कानपुर : देश भर में कोरोना संक्रमण से हालात एक बार फिर बेकाबू होते जा रहे हैं. दिल्ली और महाराष्ट्र में लॉकडाउन के साथ कई राज्यों ने वीकली लॉकडाउन लगाया है. उत्तर प्रदेश में भी हाल बेहाल हो चुके हैं. रोजाना 30 हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. मृत्यु का आंकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ हो चुका है. वहीं अब प्रवासी मजदूरों को एक बार फिर से लॉकडाउन का डर सताने लगा है. लोग एक बार फिर से अपने घरों की ओर चल पड़े हैं.
पीएम मोदी ने की थी अपील
हालांकि प्रधानमंत्री ने कहा है कि प्रवासी मजदूर चिंता ना करें, वह जहां हैं वहीं रहें. वहां उन्हें खाना-पीना और वहीं पर उनका वैक्सीनेशन होगा, इसके बावजूद लोग पलायन करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि पिछले साल की तरह अगर लॉकडाउन लग गया तो वह एक बार फिर से फंस जाएंगे. पिछले बार उनके सामने कई समस्याएं सामने आईं थीं. पैदल घर जाना पड़ा था. ऐसे में वह अभी से अपने घर जा रहे हैं, ताकि फिर से उनको पिछले साल का दंश न सहना पड़े.
दिल्ली और महाराष्ट्र के बस स्टैंड और रेल स्टेशनों में एक बार फिर से पिछले वर्ष की तरह प्रवासी मजदूरों की भीड़ नजर आने लगी है. कानपुर महानगर में भी अब लोगों का ताता दिखाई दे रहा है. लोग बाहर से आकर अपने घरों की ओर जा रहे हैं. चाहे बस स्टैंड हो या रेलवे स्टेशन, लोगों की भीड़ का हुजूम लगातार आ रहा है. लोगों का कहना है कि वह जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहते हैं ताकि पिछले साल की तरह उनको समस्याएं न उठानी पड़े.
व्यापारियों ने बंद किए प्रतिष्ठान, कारीगर हुए पलायन को मजबूर
कानपुर महानगर में व्यापारियों ने अपने व्यापार और औद्योगिक इकाइयां बंद कर दी हैं, क्योंकि उनको भी कोरोना का डर सता रहा है. इसके चलते उनके यहां काम करने वाले मजदूर और कारीगर एक बार फिर से अपने घर जाने को मजबूर हो गए हैं. उनका कहना है कि जब उनको काम नहीं मिलेगा तो वे लोग यहां पर रुक कर क्या करेंगे. ऐसे में अगर कहीं लॉकडाउन एक बार फिर लग गया तो वह अपने घर भी नहीं जा पाएंगे. पिछले साल की तरह से इस साल भी वह पैदल जाने को मजबूर होंगे. आपको बता दें कि कानपुर के किराना, सराफा बाजार स्वत: बंद हो गये हैं.
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आश्वासन के बाद भी नहीं मान रहे मजदूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रवासी मजदूरों से कई बार अपील की, उनको समझाया कि वो लोग परेशान ना हों. इधर-उधर ना जाएं, जहां हैं वहीं रुके रहें. उनके खाने-पीने, वैक्सीनेशन और इलाज का सरकार और राज्य सरकारें व्यवस्था करेंगी. उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. इसके बावजूद प्रवासी मजदूर डरे हुए हैं. इसके चलते वह अभी भी प्रधानमंत्री के आश्वासन के बावजूद घर की ओर जा रहे हैं.