के मुताबिक हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए एसटीएफ की 8 टीमें समेत पुलिस की 100 टीमें लगाई गई है. बता दें कि पुलिस वालों की हत्या करने वाले विकास दुबे पर ढाई लाख रुपये का इनाम रखा गया है. साथ ही उसके 18 साथियों पर भी 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. वहीं विकास पर दबाव बनाने के लिए पुलिस ने उसके बैंक खाते और संपत्ति की जांच करनी शुरू कर दी है. बिकरू गांव के स्थानीय लोगों की मानें तो विकास के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है. उसने परिजन समेत रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति बनाई है.

ये भी पढे़ं: कानपुर मुठभेड़: हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर घोषित हुआ 2.5 लाख का इनाम

हिस्ट्रीशीटर को नहीं पकड़ पा रही पुलिस
फिलहाल यूपी की योगी सरकार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने की कोशिश में दिन-रात जुटी है. यूपी के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. एसटीएफ को नेपाल बॉर्डर पर भी अलर्ट कर नेपाल जाने वाले रास्तों पर चौकसी बढ़ा दी गई है, लेकिन विकास दुबे का अब तक कहीं कोई सुराग नहीं लग पाया है. अब तक लखनऊ, कन्नौज, सोनभद्र, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा, सहारनपुर और बांदा में छापेमारी की गई है, लेकिन विकास दुबे का कहीं कुछ पता नहीं चला है. अब देखने वाली बात ये है कि आखिरकार कुख्यात अपराधी विकास दुबे कब पुलिस के शिकंजे में आ पाता है.

Last Updated : Jul 6, 2020, 10:56 PM IST
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