कानपुर: शहर में हत्या, दुष्कर्म, चोरी, गैंगरेप समेत अन्य अपराधिक घटनाओं के तो मामले आए दिन ही सामने आ रहे हैं. एक बड़ी बात यह भी है कि शहर में चरस तस्कर फिर से सक्रिय हो गए हैं. गुरुवार को स्पेशल टास्क फोर्स लखनऊ की टीम ने फजलगंज चौराहा से एक आरोपी को छह किलोग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किया है. लेकिन, आरोपी ने शहर में कहां-कहां चरस पहुंचा दी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
आरोपी के तार पश्चिमी चंपारण के सप्लायरों से जुड़े हैं. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. एसटीएफ अधिकारियों के पास पक्के साक्ष्य इस बात के हैं कि शहर में नेपाल से लेकर पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण समेत अन्य राज्यों के तमाम पेशेवर अपराधी चरस का खुलेआम कारोबार कर रहे हैं. मगर, जो इस कारोबार के बिग किंग हैं, वह एसटीएफ की पकड़ से कोसों दूर हैं.
अच्छी संख्या में महिलाएं भी कारोबार में शामिल: एसटीएफ के एक आला अफसर ने बताया कि इस कारोबार में अच्छी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं. बीरगंज, रक्सौल, चंदौली, सोनोली बार्डर समेत अन्य शहरों से महिलाओं का एक समूह सीधे नेपाल जाता है. वहां, एक कोडवर्ड में महिलाएं कारोबारियों से संपर्क करती हैं. इसके बाद चरस का धंधा, बिना किसी डर के फलता-फूलता है. महिलाओं को इस काम के लिए मोटी रकम दी जाती है.
नेपाल में 20 हजार और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पांच लाख रुपये प्रति किलोग्राम चरस: एसटीएफ के एक आला अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो चरस नेपाल में 20 हजार रुपये प्रतिकिलोग्राम मिलती है. उसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत पांच लाख रुपये प्रतिकिलोग्राम होती है. जो कारोबारी हैं, वह भी बहुत अधिक मुनाफा कमाते हैं. हालांकि, अफसरों ने कहा कि चरस लेने के लिए अपराधियों को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर जाने की मशक्कत करनी होती है.
कानपुर एसटीएफ प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि बहुत जल्द नेपाल के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करेंगे. कई ऐसे इनपुट मिले हैं. जिनमें चरस का कारोबार नेपाल के रास्ते से अन्य राज्यों व शहरों तक बढ़ रहा है. साक्ष्यों के आधार पर ही आरोपियों की गिरफ्तारी होगी.
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