कानपुर: जिले के स्वरूप नगर स्थित अपार्टमेंट में रहने वाले सतीश चंद्र टंडन 24 दिन पहले अपने पैरों पर चलकर रीजेंसी अस्पताल भर्ती होने गए थे. उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. पहले वह साधारण वार्ड में थे, उसके बाद उन्हें आईसीयू में ले जाया गया और फिर वेंटिलेटर पर उपचार होने लगा.
इस दौरान अस्पताल ने 24 दिन का बिल पन्द्रह लाख रुपये बना दिया, जबकि वहां के ड्यूटी डॉक्टर ने पांच दिन पहले ही बोल दिया था कि इनके शरीर में कोई भी गतिविधि नहीं हो रही है. उसके बावजूद पांच दिन से अस्पताल वाले लगातार बिल बनाते जा रहे थे.
वहीं परिजनों का आरोप है कि हम लोग ग्यारह लाख रुपये पेमेंट दे चुके हैं, जब से पेमेंट देना बंद किया है तब से यह लोग ठीक से बात भी नहीं कर रहे हैं. पिछले पांच दिन से मेरे पिताजी के शरीर में कोई भी गतिविधि नहीं थी. उसके बावजूद यह लोग बताते रहे कि हमें डायलिसिस करनी है, हमें ब्लड चढ़ाना है और उनका उपचार करने की तरह-तरह की बातें बताते रहें. शनिवार सवेरे दस बजे यह बताया कि अब सतीश चंद्र जी नहीं रहे. उसके पश्चात बॉडी देने से इनकार कर रहे हैं और बार-बार कह रहे हैं कि पहले अपना पन्द्रह लाख रुपये का पूरा भुगतान करिए, जिससे घरवालों का रो-रो कर बुरा हाल है.
घर वालों ने रीजेंसी अस्पताल के साथ प्रशासन से भी हाथ जोड़कर प्रार्थना की है कि हमारे पिताजी को हम लोगों को दे दिया जाए, लेकिन रीजेंसी अस्पताल किसी कायदे कानून को नहीं मानता है. यहां तक की सरकार कह रही है कि 1 दिन का आईसीयू का बिल 18000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए, वहीं रीजेंसी हॉस्पिटल ने पन्द्रह लाख का बिल बना कर दिया है, शव को लेने को लेकर घरवालों और अस्पताल प्रशासन में काफी तीखी बहस भी हुई, लेकिन अस्पताल पैसे के आगे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.
मीडिया में खबर आने के बाद रीजेंसी हॉस्पिटल ने पीड़ित परिवार को शव सौंप दिया है. इसके साथ ही भुगतान की रकम में कुछ रुपये भी कम किए हैं. पीड़ित परिवार अपने परिजन का शव लेकर घर जा चुका है. पूरे मामले को लेकर जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिया है.