कानपुर: जिले में भले ही नगर निगम के अफसर यह दावा करते हों कि शहर पूरी तरह से साफ है. गंगा में किसी भी नाले का दूषित पानी नहीं जा रहा है. लेकिन, हकीकत पूरी तरह से इसके विपरीत है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) के सदस्यों ने जब सख्ती दिखाई तो सामने आया कि गंगा नदी में शहर के छह अलग-अलग नालों का पानी जा रहा है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अफसरों को इन नालों की टैपिंग के देख-रेख का जिम्मा सौंपा गया था. एनजीटी का आदेश है कि नगर निगम की लापरवाही पर हर माह पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि दो माह से लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गंगा नदी में नालों का पानी लगातार गिर रहा है. ऐसे में अब यूपीपीसीबी (UP Pollution Prevention and Control Board) की ओर से एक रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. इसमें प्रति माह पांच लाख रुपये जुर्माने के हिसाब से 60 लाख रुपये नगर निगम पर पेनाल्टी लगाई गई है. यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि नगर निगम को ही सभी नालों को टैप करना है. लेकिन, नगर निगम की ओर से टैपिंग को लेकर कोई कवायद नहीं हुई. जबकि, इस मामले पर एनजीटी के सभी सदस्यों की निगाहें हैं. इसलिए अभी फिलहाल जुर्माने की कार्रवाई की गई है. शासन आगे से जो निर्णय लेगा उसके मुताबिक कार्रवाई करेंगे.
वहीं इस मामले को लेकर शहर में सपा के विधायकों का कहना है कि नगर निगम के अफसर जो भी काम करते हैं, वह कागजों पर बखूबी दिखता है. लेकिन, धरातल पर कुछ नहीं होता. गंगा में सालों से नाले की गंदगी बह रही है. लेकिन, अफसरों को कोई फिक्र नहीं है. गौरतलब है कि रानीघाट नाला, शीतला बाजार नाला, बुढ़ियाघाट नाला, पनकी थर्मल नाला, आइसीआइ नाला और रतनपुर नाला का पानी लगातार गंगा में गिर रहा है.
ये भी पढ़ेंः दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर बनेगा उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र: सीएम योगी