कानपुरः सिख दंगों की आग में कानपुर के 300 से ज्यादा सिखों के मारे जाने और सैकड़ों घर तबाह हो जाने की बात कही जाती है. हालांकि सिख दंगों की जांच करने वाले रिटायर्ड जस्टिस रंगनाथ मिश्र आयोग ने दंगों में 127 मौतें होने की ही बात कही थी. आज भी दंगा पीड़ितों के दिलों-दिमाग में 84 की आग का मातम छाया हुआ है. 35 साल बीत जाने के बाद भी जब पीड़ितों के जेहन में अपनों के खोने की बात याद आती है तो दर्द झलक जाता है.
सिखों का कहना है कि एक नवंबर को कानपुर में सिखों को बुरी तरह से हिंसा की आग में मौत के घाट उतार दिया गया था. तो वहीं इस मामले में बहुत दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. बाद में जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत न होने की बात कहकर केस खत्म कर दिया गया था. सिखों ने आरोप लगाया था कि दंगे में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, लेकिन महज 127 लोगों की हत्या की एफआईआर दर्ज की गई थी.