कानपुर: वैसे तो जब किसी बीमारी का सामना शहर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को करना होता है, तो वह एलोपैथी दवाओं के सहारे ही मरीजों को ठीक करते हैं. लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ है, जब यहां के वरिष्ठ चिकित्सकों ने चरक संहिता में वर्णित इंबो दवा, जिसे प्राज्ञा भी कहा जाता था (6वीं शताब्दी में) उसे पढ़कर और जानकारी हासिल करने के बाद एलर्जिक राइनाटिस (श्वांस संबंधी रोग) से पीड़ित मरीजों को देना शुरू किया. जिसमें चिकित्सकों को उसके बेहतर परिणाम मिले है.
वायु प्रदूषण से एक साल में 20 से 30 फीसद बढ़ रहे मरीज: इस शोध को लेकर प्राचार्य डा.संजय काला ने कहा कि आने वाले समय में अब मेडिकल कॉलेज के अंदर आयुर्वेद की दिशा में शोध कराए जाएंगे. अस्थमा व एलर्जिक रोग से पीड़ित मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक करने की कोशिश करेंगे. काला ने बताया कि श्वांस रोग के मरीजों की दिक्कतें वायु प्रदूषण से बढ़ती हैं. साथ ही एक साल के अंदर औसतन 20 से 30 फीसद मरीज बढ़ते हैं. ऐसे में मरीजों को एलोपैथी दवाओं से ठीक करने से अच्छा है कि हम उन्हें आयुर्वेदिक दवाएं दें.
यह भी पढे़ं: स्ट्रोक वाले मरीजों के लिए मददगार बनेंगे आईआईटी कानपुर के खास रोबोट, कराएंगे एक्सरसाइज
यह भी पढे़ं: कानपुर नगर निगम को मिले 100 करोड़ रुपये, पुरानी और नई सड़कों का होगा निर्माण