कानपुर: गंगा बैराज मार्ग पर दो दिनों पहले हुए कार हादसे ने दो परिवारों की खुशियां छीन ली. हादसे को बीते 72 घण्टे होने के बाद भी परिजनों में बस यहीं बात हो रही है कि शायद ऐसा कुछ चमत्कार होगा जिससे उनके लाडले- सागर व आशीष वापस आ जाएं. परिजन मानने को ही तैयार नहीं कि उनके बेटों को कार हादसे में मौत हो गई है.
15 दिन पहले सागर ने मैगी प्वाइंट पर शुरू किया था काम : कांशीराम नगर निवासी सागर(15) के पिता मेवालाल ने भरे गले से बताया, घर में सबसे छोटा होने के चलते सागर सबका दुलारा था. उसे घर पर कोई कुछ नहीं कहता था. उसका स्वभाव शांत था. 15 दिनों पहले उसने अपनी मर्जी से मैगी पॉइंट्स पर काम करने की ठानी थीं. उसका पढ़ाई में भी मन लगता था. घर पर छोटी बहन मुस्कान के साथ वह हंसता-खेलता था. पर भगवान उसे ऐसे छीन लेंगे, हमने तो सपने में भी नहीं सोचा था. आंसू भरी आंखों व रुंधे गले वाली आवाज़ के साथ पिता ने कहा, आंखों के सामने से सागर का चेहरा हटता ही नहीं. ऐसा लगता है, जैसे वो अभी आसपास है. घर से बाहर कहीं गया है और थोड़ी देर में वापस आ जाएगा.
अब राखी किसको बांधेगे: एक ओर जहां सागर की मौत से परिजन हर वक्त अपने आंसू पोंछ रहे हैं. तो वहीं, बैराज से करीब 10 किलोमीटर दूर गंगाघाट थाने के कनिकाऊं गांव में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव के शिव चरण रावत के 15 साल के बेटे आशीष ने हादसे वाली रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. पिता शिव चरण रावत रोते हुए कहते हैं कि आशीष चार भाइयों- राजकुमार, संदीप व दिनेश में सबसे छोटा था. उसकी दो बहनें गुड़िया व सोनम हैं. आशीष की मौत की खबर सुनने के बावजूद बहनें बोल रहीं हैं, मेरा भाई वापस आएगा. हम अब राखी किसे बांधेंगे. पिता ने कहा, बेटे का असमय छोड़कर चले जाना, ऐसा लगता है जैसे हमारे परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो.
मैगी प्वाइंट में कार घुसने से हुआ था हादसाः गौरतलब है, 27 अक्टूबर को गंगा बैराज से 300 मीटर आगे एक तेज रफ्तार कार सड़क किनारे लगे मैगी प्वाइंट्स में घुस गई थी. जिसमें कई दुकाने टूट गई और दो किशोरों आशीष और सागर की मौत हो गई. वहीं, कई घायल भी हो गए थे. कार में चार नाबालिग सवार थे. जिन्हे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, कार चालक किशोर एक सर्जन का बेटा है. पूछताछ में चारों किशोरों ने बताया कि वह उन्नाव घूमने गए थे. वापस आते समय ऑटो को बचाने की चक्कर में कार अनियंत्रित हो गई.
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