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बिकरू पंचायत चुनाव: विकास दुबे की कहानी का अंत, अब नए 'विकास' की उम्मीद

कुख्यात अपराधी विकास दुबे के बिकरू गांव में इस बार पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे. गांव में विकास दुबे का साम्राज्य समाप्त हो गया है. अब पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है और लोगों को गांव के समग्र विकास की आस जगी है. संवेदनशीलता को देखते हुए चुनाव से पहले गांव में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम करने के प्रयास हो रहे हैं.

बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
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Published : Feb 18, 2021, 4:12 PM IST

कानपुर: आतंक का पर्याय रहे विकास दुबे के खात्मे के बाद अब बिकरु गांव खुली हवा में सांस ले रहा है. इसके साथ ही बिकरु गांव में पंचायत चुनाव की बिसात भी बिछने लगी है. भयमुक्त हुए बिकरु में अब गांव की पंचायत में नए चेहरे भी भाग्य आजमाना चाह रहे हैं. ये लोग कुख्यात विकास दुबे के सामने चुनाव लड़ना तो दूर मुंह खोलने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते थे. अब बिकरु गांव में प्रत्याशियों की दीवारों पर चस्पा हुईं तस्वीरें एक नए सूरज के उदय होने का एहसास करा रही हैं.

बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
ये रहा है बिकरु पंचायत चुनाव का इतिहासबिकरु ग्राम पंचायत में 10 साल यानी 1985 से 1995 तक राम सिंह यादव का प्रधानी पर कब्जा था, लेकिन अपराध की दुनिया में उभरते विकास दुबे ने तत्कालीन ग्राम प्रधान रहे राम सिंह यादव को सरे बाजार पीट दिया. इसके बाद ताल ठोक कर चुनाव में उतर गया. विकास ने अपने रसूख के चलते 1995 बिकरु गांव का प्रधानी पद कब्जा लिया. इतना ही नहीं जुर्म और दबंगई की दुनिया का बेताज बादशाह बना विकास दुबे का 2015 तक प्रधानी पर कब्जा बरकरार रहा.
बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.

विकास का ही चलता था हुकुम
इतना ही नहीं जब सीट आरक्षित हो जाती थी तो उसका गुर्गा चुनाव जीत लेता था. विकास दुबे का इतना आतंक था कि उसकी मर्जी के बिना कोई भी नया प्रत्याशी चुनाव लड़ना तो दूर चुनाव लड़ने के बारे में सोचने से भी घबराता था. उसके खात्मे के बाद अब पूर्व प्रधान राम सिंह यादव के भतीजा प्रभात ने गांव में पोस्टर लगाकर चुनाव लड़ने का शंखनाद कर दिया है.

इसे भी पढ़ें-कानपुर: बिकरू कांड में शामिल बदमाशों का पुलिस ने बनाया नया गैंग

इतने वोटर तय करेंगे बिकरु का भाग्य
बिकरु ग्राम पंचायत में दो गांव आते है. बिकरु और डिब्बा निवादा गांव को मिलाकर कुल 1450 मतदाता हैं. कई वोटरों के नाम बढ़ाने के लिए नाम भी भेजे गए हैं. बिकरु गांव में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं. डिब्बा निवादा गांव में पिछड़ी जाति और मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है.

भयमुक्त हुए बिकरु गांव के लोगों का मानना हैं कि अब गांव का समग्र विकास होगा. विकास दुबे के रहते कोई भी ग्रामीण न तो विकास कार्यो में धांधली की शिकायत करने की हिम्मत जुटा पाता था और न ही अपनी मांग जनप्रतिनिधियों से कर पाता था. अब उम्मीद है कि बिकरु गांव की तस्वीर बदलेगी.

