कानपुर: जनपद में लगातार हो रहे अपराध के चलते पुलिस की कार्यप्रणाली पर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे थे. इसके चलते शहर में करीब दो साल पहले पुलिस कमिश्नर की व्यवस्था को लागू किया गया था. इसके बाद से ही पुलिस महकमे द्वारा दावा किया जा रहा था कि इस व्यवस्था को लागू होने से शहर में अपराध पर अंकुश लगा है. जबकि समने आए आंकड़ों के मुताबिक पुलिस के ये दावे महज हवा-हवाई ही साबित हो रहे है.
जानकारी के मुताबिक पिछले पांच सालों में अपराध के जो आंकड़े सामने आए है, उसमें सबसे ज्यादा वाहन चोरी की घटनाएं है. इसके अलावा हत्या, लूट, फिरौती और चोरी के मामले भी शामिल हैं. वहीं, अगर ओवरआल रिपोर्ट की बात करें तो 15 मई तक शहर में 20 हत्याएं हो चुकी हैं, जो पुलिस के रिकार्ड में दर्ज हैं. जबकि 59 मामले अपहरण के हैं.
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एक नजर इन आंकड़ों पर
वर्ष | वाहन चोरी | हत्या | कुल अपराध |
2022 | 229 | 20 | 558 |
2021 | 233 | 23 | 597 |
2020 | 160 | 09 | 386 |
2019 | 298 | 21 | 683 |
2018 | 429 | 20 | 969 |
वहीं, इस संबंध में पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना का कहना है कि कानपुर में पुलिस कमिश्नर की व्यवस्था लागू होने के बाद बढ़ते अपराध पर लगाम लगी है. पुलिस और जनता के बीच की दूरी घटी है. इतना ही नहीं कमिश्नरेट के तहत अफसरों की एक अच्छी संख्या में टीम है. जब भी कोई सूचना आती है, तो पुलिस समय से घटनास्थल पर पहुंचती है और उसका निस्तारण करती है.
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