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कानपुर हिंसाः KDA के अफसरों की कृपा से बनीं बहुमंजिला इमारतें से खूब बरसे थे पत्थर

कानपुर के परेड में हुए बवाल में जिन बहुमंजिला इमारत से पुलिस पर पत्थर बरसाए गए थे. इन बिल्डिंगों के निर्माण में कानपुर विकास प्राधिकरण की लापरवाही सामने आई है.

कानपुर हिंसा
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Published : Jun 7, 2022, 10:16 PM IST

कानपुर: शहर के परेड चौराहा में हुए बवाल के बाद पुलिस और प्रशासन की जांच में नया खुलासा हुआ है. जांच में पता चला है कि कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) की कृपा से परेड व आसपास के क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतें बन गईं. इन्हीं बिल्डिंगों से बवाल के दौरान पुलिसकर्मियों पर खूब पत्थर बरसाए गए. जैसे ही जिला प्रशासन के अफसरों की आंखें खुलीं तो फौरन ही केडीए के अफसरों से इस बाबत संपर्क साधा गया. हालांकि, प्रशासनिक अफसरों को जब कोई ठोस जवाब नहीं मिला. हमेशा की तरह इन इमारतों की जांच के आदेश हो गए हैं.


दरअसल, शहर में 2020 के दौरान भी इसी तरह की घटना हुई थी. तब भी केडीए के अफसरों ने जांच की थी. लेकिन, जिला प्रशासन की ओर से ढील दिखने पर अफसरों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. इसके बाद परेड, चमनगंज, बेकनगंज, मूलगंज, नई सड़क समेत कई अन्य क्षेत्रों में मनमाने ढंग से इमारतों को बनवाया गया. वहीं, जब 3 जून को इन इमारतों से पत्थर बरसे तो पुलिसकर्मियों का कहना था कि अगर केडीए के अफसर लापरवाही न बरतते तो शायद हालात कुछ और ही होते.

इसे भी पढ़ें-कानपुर हिंसा: पुलिस आयुक्त से मिले शहर काजी, कहा- दंगाइयों को माफ कर दो, बच्चे हैं नादानी हो जाती है


जिले में केडीए अफसरों की कृपा से केवल परेड में ही बहुमंजिला इमारतें नहीं बनी. बल्कि शहर के जाजमऊ, कल्याणपुर, रावतपुर गांव समेत कई अन्य क्षेत्रों में बिना नक्शा पास कराए इमारतों के बनने का सिलसिला जारी है. चर्चा तो यहां तक है कि, जेई से लेकर केडीए के एक्सईएन तक की ऐसे मामलों में मोटी कमाई होती है. इस वजह से जिला प्रशासन के अफसर भी चुप्पी साधे रहते हैं. डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि अब इन इमारतों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

कानपुर: शहर के परेड चौराहा में हुए बवाल के बाद पुलिस और प्रशासन की जांच में नया खुलासा हुआ है. जांच में पता चला है कि कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) की कृपा से परेड व आसपास के क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतें बन गईं. इन्हीं बिल्डिंगों से बवाल के दौरान पुलिसकर्मियों पर खूब पत्थर बरसाए गए. जैसे ही जिला प्रशासन के अफसरों की आंखें खुलीं तो फौरन ही केडीए के अफसरों से इस बाबत संपर्क साधा गया. हालांकि, प्रशासनिक अफसरों को जब कोई ठोस जवाब नहीं मिला. हमेशा की तरह इन इमारतों की जांच के आदेश हो गए हैं.


दरअसल, शहर में 2020 के दौरान भी इसी तरह की घटना हुई थी. तब भी केडीए के अफसरों ने जांच की थी. लेकिन, जिला प्रशासन की ओर से ढील दिखने पर अफसरों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. इसके बाद परेड, चमनगंज, बेकनगंज, मूलगंज, नई सड़क समेत कई अन्य क्षेत्रों में मनमाने ढंग से इमारतों को बनवाया गया. वहीं, जब 3 जून को इन इमारतों से पत्थर बरसे तो पुलिसकर्मियों का कहना था कि अगर केडीए के अफसर लापरवाही न बरतते तो शायद हालात कुछ और ही होते.

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