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टॉप-15 अपराधियों में विकास दुबे का नाम नहीं, कानपुर पुलिस पर खड़े हो रहे सवाल

मोस्टवांटेड विकास दुबे को कानपुर पुलिस अपराधी मानकर नहीं चल रही थी. इसका नाम जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में भी नहीं हैं. 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के मामले में एक तरफ पुलिस महकमे पर सवाल उठ रहा है, वहीं इसका नाम टॉप 15 में भी शामिल नहीं होने से और भी सवाल खड़े होने लगे हैं.

टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.
टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.
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Published : Jul 7, 2020, 10:22 AM IST

Updated : Jul 7, 2020, 11:48 AM IST

कानपुर: जिले में बदमाश और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मुठभेड़ मामले में कई पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए. वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल उठ रहा है कि कानपुर पुलिस विकास दुबे को अपराधी ही नहीं मानती थी. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कानपुर महानगर के एसएसपी ऑफिस में लगे जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में विकास दुबे का नाम नहीं है.

विकास दुबे को कानपुर पुलिस नहीं मानती अपराधी.

बता दें, विकास दुबे के ऊपर सिर्फ चौबेपुर थाने में 60 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, चोरी, 5 बार गैंगस्टर एक्ट, 3 बार गुंडा एक्ट शामिल है. कई बार इसके ऊपर गैंगस्टर और गुंडा एक्ट की कार्रवाई हुई, इसके बावजूद जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में इसका नाम न होना कहीं न कहीं पुलिसिंग पर भी सवालिया निशान खड़े करता है. इस घटना में शुरू से ही पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. चाहे वह मुखबिरी की बात हो या ताजा मामला सीओ के पत्र का है, जो एसएसपी ऑफिस से गायब है.

टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.
टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.

गौरतलब है कि कानपुर महानगर के थाना चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गए आठ पुलिसकर्मियों की कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी. इसके बाद पूरे प्रदेश भर में खलबली मच गई है. वहीं शहीद देवेन्द्र मिश्र का एक सरकारी पत्र वायरल होने के बाद से पूरे पुलिस महकमे पर सवाल खड़ा हो रहा है.

3 महीने पहले सीओ ने यह पत्र तत्कालीन एसएसपी को लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. अगर यह कार्रवाई हुई होती, तो शायद यह हत्याकांड न हुआ होता. दूसरी ओर, एसएसपी कार्यालय में लगी इस टॉप 15 अपराधियों की सूची में विकास दुबे का नाम न होना भी पुलिस की मिलीभगत को दर्शा रहा है.

कानपुर: जिले में बदमाश और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मुठभेड़ मामले में कई पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए. वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल उठ रहा है कि कानपुर पुलिस विकास दुबे को अपराधी ही नहीं मानती थी. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कानपुर महानगर के एसएसपी ऑफिस में लगे जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में विकास दुबे का नाम नहीं है.

विकास दुबे को कानपुर पुलिस नहीं मानती अपराधी.

बता दें, विकास दुबे के ऊपर सिर्फ चौबेपुर थाने में 60 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, चोरी, 5 बार गैंगस्टर एक्ट, 3 बार गुंडा एक्ट शामिल है. कई बार इसके ऊपर गैंगस्टर और गुंडा एक्ट की कार्रवाई हुई, इसके बावजूद जिले के टॉप 15 अपराधियों की सूची में इसका नाम न होना कहीं न कहीं पुलिसिंग पर भी सवालिया निशान खड़े करता है. इस घटना में शुरू से ही पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. चाहे वह मुखबिरी की बात हो या ताजा मामला सीओ के पत्र का है, जो एसएसपी ऑफिस से गायब है.

टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.
टॉप 15 अपराधियों की लिस्ट.

गौरतलब है कि कानपुर महानगर के थाना चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गए आठ पुलिसकर्मियों की कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी. इसके बाद पूरे प्रदेश भर में खलबली मच गई है. वहीं शहीद देवेन्द्र मिश्र का एक सरकारी पत्र वायरल होने के बाद से पूरे पुलिस महकमे पर सवाल खड़ा हो रहा है.

3 महीने पहले सीओ ने यह पत्र तत्कालीन एसएसपी को लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. अगर यह कार्रवाई हुई होती, तो शायद यह हत्याकांड न हुआ होता. दूसरी ओर, एसएसपी कार्यालय में लगी इस टॉप 15 अपराधियों की सूची में विकास दुबे का नाम न होना भी पुलिस की मिलीभगत को दर्शा रहा है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 11:48 AM IST
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