इसे भी पढ़ें-गिरधारी के एनकाउंटर से विकास दुबे की यादें हुईं ताजा, पुलिस पर उठे सवाल

बिकरु काण्ड से चर्चाओं में आया गांव
दो जुलाई की रात बिकरु गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर कुख्यात विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर एक डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. उसके बाद से बिकरु गांव पूरे प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सुर्खियों में रहा. बहराल, विकास दुबे के खात्मे के बाद अब पुलिस प्रशासन की नजर है कि कहीं विकास के रिश्तेदार या साथियों का फिर से दबाव लोगों पर न बनने लगे.

कानपुर: आतंक का पर्याय रहे विकास दुबे के खात्मे के बाद अब बिकरु गांव खुली हवा में सांस ले रहा है. इसके साथ ही बिकरु गांव में पंचायत चुनाव की बिसात भी बिछने लगी है. भयमुक्त हुए बिकरु में अब गांव की पंचायत में नए चेहरे भी भाग्य आजमाना चाह रहे हैं. ये लोग कुख्यात विकास दुबे के सामने चुनाव लड़ना तो दूर मुंह खोलने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते थे. अब बिकरु गांव में प्रत्याशियों की दीवारों पर चस्पा हुईं तस्वीरें एक नए सूरज के उदय होने का एहसास करा रही हैं.

बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
ये रहा है बिकरु पंचायत चुनाव का इतिहासबिकरु ग्राम पंचायत में 10 साल यानी 1985 से 1995 तक राम सिंह यादव का प्रधानी पर कब्जा था, लेकिन अपराध की दुनिया में उभरते विकास दुबे ने तत्कालीन ग्राम प्रधान रहे राम सिंह यादव को सरे बाजार पीट दिया. इसके बाद ताल ठोक कर चुनाव में उतर गया. विकास ने अपने रसूख के चलते 1995 बिकरु गांव का प्रधानी पद कब्जा लिया. इतना ही नहीं जुर्म और दबंगई की दुनिया का बेताज बादशाह बना विकास दुबे का 2015 तक प्रधानी पर कब्जा बरकरार रहा.
बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.
बिकरू पंचायत चुनाव में नए उम्मीदवार आजमाएंगे किस्मत.

विकास का ही चलता था हुकुम
इतना ही नहीं जब सीट आरक्षित हो जाती थी तो उसका गुर्गा चुनाव जीत लेता था. विकास दुबे का इतना आतंक था कि उसकी मर्जी के बिना कोई भी नया प्रत्याशी चुनाव लड़ना तो दूर चुनाव लड़ने के बारे में सोचने से भी घबराता था. उसके खात्मे के बाद अब पूर्व प्रधान राम सिंह यादव के भतीजा प्रभात ने गांव में पोस्टर लगाकर चुनाव लड़ने का शंखनाद कर दिया है.

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इतने वोटर तय करेंगे बिकरु का भाग्य
बिकरु ग्राम पंचायत में दो गांव आते है. बिकरु और डिब्बा निवादा गांव को मिलाकर कुल 1450 मतदाता हैं. कई वोटरों के नाम बढ़ाने के लिए नाम भी भेजे गए हैं. बिकरु गांव में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं. डिब्बा निवादा गांव में पिछड़ी जाति और मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है.

भयमुक्त हुए बिकरु गांव के लोगों का मानना हैं कि अब गांव का समग्र विकास होगा. विकास दुबे के रहते कोई भी ग्रामीण न तो विकास कार्यो में धांधली की शिकायत करने की हिम्मत जुटा पाता था और न ही अपनी मांग जनप्रतिनिधियों से कर पाता था. अब उम्मीद है कि बिकरु गांव की तस्वीर बदलेगी.

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बिकरु काण्ड से चर्चाओं में आया गांव
दो जुलाई की रात बिकरु गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर कुख्यात विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर एक डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. उसके बाद से बिकरु गांव पूरे प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में सुर्खियों में रहा. बहराल, विकास दुबे के खात्मे के बाद अब पुलिस प्रशासन की नजर है कि कहीं विकास के रिश्तेदार या साथियों का फिर से दबाव लोगों पर न बनने लगे.

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