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जलसंकट की मार झेल रहे सरसौल, घाटमपुर, चौबेपुर और कल्याणपुर के निवासी, दो विकासखंड क्रिटिकल तो दो डार्क जोन में शामिल

गर्मी की शुरुआत होते ही जलसंकट की स्थिति भी बनने लगती है. कानपुर के चार विकासखंड ऐसे हैं जहां पेयजल स्रोत कम हो गए हैं. संबंधित विकासखंडों में भूगर्भ जल स्तर इतना नीचे पहुंच गया है कि लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा है.

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कानपुर में जलसंकट की मार
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Published : Mar 30, 2022, 5:10 PM IST

कानपुर: गर्मी की शुरुआत होते ही जलसंकट पैदा होने लगा है. कानपुर के चार विकासखंड ऐसे हैं जहां पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. कई विकासखंडों में भूगर्भ जलस्तर इतना नीचे पहुंच चुका है कि पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा है. सरसौल और घाटमपुर क्रिटिकल जोन में हैं. वहीं, चौबेपुर और कल्याणपुर डार्क जोन में आ गए हैं. जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों में यह बात खुलकर सामने आई है. इससे स्पष्ट होता है कि आने वाले दिनों में लाखों की आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ेगा.

हालांकि, राहत देने वाली बात यह है कि अब डीएम नेहा शर्मा (DM Neha Sharma) और सीडीओ डॉ.महेंद्र कुमार (CDO Dr. Mahendra Kumar) ने इस मामले का संज्ञान लिया है. संबंधित विकासखंडों के साथ ही पूरे शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रैल के पहले हफ्ते से 'मेरा गांव-मेरा पानी अभियान' (Mera Gaon Mera Pani Abhiyan) शुरू किया जाएगा.

इसे भी पढ़ेंः लखनऊ नगर निगम में सफाई कर्मचारी की जान की कीमत सिर्फ 1200 रुपये...
डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत मुख्य रूप से तालाबों और पोखर आदि का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. इसके लिए संबंधित अधीनस्थों को बिंदुवार जानकारी दे दी गई है. वहीं, अगर किसी अफसर ने इस मामले में लापरवाही बरती तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी. इस कवायद के लिए जिन विभागों को जिम्मा सौंपा गया है, उनमें-मनरेगा, ग्राम विकास विभाग, पंचायती राज, लघु सिंचाई, कृषि और वन विभाग शामिल है.

ये होगी कवायद :
- एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले 500 नए तालाबों का जीर्णोद्धार
- हर ग्राम पंचायत में 10 सोकपिट का निर्माण
- एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली जमीन पर जो 286 तालाब बने हैं, उनका जीर्णोद्धार
- नहरों, नदी, रजबहे व बंबों की खुदाई
- सभी चिह्नित स्थानों पर पौधारोपण

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कानपुर: गर्मी की शुरुआत होते ही जलसंकट पैदा होने लगा है. कानपुर के चार विकासखंड ऐसे हैं जहां पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. कई विकासखंडों में भूगर्भ जलस्तर इतना नीचे पहुंच चुका है कि पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा है. सरसौल और घाटमपुर क्रिटिकल जोन में हैं. वहीं, चौबेपुर और कल्याणपुर डार्क जोन में आ गए हैं. जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों में यह बात खुलकर सामने आई है. इससे स्पष्ट होता है कि आने वाले दिनों में लाखों की आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ेगा.

हालांकि, राहत देने वाली बात यह है कि अब डीएम नेहा शर्मा (DM Neha Sharma) और सीडीओ डॉ.महेंद्र कुमार (CDO Dr. Mahendra Kumar) ने इस मामले का संज्ञान लिया है. संबंधित विकासखंडों के साथ ही पूरे शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रैल के पहले हफ्ते से 'मेरा गांव-मेरा पानी अभियान' (Mera Gaon Mera Pani Abhiyan) शुरू किया जाएगा.

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डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत मुख्य रूप से तालाबों और पोखर आदि का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. इसके लिए संबंधित अधीनस्थों को बिंदुवार जानकारी दे दी गई है. वहीं, अगर किसी अफसर ने इस मामले में लापरवाही बरती तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी. इस कवायद के लिए जिन विभागों को जिम्मा सौंपा गया है, उनमें-मनरेगा, ग्राम विकास विभाग, पंचायती राज, लघु सिंचाई, कृषि और वन विभाग शामिल है.

ये होगी कवायद :
- एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले 500 नए तालाबों का जीर्णोद्धार
- हर ग्राम पंचायत में 10 सोकपिट का निर्माण
- एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली जमीन पर जो 286 तालाब बने हैं, उनका जीर्णोद्धार
- नहरों, नदी, रजबहे व बंबों की खुदाई
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